धूम्रपान न केवल धूम्रपान करने वालों के लिए हानिकारक है, बल्कि धूम्रपान न करने वालों के स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरा है। धूम्रपान आपके दिल को नुकसान पहुंचाता है और हृदय रोगों जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा, पेरिफेरल वस्कुलर डिसीज आदि का खतरा बढ़ाता है। धूम्रपान और निकोटिन से कार्बन मोनोऑक्साइड तेजी से काम करके हृदय पर दबाव डालती है। आबादी के बड़े हिस्से पर तंबाकू के धूम्रपान के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, 'ई-सिगरेट' को बाजार में पेश किया गया है। उद्योगों का दावा है कि यह सिगरेट का एक सुरक्षित विकल्प हैं। लोगों को धूम्रपान की लत छोड़ने में मदद कर सकते हैं।
हालांकि, अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ई-सिगरेट से दिल के दौरे का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है।
यह आंकड़े लगभग 70,000 व्यक्तियों से जुटाए गए हैं, जिन्होंने दो नेशनल हेल्थ इंटरव्यू सर्वेक्षणों में भाग लिया। जब धूम्रपान न करने वालों से तुलना की गई तो नियमित धूम्रपान करने वालों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा लगभग तीन गुना, जबकि ई-सिगरेट पीने वालों को दिल के दौरे का खतरा दोगुना होने का तथ्य सामने आया। ऐसा माना जाता है कि ई-सिगरेट से कई स्तर के कार्सिनोजेन्स निकलते हैं, जबकि हकीकत यह है कि विषाक्त पदार्थ और अति-महीन कण निकलते हैं, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं। यह दोनों ही कारक दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ाते हैं। तो लोग पारंपरिक धूम्रपान के एक स्वच्छ विकल्प के रूप में ई-सिगरेट का उपयोग क्यों करते हैं? ऐसी ही लोगों में कुछ सामान्य गलतफहमियां हैं, जिसके बारे में हम आपको बता रहे हैं।
क्या ई-सिगरेट्स की वाष्प रसायनरहित है?
ई-सिगरेट्स निकोटिन, पानी, सॉल्वेंट (प्रोपीलीन ग्लायकॉल या ग्लिसरीन) और एडेड फ्लैवर्स से बनी होती है। यह मिश्रण भले ही बिना मिलावट का नजर आता हो, ई-सिगरेट्स हानिकारक रसायन का उत्पादन करती हैं और भारी धातुएं और ई-सिग वेपर में फॉर्मलडिहाइड जैसी अशुद्धियां होती हैं। ई-सिगरेट्स में मौजूद प्रोपीलीन ग्लायकॉल श्वसन और आंखों के सामान्य कामकाज को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं।
क्या ई-सिगरेट्स धूम्रपान छोड़ने में मददगार?
लंबे समय से यह सोचा जा रहा था कि ई-सिगरेट धूम्रपान छोड़ने में मदद करती है। लेकिन यह सच नहीं है। कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि ई-सिगरेट पीने वाले टीनेजर निकोटीन पर निर्भर होने लगते हैं, भले ही उन्होंने कभी भी सिगरेट नहीं पी हो। इस तरह ई-सिगरेट्स भी कम अवधि में ही निकोटीन पर निर्भरता बढ़ाती है।
इसे भी पढ़ें: युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है हुक्का पीने का चलन, जानें सेहत के लिए कितना खतरनाक है ये
क्या ई-सिगरेट्स इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह स्वस्थ है?
ई-सिगरेट्स में लिक्विड निकोटीन होता है, जो निगलने पर अत्यधिक घातक होता है। निकोटीन न केवल नशीला या लत लगाने वाला होता है, बल्कि दिल को भी गंभीर खतरा पैदा करता है। निकोटीन ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ाता है। यह धमनियों को संकरा बनाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक होने की आशंका बढ़ जाती है।
क्या ई-सिगरेट्स हानिकारक धुआं पैदा नहीं करती?
निर्माताओं ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि ई-सिगरेट का सेवन कहीं भी किया जा सकता है क्योंकि उससे दूसरों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला जहरीला धुआं नहीं निकलता। हालांकि, सेकंड-हैंड वेपर, जिसे पैसिव वेपिंग के रूप में भी जाना जाता है, पूरी तरह से अहानिकर नहीं हो सकता। इसमें भारी धातुएं और अति-महीन कण होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: जानलेवा है सिगरेट और तम्बाकू का सेवन, एक्सपर्ट से जानें इसके खतरे और बचाव
इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल यदि नियमित किया जा रहा है तो वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक संभावित खतरा पैदा करती है। दिसंबर 2018 में जारी भारत के आईटी एक्ट के मसौदे में स्पष्ट तौर पर व्हॉट्सएप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को शराब और ईएनडीएस (इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम) को बढ़ावा देने वाली सामग्री को हटाने को कहा गया है। ईएनडीएस वर्तमान में भारत के 29 राज्यों में से 8 में प्रतिबंधित है और उसे लेकर सख्त नियम और दिशानिर्देश बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
यह लेख डॉ. सौरभ डबास (एसोसिएट कंसल्टेंट, मेडिकल टीम- डॉकप्राइम) से हुई बातचीत पर आधारित है।
Read More Articles On Other Diseases In Hindi