ऑटोइम्यून बीमारी का प्रकोप वर्तमान में बहुत फैला हुआ है, केवल अमेरिका के आंकड़ों की तुलना करें तो 50 लाख से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। ज्यादातर 65 साल की उम्र के बाद होने वाली यह बीमारी महिलाओं की मौत के 10 प्रमुख कारणों में से एक है।
ऑटोइम्यून बीमारी शरीर के पूरे अंगों को प्रभावित करती है, इसके कई उदाहरण हैं जैसे - रूमेटाइड अर्थराइटिस, टाइप1 डायबिटीज, थायराइड समस्या, ल्यूपस, सोराइसिस, जैसी कई बीमारियां इसमें आ सकती हैं। इस लेख में इस बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में जानिए।
क्या है ऑटोइम्यून रोग
ऑटोइम्यून ऐसा रोग है जिसमें कई बीमारियां आती हैं, यह शरीर के कई अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और यह बीमारियों को रोकने के बजाय शरीर पर खुद हमला करता है। दरअसल हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर को बीमारियों से बचाती है और खतरनाक रोगों से शरीर की रक्षा भी करती है। लेकिन इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
ऑटोइम्यून बीमारी तब होती है जब शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों, संक्रमणों, और खाने में मौजूद विशुद्धिओं को दूर करने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है। इस बीमारी के होने के बाद शरीर के ऊतक ही शरीर को बीमार और कमजोर बनाते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण
- जोड़ों में दर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी होना
- वजन में कमी होना
- अनिद्रा की शिकायत होना
- दिल की धड़कन अनियंत्रित होना
- त्वचा का अतिसंवेदनशील होना, त्वचा पर धब्बे पड़ना
- दिमाग ठीक से काम न करना, ध्यान केंद्रित करने में समस्या
- हमेशा थका हुआ अनुभव करना
- बालों का झड़ना, पेट में दर्द होना, मुंह में छाले होना
- हाथ और पैरों में झुनझुनी होना या सुन्न हो जाना
- रक्त के थक्के जमना
पलटें इसके असर को
यदि आपको पता चल जाये कि इस बीमारी से आप ग्रस्त हैं तो सबसे पहले आप चिकित्सक से संपर्क करें और इसके उपचार के बारे में सलाह लें। इसके अलावा तुरंत अपने खानपान में बदलाव करें, और ऐसे आहार का सेवन करें जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हों। इसके लिए सबसे साबुत अनाज का सेवन अधिक मात्रा में करें, इसमें मौजूद लेक्टिन आपकी प्रतिरोधक क्षमता को तुरंत बढ़ायेगा। खाने में ताजे फल और सब्जियों को शामिल कीजिए, इसके अलावा नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या बनाइए।
संक्रमण के स्तर की जांच के लिए स्टूल की जांच करायें। व्यक्ति के शरीर का 80 प्रतिशत से अधिक प्रतिरक्षा प्रणाली पेट में मौजूद होती है, इसलिए यदि आप इस बीमारी से बचाव करना चाहते हैं तो अपने पेट का ध्यान रखें।
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