हल्का व्यायाम, जैसे पैदल चलना और बागवानी, आदि दीर्घकाल में अवसाद से बचाने में मददगार हो सकता है। शोधकर्ताओं, जिनमें भारतीय मूल का एक शोधकर्ता भी शामिल है, ने कहा कि रोजाना 20 से 30 मिनट तक व्यायाम व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है।
कनाडा स्थित टोरंटो यूनिवर्सिटी ने पहली देशांतरीय समीक्षा में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि आखिर कैसे व्यायाम एक स्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है और बाद के जीवन में अवसाद को कैसे रोकता है।
शोधार्थी जॉर्ज मेमन की समीक्षा का पर्यवेक्षण प्रोफेसर गाय फॉक्नर ने किया। डॉक्टर फॉक्नर इस शोध के सह-लेख भी हैं।
इसमें 26 वर्षों से भी अधिक से किए गए विभिन्न शोधों के निष्कर्ष के निष्कर्ष की समीक्षा कर यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि क्या शारीरिक गतिविधियां (रोजाना 20 से 30 मिनट पैदल चलना अथवा बागवानी करना) हर आयु वर्ग के लोगों को अवसाद से बचा सकती हैं।
मेमन ने माना कि अवसाद के लिए व्यक्ति की अनुवांशिक बनावट सहित कई अन्य कारणों की भूमिका होती है। लेकिन अनुसंधान के मूल्यांकन के बाद यह बात स्पष्ट हो जाती है कि व्यायाम करने से हर किसी को अवसाद से निपटने में सहायता मिलती है, भले ही उनका निजी जीवन कैसा ही रहा हो।
मेमन ने कहा कि आपको इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि अगर आप फिलहाल शारीरिक रूप से सक्रिय हैं, तो भविष्य में भी आपको इसे कायम रखना चाहिए। और अगर आप अभी शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं, तो आपको अपनी यह आदत बदलने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि इस शोध से यह बात साबित हो चुकी है कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के फायदे केवल शरीर तक ही सीमित नहीं हैं।
यह स्टडी अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसन में प्रकाशित हुई है।