गधी का दूध टीबी, अस्थमा, पीलिया, एलर्जी और ना जाने कितनी सारी बीमारियों को दूर करने में रामबाण इलाज माना जाता है। इस कारण इन दिनों दक्षिण पूर्वी यूरोप के देश मोंटेनीग्रो में गधी के दूध की मांग काफी बढ़ गई है। इस दूध के फायदों और मांग को देखते हुए वहां ये 3680 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। वहीं सर्बिया में गधी के दूध से बना एक किलो चीज लगभग 50 हजार रुपये में बिक रहा है।
गधी... जिसका नाम सुनते ही लोगों को हंसी आती है उसका दूध आज हजारों रुपये में बिक रहा है। आखिर क्या है ऐसा गधी के दूध में जिसके कारण इसकी मांग बाजार में काफी बढ़ी है...!!
दक्षिण-भारत में पीते हैं गधी का दूध
हैदराबाद के रहने वाले रवि पोनाला भी सर्दी-खांसी से बचने के लिए गधी का दूध पीते हैं। रवि पोनाला कहते हैं, "हमारे यहां तो हर घर में बच्चों को गधी का दूध पिलाया जाता है। ये काफी गर्म करता है जिससे सर्दी-खांसी नहीं लगती। साथ ही इससे पीलिया वा टीबी जैसी जानलेवा बीमारी भी ठीक हो जाती है।"
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मां के दूध जितना पौष्टिक
गधी का दूध पीने वाले कहते हैं कि यह सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें लाइसोजाइम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो कि इम्युन सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जिस कारण माना जाता है कि गधी के दूध से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कई शोधों का हवाला देते हुए वैज्ञानिकों का भी कहना है कि गधी के दूध में वही पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो मां के दूध में होते हैं। इस कारण गधी के दूध को मां के दूध के समान पौष्टिक माना जाता है।
एलर्जी ठीक करे
वेलेरिया मार्कोविक नाम की एक महिला कहती हैं कि, उनके बेटे को कई तरह की एलर्जी थी जो गधी के दूध पीने से धीरे-धीरे ठीक हो गई। साइप्रस यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर फोटिस पापादेमस का कहना है कि कई सारे शोधों और रिसर्चों में साबित हुआ है कि ये इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है जिससे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए गधी का दूध फायदेमंद होता है।
दस दिन में ठीक करे पीलिया व टीबी
भारत में लोग पीलिया ठीक करने के लिए गधी का दूध पीते हैं। गांव निवासी पशुचरण ने चारा ढोने के लिए गधी को 3500 रुपए में खरीदा था, लेकिन जब उसे पता चला कि गधी का दूध पीने से काला पीलिया का इलाज होता है तो उस दिन से उसने इस दूध को बेचना शुरू कर दिया। उनका दूध बेचने में फायदा तब और अधिक बढ़ गया जब गांव वालों को पता चला कि टीबी जैसी घातक बीमारी भी दूर हो जाती है।
गांव के पीलिया व टीबी के मरीज गधी का दूध पीकर ही अपना घरेलू इलाज करवाते हैं। पीड़ित लोगों के ठीक होने के कारण पिछले गांव और उसके आसपास के गांवों में भी दूध पीने वालों की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि पशुचरण को फोन पर दूध के ऑर्डर तक मिलने लगे हैं। पशुचरण कहते हैं कि, बीमारी से आराम पाने के लिए एक पीड़ित को दस दिन लगातार 250 ग्राम दूध हर दिन पीना होता है। लेकिन गधी काफी कम मात्रा में दूध देती है जिसके कारण मरीज कई दिन पहले ही दूध बुक करवा देते हैं। पशुचरण से दूध लेने के लिए माझा, मालवा और दुआबा से लोग पहुंच रहे हैं।
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इन बीमारियों को भी करता है ठीक
- अस्थमा - इसे आयुर्वेदिक दवाई माना जाता है जिससे ये अस्थमा और टीबी जैसी बीमारी दूर करता है।
- गले का इंफेक्शन ठीक करे।
- स्कीन की एलर्जी संबंधी समस्याएं दूर करे।
- कमजोर इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाए।
- वजन कम करे - इसमें वसा की मात्रा काफी कम होती है जिसके पीने से वजन भी नहीं बढ़ता।
- अर्थराइटिस ठीक करे - इसमें कैल्शियम काफी मात्रा में होता है जिससे ये हड्डियां मजबूत बनती हैं और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों दूर होती हैं।
- रुप निखारे - इसमें इंसान के दूध की तुलना में 60 गुना अधिक विटामिन सी होता है जिसके कारण ये त्वचा संबंधी रोगों में रामबाण इलाज माना जाता है। साथ ही ये खून साफ होता है और शरीर की गंदगी बाहर निकलती है जिससे सौंदर्य में निखार आता है।
इसलिए है महंगा
इन सब फायदों के कारण गधी के दूध की मांग काफी बाजार में काफी है। लेकिन गधी काफी कम मात्रा में दूध देती है जिससे सभी लोगों के मांग की पूर्ति समय पर नहीं हो पाती। इस कारण ये काफी महंगा होता है। भारत के कई शहरों और गांवों में गधी का एक चम्मच दूध पचास रुपये में बिकता है।
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