शोधकर्ताओं के एक दल ने अपने अध्ययन की मदद से ये निष्कर्ष निकाला कि घरों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले केरोसिन या डीजल आदि से होने वाले वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर दिल के दौरे का खतरा हो सकता है। चलिए विस्तार से जानें खबर -
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी गरीब हो रही है और रोशनी, भोजन पकाने और गर्मी पाने आदि के लिए लिए इस प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल करती है। अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सुमित मित्तर, जोकि इस शोद के प्रमुख शोधार्थी भी हैं का कहना है, कि हमारे शोध में पहली बार यह पता चला है कि घर में केरोसिन या डीजल के लंबे समय तक रहने से हृदय रोग या दिल के दौरे से मौत होने का खतरा होता है।
इस शोध से चला कि जो लोग केरोसिन या डीजल से प्रभावित हवा में रहते हैं, उनमें आने वाले दस सालों में विभिन्न रोगों के कारण होने वाली मौत का खतरा 6 प्रतिशत अधिक होता है। साथ ही उनमें दिल के रोग की वजह से मृत्यु होने का जोखिम भी 11 प्रतिशत और नसों के बाधित होने से होने वाली दिल की बीमारी का खतरा 14 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसके उलट, जो स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते हैं, जैसे प्राकृतिक गैस आदि। उनमें हृदय रोग से मरने का खतरा 6 प्रतिशत कम होता है।
शोध दल ने उत्तरीपूर्वी ईरान में वर्ष 2004 से 2008 के बीच केरोसिन, लकड़ी, डीजल, उपले और प्राकृतिक गैस से होने वाले प्रदूषण का विश्लेषण किया। इस शोध में कुल 50,045 लोग शामिल थे, जिनकी औसत उम्र 52 साल थी और उनमें 58 प्रतिशत महिलाएं थीं। गौरतलब है, यह अध्ययन सर्कुलेशन नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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