प्रतिदिन दो कीवी फल खाने से कम होता है डिप्रेशन

- खुश और ऊर्जावान महसूस करते हैं रोजाना किवी फल का सेवन करने वाले।
- न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ओटेगो में 54 पुरुषों पर किया गया अध्ययन।
- अन्य फलों के मुकाबले किवी फल में ज्यादा मात्रा में होता है विटामिन सी।
- प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जी खाने से सेहत में होता है सुधार।
यदि आप प्रतिदिन दो कीवी फल का सेवन करते हैं तो आप डिप्रेशन से बचे रहेंगे। कीवी फल और डिप्रेशन पर हुए एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। आधुनिक जीवनशैली में कम नींद और ऑफिस के काम के दबाव के बीच डिप्रेशन की समस्या आम है।
अध्ययन में बताया गया है कि रोजाना दो कीवी फल खाने वाले लोगों का मूड अच्छा रहता है और वे डिप्रेशन से भी दूर रहते हैं। न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ओटेगो के शोधकर्ताओं ने स्वस्थ पुरुषों पर अध्ययन किया। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उन पुरुषों को शामिल किया जिन्होंने छह हफ्तों तक प्रतिदिन दो कीवी फल का सेवन किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि रोजाना दो कीवी फल खाने वाले लोग अन्य लोगों के मुकाबले कम थकान महसूस कर रहे थे। इन लोगों में डिप्रेशन का स्तर कम था और ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर रहे थे। शोध से साफ हुआ कि दो कीवी फल के सेवन और शरीर में विटामिन सी की मौजूदगी से व्यक्ति आशावादी हो जाता है। कीवी फल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है।
इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 54 युवाओं पर पूरा किया गया। सभी युवा अध्ययन से पहले विटामिन सी की कम मात्रा वाले फलों का सेवन करते थे। शोधकर्ता प्रोफेसर मारग्रीत विसेसर्स ने बताया कि प्रतिदिन दो कीवी फल खाने वाले समूह के लोगों में विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई गई और इसका परिणाम यह हुआ कि वह पहले से ज्यादा खुश और ऊर्जावान महसूस कर रहे थे।
विसेसर्स के मुताबिक हमारे अध्ययन से यह बात भी स्पष्ट हो गई कि प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जी खाने से सेहत में सुधार होता है। उन्होंने कहा कि यदि आप फल खाने का सबसे अच्छा फायदा लेना चाहते हैं तो आपको ऐसे फल खाने चाहिए जिनमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में हो।
विटामिन सी शरीर में एन्जाइम को क्रियाशील रहने में मदद करता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। विटामिन सी के ज्यादा सेवन से व्यक्ति को थकान कम महसूस होती है और उसकी शारीरिक व मानसिक क्षमता बढ़ती है। यह स्टडी जर्नल ऑफ न्यूट्रीटिनल साइंस में प्रकाशित हो चुका है।
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Source: ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग Sep 04, 2013
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