मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) सेंट्रल नर्वस सिस्टम में होने वाला एक ऐसा रोग है जो मस्तिष्क, रीढ की हड्डी और ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करता है। भारत में भी अब इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। इसकी एक ऑटोइम्यून बीमारी के रूप में पहचान की जाती है जिसमें एंटीबाडी प्रतिरक्षी व्यक्ति के मस्तिष्क, रीढ की हड्डी और आंखों की नसों पर प्रभाव डालती है। आमतौर पर यह बीमारी छोटी उम्र या कभी कभी व्यस्क होने पर देखने को मिल जाती है। इस रोग में पुरुष और महिला दोनों ही प्रभावित होते हैं। यह कहना मुश्किल है कि इससे महिलाएं अधिक प्रभावित होती है या पुरुष।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के कारण
मल्टीपल स्क्लेरोसिस या एमएस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका फाइबर को कवर करने वाली अपनी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर आक्रमणकरती हैं। इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच तालमेल बिगड़ जाता है। आखिरकार इस रोग से तंत्रिकाएं खराब हो सकती हैं या स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण
इस रोग के लक्षण व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं और नर्व की क्षति पर निर्भर करते हैं। इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित लोग इन्डिपेंडेंटली या पूरी तरह से चलने की क्षमता खो देते है जबकि अन्यलोगों को बिना किसी नए लक्षणों के लंबे समय तक रीमिशन का सामना करना पड़ सकता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के अन्य लक्षण
थकावट होना
चिकित्सकों के अनुसार, मल्टीपल स्क्लेरोसिस से प्रभावित 80 प्रतिशत लोगों को थकावट की समस्या होती है। इस रोग से संबंधित थकावट दिन के बीतने के साथ साथ औरभी खराब हो जाती है। यह अक्सर गर्मी और आर्द्रता के कारण बढ़ती है।
सोचने में परेशानी होना
समय के साथ एमएस से पीड़ित लगभग आधे लोगों में ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, सोचने की शक्ति धीमी पड़ना और यादाश्त में कमी आने जैसी कुछसंज्ञानात्मक समस्याएं हो सकती हैं।
आंखों में विकार होना
इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति की दृष्टि धुंधली पड़ सकती है। दृष्टि ग्रे हो सकती है।
ऑप्टिक नुराइटिस
इस स्थिति में आंखों को घुमाने पर दर्द होता है। दृष्टि धुंधली पड जाती है। लॉस ऑफ कलर विजन हो जाता है। साइड में देखने में परेशानी होती है। दृष्टि के केंद्र में छेदहो जाता है। कई बार अंधेपन की समस्या भी हो जाती है।
डिप्रेशन
एमएस की वजह से अवसाद पैदा हो सकता है। यह बीमारी सुरक्षात्मक तंत्रिकाओं के आसपास की उस कोटिंग को नष्ट कर सकती है जो मूड को प्रभावित करने वाले संकेतों कोमस्तिष्क तक भेजने में मदद करती है। इस बीमारी के इलाज के लिए प्रयोग होने वाली स्टेरॉयड और इंटरफेरॉन जैसी दवाइयों की वजह से भी अवसाद पैदा हो सकता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस का निदान
इस बीमारी का निदान करने के लिए मेडिकल हिस्ट्री और जांच दोनों पर ही फोकस करते हैं। इसमें निम्न टेस्ट शामिल हैं।
- ब्लड टेस्ट
- लंबर पंक्चर
- एमआरआई
- इवोक्ड पोटेंशियल टेस्टस
मल्टीपल स्क्लेरोसिस का इलाज
मल्टीपल स्कलेरोसिस के लिए कोई इलाज नहीं है। इसका उपचार आमतौर पर हमलों से तेजी से रिकवरी, रोग की प्रगति को धीमा करने और एमएस के लक्षणों को प्रबंधित करने पर केंद्रित है। कुछलोगों के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उनके लिए किसी इलाज की आवश्यक नहीं होती है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के हमलों के लिए उपचार
तंत्रिका की सूजन कम करने के लिए मौखिक प्रेडनिसोन और इंट्रवीनस मेथिलप्रेडिनसोलोन जैसे कोर्टिकोस्टेरोइड की सलाह दी जाती है। इसके दुष्प्रभावों में अनिद्रा, बढ़े हुए रक्तचाप, मूडस्विंग और फ्लूड रिटेंशन शामिल हो सकते हैं।
प्लाज्मा एक्सचेंज (प्लास्मफेरेसिस)। आपके खून (प्लाज्मा) के हिस्से का तरल भाग निकाल दिया जाता है और आपकी रक्त कोशिकाओं से अलग कर दिया जाता है। तब रक्तकोशिकाओं को एक प्रोटीन समाधान (एल्ब्यूमिन) के साथ मिश्रित किया जाता है और आपके शरीर में वापस डाल दिया जाता है। यदि आपके लक्षण नए, गंभीर हैं और स्टेरॉयड को जवाब नहींदे रहा है, तो प्लाज्मा एक्सचेंज का उपयोग किया जा सकता है।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़े कुछ मिथक और उनके सच
मिथ: मल्टीपल स्क्लेरोसिस से पीड़ित महिलाएं स्तनपान नहीं करा सकती
सच: प्रेग्नेंसी के दौरान मल्टीपल स्क्लेरोसिस अक्सर सुधार की स्थिति में चला जाता है वहीं कई महिलओं में यह डिलवरी के बाद पूर्व स्थिति में आ जाता है। यदि प्रेग्नेंसी से पहले बीमारी सक्रिय थी तो इसके बाद में लौटने के बहुत आसार बन जाते हैं। स्तनपान के दौरान एमएस के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं को ना लें। बेहतर होगा कि आप इससे जुड़े रिस्क और दवाइयों केबारे में डाॅक्टर से बात करें। इस बीमारी से प्रभावित कुछ महिलाएं स्तनपान करा सकती हैं। इसलिए निराश न हों क्योंकि एक ऐसी योजना विकसित करने में मदद की जा सकती है जो बीमारी से पीड़ित ज्यादातर महिलाओं को स्तनपान कराने की अनुमति देती है।
मिथ: मल्टीपल स्क्लेरोसिस की समस्या केवल बुज़ुर्ग लोगों को होती है
सच: इस बीमारी का एजिंग से कोई लेना देना नहीं है एमएस से प्रभावित अधिकांश लोग 20 और 50 वर्ष की उम्र के बीच पाए जाते हैं यंग चिल्ड्रन, टीन्स और यहां तक कि सीनियर्स लोग भी इस रोग से ग्रस्त हो सकते हैं।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम, रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। यह 1000 में से 1 को होती है। यह महिलाओं में 2-3 गुणा अधिक आम है। आमतौर पर एमएस बीमारी से पीड़ित महिलाओं में प्रजनन क्षमता सामान्य होती है और वे फीटल के दोषों या स्वाभाविक मिस्कैरिज में वृद्धि भी नहीं जान पाती। प्री-कंसेप्शन अवधि के दौरान मरीजों को देखा जाना चाहिए और दवाओं की समीक्षा की जानी चाहिए। अगर इस बात का संकेत मिलता है कि एमएस रोगी जो स्टेबल हैं और हाल ही में वे ठीक होने के बाद दोबारा से रोगी नहीं बने हैं तो उन्हे भी आईवीएफ के लिए कंसीडर किया जा सकता है।
यह लेख डॉक्टर राजुल अग्रवाल (सीनियर कंसलटेंट, न्यूरोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली) से हुई बातचीत पर आधारित है।
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