Sarcopenia And Type 2 Diabetes: खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। आज के समय में बीमारियों का खतरा बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी में तेजी से बढ़ा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण खराब जीवनशैली और असंतुलित खानपान ही है। सरकोपेनिया भी इसी तरह की एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में मांसपेशियों और हड्डियों में गंभीर कमजोरी या जाती है, जिसकी वजह से गंभीर दर्द समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि सरकोपेनिया की वजह से आप टाइप 2 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, सरकोपेनिया और टाइप 2 डायबिटीज में कनेक्शन और इससे बचाव के उपाय।
सरकोपेनिया क्या है?- What is Sarcopenia in Hindi
बढ़ती उम्र के साथ मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आम है। लेकिन कम उम्र में ही मांसपेशियों में कमजोरी और मसल लॉस जैसी समस्याएं सरकोपेनिया नामक बीमारी के कारण होती है। सरकोपेनिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एडवांस स्टेज का मसल्स लॉस होता है। इसकी वजह से मांसपेशियों की ताकत खत्म होने लगती है। 40 साल की उम्र में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और इसकी वजह से लोगों को गंभीर परेशानियों कासामना करना पड़ता है। भारत में सरकोपेनिया के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।
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सरकोपेनिया की वजह से हो सकता है टाइप 2 डायबिटीज- Sarcopenia Cause Type 2 Diabetes in Hindi
हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी पहले 65 साल के बाद देखने को मिलती है। लेकिन अब यह समस्या युवाओं में भी बढ़ रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ नवल के विक्रम और उनकी टीम द्वारा किए गए एक रिसर्च में कहा गया है, "डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को सरकोपेनिया की जांच जरूर करानी चाहिए। सरकोपेनिया की वजह से युवाओं में टाइप 2 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में भी सरकोपेनिया विकसित होने का खतरा कई गुना बढ़ा है।"
डॉ नवल ने कहा, समय पर इस बीमारी की स्क्रीनिंग होने से इसके इलाज में मदद मिलती है। मरीज में सरकोपेनिया का पता चलने पर मांसपेशियों की हानि से बचाने और सुधार करने के लिए हाई क्वालिटी प्रोटीन और व्यायाम आदि की सलाह दी जाती है। 20-60 वर्ष की उम्र के डायबिटीज के मरीजों में सरकोपेनिया का खतरा ज्यादा रहता है। इसकी सही समय पर पहचान और इलाज जरूरी है।
सरकोपेनिया से बचाव के उपाय- Sarcopenia Prevention Tips in Hindi
सरकोपेनिया जैसी गंभीर समस्या से बचाव के लिए हेल्दी डाइट और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए। सरकोपेनिया से बचाव के लिए आप नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखें-
प्रोटीन भरपूरडाइट- सरकोपेनिया जैसी गंभीर समस्या से बचने के लिए डाइट में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जैसे कि दूध, दही, अंडे, मांस, दालें, तिल, मछली, और सोया उत्पाद। प्रोटीन शरीर के मांसपेशियों के निर्माण में करता है और सरकोपेनिया के खतरे को कम करने में भी मददगार होता है।
नियमित व्यायाम- नियमित व्यायाम करना सरकोपेनिया को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। मांसपेशियों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करें, जैसे कि वजन प्रशिक्षण, योग, और एरोबिक व्यायाम।
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विटामिन और खनिजों का संतुलित सेवन- अपनी डाइट में विटामिन D, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और अन्य खनिजों को शामिल करें, जो मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
हाइड्रेटेड रहें- पानी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें, क्योंकि यह मांसपेशियों को संतुलित रखने में मदद करता है और सार्कोपेनिया को रोकने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा सरकोपेनिया से बचाव के लिए रेगुलर चेकअप जरूर कराएं। 25 से 30 साल की उम्र में एक बार सरकोपेनिया की जांच कराने से इसके खतरे को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, सरकोपेनिया की जांच डॉक्टर की सलाह लेकर जरूर कराएं। सही समय पर इस बीमारी की पहचान करने से इसके खतरे को कम करने और इसे ठीक करने में मदद मिलती है।
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