क्या सच में कुत्ते लगा सकते हैं कैंसर का पता, वो भी एडवांस टेक्नोलॉजी से भी सटीक? जानें

कुत्ते सूंघकर कैंसर का पता लगा सकते हैं। रिसर्च के अनुसार फेफड़ों के कैंसर का पता कुत्ते 97% से भी ज्यादा सटीकता के साथ आसानी से लगा सकते हैं। भविष्य में कैंसर के जांच के लिए मशीनों की जगह कुत्तों का भी इस्तेमाल हो सकता है।
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क्या सच में कुत्ते लगा सकते हैं कैंसर का पता, वो भी एडवांस टेक्नोलॉजी से भी सटीक? जानें


कुत्तों के सूंघने की शक्ति बहुत ज्यादा होती है, ये बात सभी जानते हैं। मगर हाल में हुई एक रिसर्च ये बताती है कि कुत्ते सूंघकर कुछ विशेष प्रकार के कैंसरों का पता 'एडवांस टेक्नोलॉजी' से भी ज्यादा सटीक तरीके से लगा सकते हैं। रिसर्च के अनुसार कुत्ते सूंघकर लंग्स कैंसर (फेफड़ों के कैंसर) का पता लगा सकते हैं। दुनियाभर में फेफड़ों के कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई है।

धूम्रपान वाले प्रोडक्ट्स जैसे- सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, ई-सिगरेट्स आदि फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। भारत में भी हर साल लाखों लोग फेफड़ों के कैंसर के कारण अपनी जान गंवाते हैं।

कुत्ते लगा सकते हैं फेफड़ों के कैंसर का पता

फेफड़ों के कैंसर का पता अगर शुरुआती स्टेज में लगा लिया जाए, तो इसका इलाज आसानी से हो सकता है। फिलहाल लंग्स कैंसर का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन (CT Scan) और पीईटी स्कैन (PET Scan) जैसी तकनीकों का सहारा लिया जाता है। ये तकनीक बहुत अधिक खर्चीली हैं और कई बार इनसे प्राप्त होने वाले रिजल्ट भी सटीक नहीं होते हैं। लेकिन हाल में हुई एक रिसर्च बताती है कि कुत्ते अपनी सूंघने की शक्ति का इस्तेमाल करके लंग्स कैंसर का पता ज्यादा आसानी और जल्दी से लगा सकते हैं।

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कुत्तों के सूंघने की शक्ति हमसे 10,000 गुना ज्यादा

आपको जानकर हैरानी होगी कि कुत्तों के सूंघने की शक्ति मनुष्यों से कम से कम 10,000 गुना ज्यादा होती है। अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन के जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार कुत्तों की सूंघने की शक्ति उनके नाक में मौजूद बेहद संवेदनशील 'ऑलफैक्टरी रिसेप्टर' और 'ऑलफैक्टरी एपिथेलियम' के कारण होती है। रिसर्च के लिए 3 बीगल प्रजाति के कुत्तों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें ब्लड सैंपल से नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर को सूंघने की ट्रेनिंग दी गई, जिसके बाद रिसर्च की गई।

कैसे लगा सकते हैं कुत्ते लंग्स कैंसर का पता?

इस रिसर्च के लिए सबसे पहले 4 बीगल्स (कुत्तों की प्रजाति) को 8 सप्ताह तक ट्रेनिंग दी गई। बाद में एक कुत्ते की कुछ समस्याओं के लिए शोध से बाहर कर दिया गया। ट्रेनिंग पीरियड के बाद बचे हुए 3 बीगल्स को लंग कैंसर के मरीजों और स्वस्थ लोगों के खून के सैंपल्स सुंघाए गए। शोधकर्ताओं ने इन सभी सैंपल्स को एक कमरे में इतनी उंचाई पर रख दिया कि कुत्ते इन्हें आसानी से सूंघ सकें। टीम ने कुत्तों को पहले ही इस बात की ट्रेनिंग दी थी, जैसे ही वो कैंसर वाले सैंपल को सूंघें, तो वो बैठ जाएं और अगर सैंपल स्वस्थ है, तो आगे बढ़ जाएं।

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कुत्तों से प्राप्त परिणाम कितने सटीक?

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस रिसर्च के दौरान कुत्तों ने कैंसर वाले सैंपल्स को 97.5% तक सही और सटीक जांच की। इस जांच के बाद शोधकर्ता कुत्तों की क्षमता का दूसरे कैंसर प्रकारों जैसे ब्रेस्ट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर आदि का पता लगाने के लिए भी अध्ययन कर रहे हैं।

एडवांस तकनीक से भी ज्यादा सटीक साबित हुए कुत्ते

शोधकर्ताओं ने बताया कि कुत्तों की सूंघने की प्राकृतिक शक्ति कैंसर का पता लगाने में हमारे सबसे एडवांस तकनीक से भी ज्यादा सटीक साबित हुई। हालांकि इस क्षेत्र में अभी और रिसर्च की जरूरत है, मगर इस अध्ययन के बाद इस बात की काफी संभावना है कि आने वाले समय में कुत्तों के द्वारा कैंसर जैसे गंभीर रोगों की जांच की जाए। इससे न सिर्फ मरीजों को सस्ती जांच की सुविधा उपलब्ध होगी, बल्कि इससे परिणाम भी तुरंत पता चल जाएगा।

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