अक्सर लोगों में ये देखने को मिलता है कि वह उम्र के साथ-साथ तन और मन दोनों से खुद को कमजोर मान लेते हैं। और जीवन को जीने से ज्यादा बोझ ढो रहे होते हैं। जबकि उम्र को लेकर अक्सर एक फिलॉसफ़ी सुनने को मिलती है कि, उम्र महज एक संख्या है जो आपके मन-मस्तिष्क तक ही सीमित होती है, इस फिलॉसफ़ी को 97 साल की एक बुजुर्ग महिला ने साबित किया है। उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र की कमजोरी को ताकत में बदल दिया है। हम बात कर रहे हैं कोयंबटूर की वी नानाम्मल की जो इन दिनों काफी फेमस हो रही हैं। संभवतः इनको देश की सबसे वृद्ध योग प्रशिक्षक माना जा रहा है। इस उम्र में भी वो हर रोज़ योग करती हैं। खास बात यह है कि, नानाम्मल आज भी 20 से ज़्यादा आसनों को बहुत ही आसानी से करती हैं, जो हर कोई शायद ही कर सकता है।
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बचपन से करती आ रही हैं योग
नानाम्मल बचपन से ही योग करती आ रही हैं जो अभी भी बरकरार है, उन्होंने अप ने पिता से से योग की बारीकियां सीखी थी। इसके अलावा इनके पति सिद्ध चिकित्सक थे। अपनी दिनचर्या के बारे में बात करते हुए नानाम्मल कहती हैं कि वो प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले वह आधा लीटर पानी पीती हैं। टूथब्रश और पेस्ट के बजाए वह नीम के दातून से दांतों को साफ करती हैं। इसके बाद वह अपने छात्रों को योग सिखाती हैं। खाने में फाइबर और कैल्शियम युक्त चीजों का सेवन अधिक मात्रा में करती हैं। रात का खाना शाम को 7 बजे ही कर लेती हैं। इनके खाने में ज्यादातर फल और शहद होते हैं।
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देश भर में हैं 600 छात्र
फ़िलहाल पूरी दुनिया में लगभग इनके 600 छात्र हैं। पहले वो अपने घर में कुछ लोगों को ही योग सिखाती थीं, पर एक प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद इनको प्रसिद्धि मिली। उसके बाद ये सौ से ज़्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। इनके अलावा इनके परिवार के 36 अन्य सदस्य भी योग सिखाने लगे हैं, अब योग इनके परिवार की विरासत बन चुका है।
आयुर्वेद की देती हैं जानकारी
योग प्रशिक्षक होने के साथ ही साथ ये प्राकृतिक और आयुर्वेद से भी उनका लगाव ज्यादा है। उनका मानना है कि प्रकृति के नजदीक रहने से हर आदमी स्वस्थ रहता है और उसमें एनर्जी भरी रहती है। इनसे जो भी मिलने आता है, उसको प्राकृतिक औषधियां और उसके फ़ायदे बताना नहीं भूलतीं। तो अगर आप उम्र को अपनी बाधा मानकर अपने सपनों को साकार नहीं कर पा रहे हैं तो इसलिए उम्र को बहाना बताकर पीछे हटने वाले लोग मन से हार मान चुके होते हैं। नानाम्मल सहारे की तलाश में फिर रहे बुज़ुर्गों के लिए एक मिसाल हैं।
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