ट्यूबरक्लोसिस आपके फेफेड़ों से जुड़ा रोग है। यह रोग संक्रामक और गैर-संक्रामक दोनों ही तरह का होता है। पूरी दुनिया में हर साल टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस रोग से व्यक्ति को जान का जोखिम हो सकता है। जबकि, हर साल कई लोगों को इस बीमारी के कारण जान गंवानी पड़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2030 तक दुनिया को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। यह बीमारी फेफड़ों के कार्य को प्रभावित करती है और इसकी वजह से शरीर के अन्य अंगों के कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं। इस समस्या में मरीज को लगातार खांसी, थकान, वजन कम होना और बुखार की समस्या हो सकती है। इलाज में देरी के कारण यह रोग व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकता है। इस लेख में जानते हैं कि टीबी की समस्या के संक्रामक और गैर संक्रामक प्रकार में क्या अंतर हो सकते हैं।
संक्रामक और गैर-संक्रामक टीबी के बीच क्या अंतर हो सकते हैं? - Difference Between Infectious And Non-Infectious Tuberculosis In Hindi
टीबी रोग संक्रामक व गैर-संक्रामक हो सकता है। डॉ. नवनीत सूद, सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन, नारायणा अस्पताल से जानते हैं कि टीबी के इन दोनों प्रकार के बीच क्या अंतर होता है।
संक्रामक टीबी
संक्रामक टीबी, बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के शरीर के भीतर तेजी से बढ़ते हैं। इससे व्यक्ति को टीबी की समस्या हो जाती है। रोगी के खांसते, छींकते या बोलते समय हवा के छोटे कण (एयर ड्रॉपलेट्स) के द्वारा यह बैक्टीरिया अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता हैं। दरअसल, यह बैक्टीरिया अन्य व्यक्ति को सांस के माध्यम से या खाने के द्वारा संक्रमण फैला सकते हैं।
संक्रामक टीबी में व्यक्ति को लगातार खांसी, बुखार, रात में पसीना आना, वजन कम होना और थकान हो सकती है। ये लक्षण फेफड़ों के संक्रमण के प्रभाव और रोग की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें रोग को रोकने के लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। इसमें डॉक्टर मरीज को छाती का एक्स-रे और खून व थूक की जांच के लिए कह सकते हैं। इसके बाद रोग की मौजूदा स्थिति के आधार पर डॉक्टर इलाज कर सकते हैं।
गैर-संक्रामक टीबी रोग
गैर-संक्रामक टीबी एक ऐसी स्थिति को बताता है, जिसमें टीबी के बैक्टीरिया व्यक्ति के शरीर के भीतर पहले से ही मौजूद होते हैं। लेकिन, यह सक्रिय रूप से बैक्टीरिया को बढ़ाते नहीं है या दूसरों में फैलते नहीं हैं। गैर-संक्रामक टीबी उन व्यक्तियों में हो सकता है, जिन्होंने पहले सक्रिय टीबी का इलाज का पूरा कोर्स कंप्लीट कर लिया हो। इसमें इलाज में बैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से दबा दिया जाता है।
लेटेंट टीबी इंफेकसियस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति सक्रिय रोग के लक्षण प्रदर्शित किए बिना बैक्टीरिया को शरीर के अंदर रखता है। हालांकि लेटेंट टीबी संक्रामक नहीं है, फिर भी व्यक्ति को एक्टिव टीबी होने का जोखिम रहता है। विशेष रूप से कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों में यह टीबी का कारण बन सकता है।
इस दौरान व्यक्ति को नियमित जांच की आवश्यक हो सकती है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति में टीबी की समस्या किसी भी समय हो सकती है। डॉक्टर इस दौरान आइसोनियाज़िड (आईएनएच) प्रिवेशन थेरेपी को बचाव प्रक्रिया में शामिल कर सकते हैं।
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एक्टिव टीबी से बचने के लिए आप रोगी से दूरी बनाकर रखें। साथ ही, टीबी के मरीज के साथ खाना शेयर न करें। इसके अलावा, टीबी के मरीज से मिलते समय अपने मुंह में मास्क लगाएं। साथ ही, मरीज को भी मास्क लगाने की सलाह दें। बच्चों और जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है उन्हें रोगी से दूर रखें।
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