अल्जाइमर रोग के कारण दिमाग ही नहीं, शरीर में भी होते हैं ये बदलाव

ज्यादातर लोग समझते हैं कि अल्जाइमर रोग सिर्फ दिमाग को प्रभावित करता है। लेकिन अल्जाइमर रोग के लक्षण दिमागी ही नहीं, शारीरिक भी होते हैं। अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है।
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अल्जाइमर रोग के कारण दिमाग ही नहीं, शरीर में भी होते हैं ये बदलाव


ज्यादातर लोग समझते हैं कि अल्जाइमर रोग सिर्फ दिमाग को प्रभावित करता है। लेकिन अल्जाइमर रोग के लक्षण दिमागी ही नहीं, शारीरिक भी होते हैं। अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है लेकिन इस बीमारी के लक्षण शारीरिक रूप से भी दिखाई देते हैं। दिमाग और शरीर में गहरा संबंध है इसलिए दिमाग के प्रभावित होने पर उसका प्रभाव शरीर पर भी दिखाई देना स्वाभाविक है। अल्जाइमर रोग के कारण आपके चलने का तरीका, आपके बात करने का तरीका और शरीर के काम करने का तरीका बदल सकता है। शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पहचानकर अगर इलाज किया जाए, तो इसके प्रभाव से बचा जा सकता है।

अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षण

चूंकि अल्जाइमर दिमाग की याददाश्त से जुड़ी एक बीमारी है इसलिए इस बीमारी से ग्रस्‍त व्‍यक्ति की याद्दाश्‍त धीरे-धीरे कम होने लगती है। अल्‍जाइमर के शुरुआती लक्षणों में व्‍यक्ति थोड़ी-थोड़ी बातें भूलना शुरु करता है। जैसे लोगों का नाम, पता या नंबर, खाना, अपना ही घर, दैनिक कार्य, बैंक संबंधी कार्य, एक ही नित्य क्रिया तक भूलने लगता है। इसके अलावा एक ही सवाल को बार-बार पूछना, आसान गिनती न कर पाना, भूख का ध्यान न रहना, हर समय तनाव में रहना, रिश्तेदारों के नाम भूलना और स्वभाव में बदलाव आना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। अक्सर मरीज के परिजन इस रोग के लक्षणों को वृद्धवस्था की स्वाभाविक परिस्थितियां मानने लगते हैं। लेकिन यह ऐसा नहीं होता।

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दिमाग और शरीर का संबंध

हालांकि अल्जाइमर के कारणों का अभी तक पता नहीं लगा है लेकिन चिकित्सक इस रोग का कारण दिमाग में बनने वाले एक खतरनाक प्रोटीन एमिलॉइड को मानते हैं। इस प्रोटीन के कारण दिमाग की कोशिकाओं में परिवर्तन आता है और कुछ कोशिकाएं बढ़कर रेशेनुमा हो जाती हैं, जिन्हें टैंगल्स कहते हैं। ये अतिरिक्त कोशिकाएं दिमाग के फंक्शन्स को प्रभावित करती हैं और स्वस्थ कोशिकाओ को नुकसान पहुंचाती हैं। इन कोशिकाओं का सबसे पहला प्रभाव उस हिस्से पर दिखाई देता है जो हिस्सा हमारी याददाश्त के लिए जिम्मेदार है। इसीलिए अल्जाइमर के रोगियों को चीजों को याद करने में परेशान होती है। आमतौर पर ये रोग होने के बाद लोग 4 से 8 साल ही जीते हैं। हालांकि कुछ मामलों में लोग 20 साल तक भी जीते हैं।

शरीर पर प्रभाव

अलग-अलग रोगियों में इस रोग के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं क्योंकि दिमाग के किसी भी हिस्से को ये रोग प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों में पहले दिमागी लक्षण शुरू होते हैं जबकि कुछ अन्य लोगों में पहले शारीरिक लक्षण शुरू होते हैं। रोगी में ये लक्षण दिख सकते हैं।

  • शरीर का बैलेंस बनाने में परेशानी होना
  • मांसपेशियों का कठोर होना
  • चलते समय पैरों का कांपना या लड़खड़ाना
  • बैठने और खड़े होने में परेशानी होना
  • मसल्स का कमजोर हो जाना और दिनभर थकान
  • नींद न आना
  • पेशाब और मल को न रोक पाना
  • दिमागी दौरे पड़ना

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अल्जाइमर के मरीज का खयाल रखना

आमतौर पर अल्जाइमर रोगी खुद की देखभाल नहीं कर पाते हैं। कई बार बहुत सामान्य काम जैसे ब्रश करना, शौच क्रिया, नहाना, कपड़े बदलना आदि भी संभव नहीं हो पाता है। इसलिए उनकी देखभाल करने के लिए किसी एक व्यक्ति का उनके साथ होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा कुछ लोग अजीब तरह से बात करने लगते हैं। ऐसे में मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को मरीज से कम बात करनी चाहिए और ऐसे ही सवाल करने चाहिए जिनका जवाब आसान हो।

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