आंखों की रौशनी कम होने का कारण क्या हो सकता है? स्केलेराइटिस आंखों की गंभीर बीमारी है इसमें आंखों की रौशनी कम होने लगती है। आंख में मौजूद सफेद भाग को स्केलेरा कहते हैं, जब ये सफेद हिस्सा लाल होने लगे तो ये स्केलेराइटिस के लक्षण हो सकते हैं। टीबी और अर्थराइटिस के मरीजों में ये बीमारी देखने को मिलती है। स्केलेराइटिस होने पर व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती हैं या आंखों का कोई एक हिस्सा लाल होता है। स्केलेराइटिस से पीड़ित व्यक्ति की आंखों की रौशनी कम होने के अलावा आंखों में दर्द और पानी आने की समस्या होती है। इस बीमारी के चलते आंखों में तेज दर्द होता है और धीरे-धीरे आंखों की रौशनी कम होने लगती है। इस बीमारी के लक्षणों का पता चलते ही आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
आंखों में स्केलेरा क्या होता है? (What is sclera in eyes)
स्केलेरा आंखों की प्रोटेक्टिव लेयर होती है। हमारी आंखों में मौजूद सफेद हिस्से को मेडिकल भाषा में स्केलेरा कहते हैं। ये आईबॉल के लिए सपोर्टिंग दीवार की तरह काम करता है उसे होल्ड करके रखता है। ये उन मसल्स से भी जुड़ी होती है जो आई मूवमेंट में मदद करते हैं। हमारी आंखों का 83 प्रतिशत हिस्सा स्केलेरा ही है।
आंखों की बीमारी स्केलेराइटिस क्या है? ( Eye disease: Scleritis)
स्केलेराइटिस आंखों का डिसऑर्डर है जिसमें आंखों के सफेद हिस्से यानी स्केलेरा में जलन, दर्द, सूजन और लालपन होता है। ये बहुत दर्दनाक बीमारी है। डॉक्टरों का मानना है कि ये बीमारी वीक इम्यून सिस्टम के कारण भी हो सकती है पर इसका जल्द इलाज करना जरूरी है नहीं तो आंखों की रौशनी पूरी तरह से जा सकती है।
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स्केलेराइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of eye disease scleritis)
स्केलेराइटिस के कॉमन लक्षण हैं आंखों में दर्द, सूजन, लालपन, आंखों से पानी आना, आंखों की रौशनी कम होना, धुंधला दिखना, रौशनी से परेशानी होना, सिर दर्द होना। ये सभी लक्षण बढ़ते चले जाते हैं अगर इनका इलाज समय रहते न किया जाए। आंखों में असहनीय दर्द भी स्केलेराइटिस का एक लक्षण है। ये दर्द धीरे-धीरे चेहरे में बढ़ने लगता है।
स्केलेराइटिस क्यों होता है? (Causes of eye disease scleritis)
डॉक्टरों का मानना है कि इम्यून सिस्टम के टी-सेल्स के कारण स्केलेराइटिस की बीमारी होती है। हमारा इम्यून सिस्टम ऑर्गन, टिशू और सेल्स का नेटवर्क है जो हमें बैक्टेरिया और वायरस से सुरक्षा देता है। टी-सेल्स का काम होता है पैथोजन्स को डिस्ट्रॉय करना जो कि एक ऐसा ऑर्गेनिज्म है जो बीमारियां फैलाता है। स्केलेराइटिस में ये टी-सेल्स से आंखों को ही नुकसान पहुंचने लगता है जिसके चलते आंखों में दर्द होता है। इस बीामरी से कॉर्निया में सूजन हो सकती है या मोतियाबिंद का खतरा रहता है। इसके अलावा काला मोतिया बिंद भी हो सकता है।
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स्केलेराइटिस का इलाज कैसे किया जाता है? ( Treatment of eye disease scleritis)
अल्ट्रासोनोग्राफी, कंप्लीट ब्ल्ड काउंट और बॉयोप्सी जैसे टेस्ट से स्केलेराइटिस का पता लगाया जाता है। स्केलेराइटिस में डॉक्टर आपको दर्द और जलन कम करने के लिए दवाएं दे सकते हैं जिनमें नॉन स्टिरॉइडल एंटी-इंफ्लामेट्ररी ड्रग शामिल हैं। इसके अलावा आपको एंटीबॉयोटिक्स भी दी जा सकती हैं। अगर गंभीर केस है तो सर्जरी भी की जाती है जिसमें स्केलेरा के टिशू को रिपेयर किया जाता है ताकि आंखों की रौशनी को बचाया जा सके और मसल्स फंक्शन ठीक हो जाए पर आपको सर्जरी जैसी स्थिति से बचने के लिए समय पर इलाज करवा लेना चाहिए।
स्केलेराइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षण समझ आते ही डॉक्टर को दिखाएं, ज्यादा लापरवाही आपकी आंखों की रौशनी छीन सकती है।
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