गुरुग्राम में डॉक्टरों ने महिला के शरीर से निकाला 8 किलो का ट्यूमर, जानें पूरा मामला

गुरुग्राम में एक 29 वर्षीय महिला के शरीर से 8 किलो का ट्यूमर पाया गया है। जिसे निकालने के लिए डॉक्टरों ने 4.5 घंटे की सर्जरी की। आइये जानते हैं।
  • SHARE
  • FOLLOW
गुरुग्राम में डॉक्टरों ने महिला के शरीर से निकाला 8 किलो का ट्यूमर, जानें पूरा मामला


ट्यूमर एक गंभीर समस्या है, इसे नजरअंदाज करने से कई बार इसका साइज बढ़ता जाता है, जो जानलेवा तक साबित हो सकता है। ऐसा ही एक मामला गुरुग्राम से सामने आया है, जहां एक 29 वर्षीय महिला के शरीर से 8 किलो का ट्यूमर पाया गया है। हालांकि, डॉक्टरों ने इसकी सर्जरी कर सफलतापूर्वक इसे निकाल दिया है। आइये जानते हैं पूरे मामले के बारे में। 

क्या है मामला? 

दरअसल, भिवाड़ी निवासी मरीज ललिता को पिछले कुछ समय से शरीर में असहजता महसूस हो रही थी, जिसके बाद वे डॉक्टर के पास गईं। गुरुग्राम के आर्टेमिस हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा जांच करने पर उसकी शरीर में 8 किलो के ट्य़ूमर होने का पता चला। महिला को फिब्रॉइड ट्यूमर था। जो गर्भ के आस-पास पाया जाता है। महिला को कुछ समय से सांस लेने में कठिाई, शरीर में तेज दर्द होने के अलांवा काफी असहजता महसूस हो रही थी। इसके बाद चिकित्सकों द्वारा तत्काल रूप से यह सर्जरी कर शरीर से ट्यूमर को निकाल दिया गया। इस दौरान महिला के यूट्रेस के साथ ही किसी भी इंटर्नल पार्ट को नुकसान नहीं पहुंचा। 

इसे भी पढ़ें - भारत में कैंसर से क्यों हो रही है महिलाओं की ज्यादा मौतें? स्टडी में खुलासा, सही इलाज से बचाई जा सकती है जान

4.5 घंटे तक चली सर्जरी

यह ट्यूमर 8 किलो और 19.68 इंच का था, जिसे निकालने में चिकित्सकों को सावधानी बरतने के साथ ही अधिक समय भी लगा। यह सर्जरी कुल 4.5 घंटों तक चली थी। यह सर्जरी डॉ. दीपा महेश्वरी, डॉ. स्मिता वत्स और डॉ. तपन चौहान, सर्जरी ऑन्कोलॉजी द्वारा की गई थी। डॉ. दीपा के मुताबिक इस ट्यूमर के चलते महिला को फर्टिलिटी में भी समस्या आ सकती थी, लेकिन अब इसे हटाने से वे पूरी तरह से ठीक है। 

tumor

क्या है यूट्रीन फाइब्रॉएड?

दरअसल, यूट्रीन फाइब्रॉएड महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। यह एक प्रकार का नॉन कैंसरस ट्यूमर है, जिसकी आशंका कैंसर में तब्दील होने की काफी कम होती है। कई महिलाओं में इसका पता भी नहीं लगता है। आमतौर पर मोटापे, बच्चे कंसीव नहीं कर पाने वाली महिलाओं के साथ ही कई बार जेनेटिक कारणों को भी इसके पीछे जिम्मेदार माना जाता है। 

Read Next

समय से पहले बच्चे का जन्म होने के मामले भारत में 20 प्रतिशत तक ज्यादा, जानें क्या कहती है नई स्टडी

Disclaimer