Does Sleep Affect Cancer Risk in Hindi: पर्याप्त मात्रा में नींद हमारे ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि अच्छी नींद न लेना कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण बन सकता है। नींद की कमी व्यक्ति में मोटापा, डायबिटीज, हार्ट से जुड़ी बीमारी, इम्यूनिटी को कमजोर करना और डिप्रेशन की समस्या को भी बढ़ा सकता है। लेकिन, कई लोगों का मानना है कि नींद व्यक्ति में कैंसर के जोखिम (sleep and cancer) को भी बढ़ सकता है। बता दें कि हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है? या कैंसर की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए? आदि जैसे कैंसर के जोखिम को कम करने को लेकर लोगों को जागरुक किया जा सकता है। ऐसे में यह जानना कि नींद और कैंसर के बीच क्या कनेक्शन है (Does sleep affect cancer risk), कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है। तो आइए हरियाणा के सोनीपत में स्थित एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल की रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट की सीनियर कंसल्टेंट और एचओडी डॉ. आशु यादव से जानते हैं कि क्या नींद कैंसर के खतरे को प्रभावित करती है (How does sleep affect your health)?
नींद का कैंसर के जोखिम से क्या संबंध है? - How Sleep Connected To Cancer Risk in Hindi?
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आशु यादव के अनुसार, "नींद कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकती है। कम सोना और बहुत ज्यादा सोना दोनों ही कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। कुछ अध्ययनों में रात में छह घंटे से कम सोने के कारण स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच संबंध पाया गया है। जबकि रात में नौ घंटे से ज्यादा सोने के कारण कोलोरेक्टल और फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ने की संभावना होती है। लेकिन, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अभी तक किए गए रिसर्च में नींद और कैंसर के बीच संबंध को दिखाया गया है। हालांकि, नींद और कैंसर के जोखिम के बीच संबंध को पूरी तरह से समझने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लेना आपके ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी होती है, इसलिए आप रोजाना रात को 7 से 9 घंटे की नींद का लक्ष्य रखें।
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नींद कैंसर के जोखिम को कैसे बढ़ाती है? - How Does Sleep Affect Cancer Risk in Hindi?
1. सर्कैडियन लय का बिगड़ना
शरीर की इंटरनल क्लॉक, जिसे सर्कैडियन लय के रूप में जाना जाता है, शरीर के महत्वपूर्ण बायोलॉजिकल प्रोसेस को कंट्रोल करती है। मॉर्निंग शिफ्ट, नाइट शिफ्ट आदि तरीके से इंटरनल क्लॉक के कारण हार्मोनल असंतुलन, इन्फ्लेमेशन बढ़ना और डीएनए डैमेज होने की समस्या बढ़ सकती है, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर के साथ इसके संबंध के कारण नाइट शिफ्ट वर्क को कार्सिनोजेन के रूप में दिखाया है।
2. मेलाटोनिन और कैंसर से बचाव
मेलाटोनिन, अंधेरे में सोने के दौरान बनने वाला एक हार्मोन है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को नियमित करने, ट्यूमर के विकास को दबाने और डीएनए डैमेज होने से बचाने में मदद करता है। ऐसे में खराब नींद और रात में आर्टिफिशिल रोशनी के संपर्क में आने से मेलातोनिन का स्तर कम हो जाता है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
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3. इंफ्लेमेशन और इम्यून डिसऑर्डर
खराब नींद की गुणवत्ता या नींद की कमी इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे यह कैंसर सेल्स का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में कम प्रभावी हो जाती है। इसके अलावा, नींद की कमी से लगातार इंफ्लेमेशन हो सकती है, जो कैंसर का कारण बन सकता है।
4. मोटापा और मेटाबोलिक डिसरेग्यूलेशन
खराब नींद मोटापे, इंसुलिन रेजिस्टेंस और मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ी हुई है, जो कोलोरेक्टल, पैंक्रियाटाइटिस और एंडोमेट्रियल कैंसर सहित कई कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। खराब नींद लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे भूख हार्मोन को बदल देती है, जिससे वजन बढ़ता है और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
बहुत ज्यादा सोना या नींद की कमी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए, कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है कि आप पर्याप्त मात्रा में नींद पूरी करने की कोशिश करें।
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