कोरोना की जद में दुनिया भर के डॉक्टर्स और नर्स, जानें क्यों जरूरी है इनकी सुरक्षा और क्या हैं इसके उपाय?

महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 800 पार होने वाली है, जिसमें डॉक्टर्स और नर्स भी शामिल हैं।  ऐसे में मेडिकल स्टाफ को बचाना जरूरी हो गया है।
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कोरोना की जद में दुनिया भर के डॉक्टर्स और नर्स, जानें क्यों जरूरी है इनकी सुरक्षा और क्या हैं इसके उपाय?


भारत में कोरोनावायरस बड़ी तेजी से पैर पसार रहा है। अब इसके जद में सिर्फ आम आदमी ही नहीं ,बल्कि डॉक्टर और नर्स भी आ रहे हैं। ऐसी ही एक खबर मुंबई से आई है, जहां के एक अस्पताल में डॉक्टर्स और नर्सों के कोरोना से संक्रमित होने के बाद अब हड़कंप सा मचा गया है। यहां एक हफ्ते में 26 नर्सों और 3 डॉक्टरों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद वॉकहार्ट हॉस्पिटल (Wockhardt Hospital) को बीएमसी ने सील कर दिया है। अब यहां पर महत्वूपर्ण टीमों के अलावा कोई भी नहीं जा सकेगा। वहीं अब इस जोन में तब तक किसी व्यक्ति को एंट्री और एग्जिट नहीं मिलेगी, जब तक कि यहां के लोगों के टेस्ट दो बार निगेटिव नहीं आ जाते। अब यहां इतने बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमण के मामले सामने आने के बाद हॉस्पिटल के तकरीबन 270 कर्मचारियों और मरीजों के सैंपल्स टेस्ट के लिए भेज दिए गए हैं। साथ ही, जिन नर्सों के टेस्ट पॉजिटिव आए हैं, उन्हें विले पार्ले स्थित क्वार्टर्स से हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है। अब इन सबके बीच अडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर सुरेश काकनी ने कहना है कि एग्जिक्युटिव हेल्थ ऑफिसर की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया गया है, जो यह पता करेगी कि हॉस्पिटल की इतनी समुचित व्यवस्था के बीच भी ये वायरस कैसे फैल गया।

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 ये खबर इसलिए भी बहुत डरावानी है क्योंकि अगर डॉक्टर और नर्स खुद ही बीमार पड़ जाएंगे तो बाकी लोगों का क्या होगा। पूरी दुनिया में इस समय नागरिकों को कोरोनोवायरस से बचाने के लिए घरों में बंद कर दिया गया है पर COVID-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मी लोगों को बचाने की कोशिश करते हुए खुद को खतरे में डाल रहे हैं। तो क्या अब वो समय नहीं आया है, जब हमें अपने स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने के बारे में सोचना चाहिए।

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डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ भी हो रहे हैं कोरोना वायरस के शिकार

COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में शामिल डॉक्टरों की दुनिया भर से मौतों की खबर ने स्वास्थ्य कर्मियों को दैनिक आधार पर खुद को खतरे में डाल दिया है। यह पिछले महीने चीन में 34 वर्षीय व्हिसलब्लोअर डॉ. ली वेनलियानग की अत्यधिक प्रचारित मौत के साथ भी स्पष्ट हो गया था। अभी हाल ही में, इटली के डॉक्टर सुरक्षात्मक दस्ताने के बिना काम करते हुए बीमारी के शिकार हुए और उनकी मौत हो गई। वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी)  से पता चलता है कि लक्षणों के दिखने पर या शक होने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कम से कम 2 सप्ताह के लिए काम से बाहर रखा जा सकता है। जो कि आम लोगों के लिए एक जटिल परेशानी बन सकती है। वहीं ये स्थिति बहुत बढ़ जाने पर डॉक्टरों और नर्सों से पूरे अस्पताल में इंफेक्शन फैल सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों के कमी के कारण लोगों की इंफेक्शन से मौत हो सकती है और इस तरह डॉक्टरों और नर्सों का संक्रमित होना एक भयावह स्थिति पैदा कर देगी। ऐसे में कुछ चीजें डॉक्टरों की मदद की जानी चाहिए। जिनमें से एक हैं रोगियों और स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों दोनों के डायरेक्ट एक्सपोजर को रोकना। 

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रोगियों और स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों दोनों के डायरेक्ट एक्सपोजर रोकने के अलावा ये कुछ और तरीके भी हैं, जो डॉक्टरों और नर्सों को बचाव करने में मदद कर सकते हैं।

  • - डॉक्टर और नर्स आइशोलेशन वार्ड में जाने से पहले रोगियों और अपने एक्सपोजर को लेकर सचेत रहें। कोशिश करें उनके और अपने बीच एक गैप रखें और बॉडी टेंम्प्रेचर और बाकी चीजों को मांपने के लिए अपने एक हाथ का ही उपयोग करें और बिना दस्ताने के ये न करें।
  • - डॉक्टर भी अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करके या 20 सेकंड के लिए साबुन और पानी से हाथ धोने से हाथ साफ करें।
  • -हेल्थकेयर कार्यकर्ताओं को साफ दस्ताने, साफ अलगाव वाले गाउन, श्वसन यंत्र और आंखों की सुरक्षा के लिए कपड़े पहनने चाहिए।
  • -कोशिश करें कि इन स्पेशल गाउन को हर रोगी को देख के आने का बाद आप साफ करवाएं।
  • -प्रक्रिया का उपयोग करते समय सावधानी बरतें। जैसे कि रोगी को खांसी कर सकता है, जब आप उसका चेकअप करें। इस दौरान अपने आप को उससे अलग रखते हुए इलाज करने की कोशिश करें।
  • -मरीजों की निगरानी, प्रबंधन और प्रशिक्षण के लिए मोनिटर्स लगाएं।
  • -साझा क्षेत्रों में रोगियों और डॉक्टरों के बीच एक पर्दे का इस्तेमाल करें।
  • -संक्रमित रोगियों के लिए अलग-अलग विशेष चिकित्सा उपकरण का उपयोग किया जाना चाहिए और चीजें के डिस्पोजेबल, उपकरण को साफ का खास ख्याल रखें।
  • -साथ ही सरकारों को ऐसे आइशोलेशन वाले कमरे तैयार करना चाहिए जहां से नर्स और डॉक्टर मरीज की ऑनलाइन तरीके से निगरानी करें और बहुत जरूरी होने पर या चेकअप टाइमिंग में ही उनके पास जाएं।

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