क्या आपके बच्चे के दूध के दांत आपको चिंतित करते हैं? विशेषज्ञों का अनुमान है की भारत में हर दूसरे बच्चे के दांतों में कैविटीज़ हैं, और अगर इनकी रोकथाम नहीं की गई तो गंभीर दंत रोग हो सकते हैं जिनका असर बच्चे के समग्र विकास पर पड़ सकता है। यूएस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एंड क्रेनियोफेसियल रिसर्च के अनुसार 2 से 11 साल के 42 प्रतिशत बच्चों के प्रारंभिक दांतों में कैविटी विकसित होती है और 2 से 5 वर्ष के लगभग 28 प्रतिशत बच्चों के दांतों में कम से कम एक कैविटी विकसित होती है।
कैविटी का तात्पर्य दन्त क्षय है जो दांतों के ऐनेमल यानी उनकी बाहरी परत को क्षतिग्रस्त करती है। ऐसा तब होता है जब बैक्टीरिया प्लाक के रूप में शुगर युक्त खाद्य पदार्थों पर प्रतिक्रिया करता है, इससे अम्ल का निर्माण होता है जो ऐनेमल पर हमला कर उसे नष्ट करता है। डेंटल प्लाक एक चिपचिपा, लसलसा पदार्थ होता है जो अधिकांशतः रोगाणुओं से बना होता है जो की दन्त क्षय की वजह बनते हैं, यह दांतों पर चिपक जाता है और ऐनेमल को खाने लगता है।
बच्चों में कैविटी के लक्षण
क्लोव डेंटल के सीसीओ डॉक्टर विमल अरोड़ा कहते हैं कि, "बच्चों में कैविटीज़ बहुत आम हैं। खानपान व मुख की स्वच्छता संबंधी खराब आदतों के चलते बच्चों के दांतों में डेंटल प्लाक बहुत जल्दी विकसित होता है। यदि आपके बच्चे के दांतों में दर्द होता है, उनमें छिद्र हैं तो निश्चित रूप से ये कैविटी के लक्षण हैं। इसे अनदेखा करने से दन्त क्षय और अधिक बढ़ सकता है और दांतों के भीतरी हिस्से नष्ट होने लगते हैं।"
बच्चों में कैविटी से होने वाली समस्याएं
यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और मर्डोक चिल्ड्रंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (रॉयल चिल्ड्रंस हॉस्पिटल, मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया) के हालिया अध्ययन में यह पाया गया है की कैविटीज़ का जोखिम पैदा करने के लिए पर्यावरणीय कारक भी जिम्मेदार हैं। डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक यह जरूरी है की अभिभावक इस समस्या के विभिन्न आयामों के प्रति जागरुक बनें और यह जानें की यह एक आम किन्तु रोकी जा सकने वाली बीमारी है। दूध के दांतों व स्थायी दांतों में कैविटीज़ होने से बच्चों के दांतों में दर्द हो सकता है और उन्हें खाने, बोलने, सोने व पढ़ने में परेशानी हो सकती है। यह जरूरी है की दूध के दांतों व स्थायी दांतों दोनों की रक्षा की जाए।
दूध के दांतों में कैविटीज़ हो सकती है और स्थायी दांतों में संक्रमण विकसित हो सकता है। बच्चों के दांतों में खास तौर पर दन्त क्षय एक गंभीर स्थिति है, यह संक्रामक रोग है जो तेजी से फैल सकता है और सावधानी न बरतने पर संक्रमण हो सकता है। लेकिन अच्छी बात यह है की इसकी रोकथाम की जा सकती है और इसका इलाज मुमकिन है।
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कैविटी का हो सकता है उपचार
क्लोव डेंटल में डिप्टी ज़ोनल क्लीनिकल हेड डॉक्टर जयना गांधी का कहना है, "बच्चों में होने वाली कैविटीज़ का विभिन्न विधियों से उपचार किया जा सकता है जैसे डेंटल सीलेंट और फ्लोराइड वार्निशिंग व डेंटल फिलिंग। डेंटल सीलेंट तब दांतों की रक्षा करते हैं जब बच्चों में दंत क्षय होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। यह फिलिंग के मुकाबले सस्ती है। जबकी फ्लोराइड वार्निश एक गाढ़ा तरल होता है जो एक छोटे डिस्पोज़ेबल ब्रश की मदद से दांतों पर पेन्ट किया जाता है। यह दांतों के ऐनेमल को मजबूती देता है और दंत क्षय की रोकथाम में मददगार है।"
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बच्चों को दें अच्छी सीख
डेंटल प्लाक और कैविटी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर बच्चों के मामले में, क्योंकि यह समय के साथ बढ़ता जाता है और मुख स्वास्थ्य को खराब करता है। अपने बच्चों को मुख स्वास्थ्य की अच्छी आदतें सिखाएं जैसे नियमित ब्रश करना, उन्हें बहुत सी मीठी चीजें खाने से रोकें और साथ ही उन्हें पौष्टिक व संतुलित आहार खिलाएं। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है की डेंटिस्ट के पास जाएं और उनसे कैविटी की जांच कराएं।
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