ब्लैडर का जरूरत से ज्यादा एक्टिवनेस दिखाना समस्या का संकेत है। इसे चिकित्सकीय भाषा में 'ओएबी" नाम से भी जाना जाता है। ओवरएक्टिव ब्लैडर यानी अतिसक्रिया मूत्राशय एक गंभीर स्थिति होती है, इसे मूत्र असंयम भी कहा जाता है। इसकी वजह से अक्सर शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है। हालांकि अच्छी बात है कि इस समस्या का उपचार संभव है। चिकित्सा व कुछ एक्सरसाइज की मदद से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। साथ ही जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव लाकर इस समस्या को कम किया जा सकता हैं। दरअसल व्यायाम के जरिये मूत्र असंयम की स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। कीगल व्यायाम और पेल्विक फ्लोर व्यायाम की सलाह चिकित्सक भी देते हैं। अगर आप नियमित ऐसे कुछ व्यायाम करते हैं तो काफी हद तक इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। तो चलिये जानें ओवरएक्टिव मूत्राशय की समस्या व इसके उपचार में मददगार एक्सरसाइज के बारे में।
महिलाओं में ओवर एक्टिव ब्लैडर
दी नेशनल एसोसिएशन फॉर कॉन्टिनेंस (NAFC) के अनुसार, महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले मूत्राशय पर नियंत्रण की समस्याओं का दोगुना अनुभव कर सकती हैं। इसमें ओवरएक्टिव ब्लैडर और मूत्र असंयम दोनों शामिल हैं। महिलाएं 20 से 45 की आयु में ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या का ज्यादा शिकार होती हैं। इस उम्र की महिलाओं में यह समस्या, बाकी उम्र से चालीस प्रतिशत तक अधिक होती है।
कीगल एक्सरसाइज
नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ के अनुसार ओवर एक्टिव ब्लैडर में केगल एक्सरसाइज बेहद लाभकारी होती है। यह ब्लैडरकी मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं। ओवर एक्टिव ब्लैडर के संबंध में कीगल एक्सरसाइज, सही मैनेजमेंट और ट्रेनिंग से बेहद फायदा मिल सकता है। केगल एक्सरसाइज पुरुषों के लिए भी उतनी ही फायदेमंद है जितनी महिलाओं के लिए। इसके लिए आप चिकित्सक से भी सलाह ले सकते हैं। इस एक्सरसाइज को करने के लिए पेल्विक मांसपेशियों को 5 सेकंड तक पकड़ रखें और फिर धीरे से छोड़ें। इसे एक दिन में दस बार दोहरायें। आप इस एक्सरसाइज को बैठकर, खड़े होकर या घुटनों के बल लेटकर भी कर सकते हैं। शिशु के जन्म के बाद महिलाएं अपनी मांसपेशियों को टोन करने के लिए भी ये एक्सरसाइज करती है। कीगल एक्सरसाइज मूत्र संयम और यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
ब्लैडर ट्रेनिंग
ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या में राहत पाने के लिए एक और एक्सरसाइज फायदेमंद है, इसे ब्लैडर ट्रेनिंग या ब्लैडर ब्रिल्स कहा जाता है। ये एक्सरसाइज आपके ब्लैडर को मूत्र रोकने में मदद करना सिखाती है। जब आपका ब्लैडर अधिक यूरेन रोकने लायक बन जाता है तो आप इन गतिविधियों पर ज्यादा काबू रख पाते हैं। इस एक्सरसाइज़ की मदद से हफ्ते बीतने पर यूरेन को रोकने में और अधिक सक्षम बनते हैं और मूत्र त्याग का अंतराल बढ़ा पाते हैं।
इलेक्ट्रिक स्टिम्युलेशन (Electrical Stimulation)
ब्लैडर ट्रेनिंग और कीगल एक्सरसाइज का पूरा लाभ लेने के लिए कुछ अन्य तरीके भी अपकी पेल्विक की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होती हैं। इलेक्ट्रिक स्टिम्युलेशन एक इलेक्ट्रिक डिवाइस का उपयोग करता है, जिसकी मदद से पेल्विक की मांसपेशियों को अनुबंधिक करने में मदद मिलती है। इस की मदद से इन मांसपेशियों को समय के साथ मजबूत किया जा सकता है। यूरोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च बताती हैं कि स्टिम्युलेशन ओवरएक्टिव ब्लैडर के लिए एक प्रभावी और अच्छा उपचार है।
बायोफीडबैक (Biofeedback)
बायोफीडबैक नामक तकनीक यह सुनिष्च्त करने में मदद करती है, कि जब आप कीगल एक्सरसाइज कर रहे होते हैं तो वह ठीक प्रकार से हो रही है या नहीं। बायोफीडबैक में एक डिवाइस शामिल होता है, जो डॉक्टर को ये बताता है कि पेल्विक एक्सरसाइज के दौरान आप सही मांसपेशियों को सिकोड़ रहे हैं, या नहीं।
योनि शंकु (Vaginal Cones)
योनि शंकु, पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों के लिए वजन प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग) प्रदान करते हैं। इस व्यायाम के अंतर्गत योनि के अंदर अलग अलग वजन के शंकु रखे जाते हैं। पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का प्रयोग कर इन शिकंओं को उठाया जाता है। एक बार जब बिना परेशानी के हल्के शंकु उठाने की आदत हो जाती है तो फिर छोड़े अधिक वजन वाले शंकु रखे जाते हैं।
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