क्या सच में रूस ने बना ली है कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन? जानें कब उपलब्ध होने वाली है कोविड-19 वैक्सीन

रूस ने कोरोना वायरस वैक्सीन को सफलतापूर्वक बनाने का दावा किया है, लेकिन क्या सच में कोरोना वायरस की वैक्सीन बन चुकी है? जानें कब मार्केट में आएगी?
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क्या सच में रूस ने बना ली है कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन? जानें कब उपलब्ध होने वाली है कोविड-19 वैक्सीन


कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। ये वायरस अब तक 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है और 5 लाख 70 हजार से ज्यादा जिंदगियां लील चुका है। कोरोना वायरस के कारण भारत, ब्राजील और अमेरिका के हालात बुरे हैं। पिछले कुछ सप्ताह से भारत में भी रोजाना 20-25 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आने लगे हैं। अमेरिका में रोजाना 50 से 60 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा अन्य देशों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस वायरस से निपटने के लिए कई देश लगातार वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाने में लगे हुए हैं। 100 से ज्यादा वैक्सीन (Corona Vaccine) का ट्रायल दुनियाभर में चल रहा है। रविवार को मीडिया रिपोर्ट्स में एक खबर छाई रही कि रूस ने कोरोना वायरस वैक्सीन की पहली वैक्सीन बनाकर जंग जीत ली है। रूस की बनाई कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) का इंसानों पर सफल ट्रायल किया जा चुका है। आइए आपको बताते हैं इस खबर में कितनी सच्चाई है और कब तक आ सकती है वैक्सीन?

coronavirus vaccine russia

क्या रूस ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के सभी ट्रायल पूरे कर लिए?

रिपोर्ट्स के अनुसार रूस की Gamalei Institute of Epidemiology and Microbiology के द्वारा बनाई गई कोरोना वायरस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है और सेचेनोव यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर क्लीनिकल रिसर्च एंड मेडिकेशन्स के साथ मिलकर फेज1 ह्यूमन ट्रायल भी पूरा किया जा चुका है। हालांकि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि इस स्टेज तक पहुंचने वाली ये दुनिया की पहली वैक्सीन है। रूस के द्वारा बनाई गई ये वैक्सीन इस मामले में अलग है कि इसके एक भी साइड इफेक्ट नहीं पाए गए हैं।

सेचेनोव यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर क्लीनिकल रिसर्च एंड मेडिकेशन्स के प्रमुख Elena Smolyarchuk ने बीती रविवार को रूसी न्यूज एंजेंसी TASS को इस बारे में जानकारी दी कि उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा, "हमारी रिसर्च पूरी हो चुकी है और यह सिद्ध हो चुका है कि हमारी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। वॉलेंटियर्स के दोनों ग्रुप को 15 और 20 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।" लेकिन उन्होंने इस बात का दावा नहीं किया कि ये पहली वैक्सीन है, जिसने ह्यूमन ट्रायल पास किया है।

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रूस की वैक्सीन से भी आगे हैं 2 अन्य वैक्सीन

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा है कि रूस दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल पूरा करने वाला पहला देश है, लेकिन सच्चाई ये है कि रूस की ये वैक्सीन अभी फेज-1 ट्रायल ही पास कर पाई है, जबकि कई अन्य वैक्सीन इस स्टेज को पहले ही पास कर चुकी हैं। WHO की 7 जुलाई की लिस्ट के अनुसार अभी तक सिर्फ 2 वैक्सीन ऐसी हैं, जो स्टेज-3 ट्रायल तक पहुंच पाई हैं। पहली है चीन के द्वारा बनाई गई Sinovac वैक्सीन और दूसरी है University of Oxford और AstraZeneca के द्वारा बनाई गई ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन। ये दोनों ही वैक्सीन अब तक रेस में सबसे आगे हैं।

बाजार में कब आ सकती है कोरोना वायरस की वैक्सीन?

कोविड-19 की वैक्सीन कब आएगी, ये सवाल पिछले कई महीनों से बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है क्योंकि कोरोना वायरस से जंग के दूसरे सभी रास्ते फेल होते नजर आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) यानी WHO के अनुसार कम से कम 21 वैक्सीन ऐसी हैं, जिनपर गंभीरता से ट्रायल चल रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिर्सिटी के साथ पार्टनरशिप में काम कर रही दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी The Serum Institute of India के CEO Adar Poonawalla ने पिछले दिनों अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि कोरोना वायरस की "अच्छी और सुरक्षित" वैक्सीन को बाजार तक आने में अभी कम से कम 6 महीने का समय और लगेगा।

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COVID-19 Vaccine trail

कोरोना वायरस वैक्सीन व्यापारिक दृष्टि से भी है महत्वपूर्ण

दुनिया के तमाम देश वैक्सीन बनाने की होड़ में लगे हुए हैं इसलिए देशों और कंपनियों के लिए कोरोना वायरस की वैक्सीन सबसे पहले बनाना व्यापारिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह कोरोना वायरस आधी दुनिया में दिन-रात तबाही मचाता जा रहा है, उसे देखते हुए ये जंग नहीं बल्कि जरूरत की बात है। इसलिए कोई भी देश वैक्सीन बनाए, मगर इसका जल्द से जल्द बनना और लोगों तक पहुंचना जरूरी है, ताकि दुनिया को इस खतरनाक वायरस से बचाया जा सके।

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