यूं तो लोगों का ख्वाब होता है कि वे करियर में ऊंचाइयों की सीढ़िया चढ़े, जल्दी रिटायर हो जाएं और जिंदगी की सांध्यबेला परिवार के साथ सुकून से गुजारें। लेकिन ऐसी जिंदगी दिमागी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
प्रांस स्थित 'इंस्टीट्यूट नेशनल डे ला सेंट एट डे ला रिसर्च मेडिकल' का नया अध्ययन बताता है कि देर से रिटायरमेंट लेने पर बुढ़ापे में अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक 60 की उम्र के मुकाबले 65 की उम्र में रिटायर होने से अल्जाइमर की आशंका 15 फिसदी कम हो जाती है। नौकरी में बने रहने से इनसान शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्रिय रहता है। इससे याददाशत संबंधी बीमारियों की गिरफ्त में आने का खतरा कम हो जाता है।
पुख्ता नतीजों के लिए प्रमुख शोधकर्ता कैरोल डफॉल और उनके सहयोगियों ने मिलकर 429,000 कर्मचारियों पर अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों के स्वास्थ्य और बीमा का भी विश्लेषण किया।
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