'अगर दोस्त फेल हो जाए, तो दुख होता है, लेकिन दोस्त अगर फर्स्ट आ जाए, तो और दुख होता है।' कितना सटीक है फिल्म 'थ्री-इडियट्स' का यह संवाद। परीक्षा के नतीजे आने के बाद अपने नंबरों के बाद आप सबसे पहले अपने करीबी दोस्त के नंबर देखते हैं। और अगर कहीं उसके नंबर आपसे ज्यादा हुए, तो भई खुशी तो क्या होती होगी, लेकिन सीने में जलन जरूर आ जाती है। आखिर उसके इतने नंबर कैसे आ गए। हालांकि, इस भावना से बचना आसान नहीं, यह मानवीय स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन, फिर भी इसके असर को तो कम किया ही जा सकता है।
उससे पूछें खास तैयारी
आप दोनों एक ही जगह एक्स्ट्रा क्लास लेते थे, लेकिन फिर भी उसके नंबर ज्यादा आए। यानी उसकी और आपकी तैयारी में कुछ तो फर्क रहा होगा। संभव है कि उसका तैयारी करने का अंदाज आपसे बेहतर हो। वह आपसे बेहतर तरीके से चीजों को समझ पाता हो। या उसने किसी खास अंदाज में नोट्स बनाये हों। याद रखिये कामयाबी के लिए सिर्फ मेहनत करना काफी नहीं होता। सही अंदाज और सही तरीके से मेहनत करना ज्यादा मायने रखता है। आप उससे पूछ सकते हैं कि उसने कैसे तैयारी की। तैयारी का यह स्मार्ट तरीका आपको जीवन भर काम आएगा।
उसकी मेहनत को स्वीकारें
आखिर वह आपका दोस्त है... आपका। तो उसमें कुछ तो बात होगी। उसकी मेहनत को सराहिये। उससे जलने के बजाय उसे अपना प्रेरणास्रोत बनाया जा सकता है। आखिर दोस्त से अच्छा प्रेरणास्रोत भला दूसरा कौन हो सकता है। आप उससे खुलकर बात कर सकते हैं। अपनी कमजोरियों और चूक के बारे में संवाद कर सकते हैं। ऐसा करते हुए अपनी ईर्ष्या की भावना को भूल जाएं।
जो हुआ उसे स्वीकार करें
जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता। परिणाम आपके सामने है। अब कुछ किया तो जा नहीं सकता। सोचिये और देखिये कि आपका दोस्त कितना खुश है। उसकी खुशी का हिस्सा बनिये। उसकी खुशी में शामिल हो जाइए। खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। तो आप भी उसकी खुशियों में इजाफा करें। और देखिये आप भी कितने खुश हो जाते हैं।
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नजरिया बदलें
चीजों को देखने का अपना तरीका बदलें। इससे आपको काफी मदद मिलेंगी। दरअसल, आपकी नजर ही हालात बनाती हैं। चीजों को देखने का अपना नजरिया बदलें। अच्छा सोचें और आगे बढ़ें। अगर आप ईर्ष्या में जकड़े रहेंगे तो भविष्य की योजनायें कैसे बनायेंगे।
पार्टी तो बनती है
अब आपके दोस्त के नंबर ज्यादा आए हैं, तो जलने की कोई बात नहीं। आपकी तो शाम की पार्टी पक्की हो गई। आप बड़े अधिकार के साथ उसे कह सकते हैं कि यारा पार्टी तो दे दे। और हां, क्योंकि वह आपका दोस्त है, तो आपका पूरा हक बनता है कि पार्टी का मैन्यू आप डिसाइड करें।
ईर्ष्या आप ही का नुकसान करती है। बेहतर है कि आप इस भावना से बचें। अपनी पुरानी गलतियों से सीखें। और खुद को बेहतर के लिए तैयार करें। आपके दोस्त से खूबियां लें और उन्हें अपने हिसाब से अपने जीवन का हिस्सा बनायें।
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