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टीबी और पल्मोनरी फाइब्रोसिस किस तरह एक-दूसरे से अलग हैं? जानें डॉक्टर से

Difference Between TB And Pulmonary Fibrosis In Hindi: टीबी और पल्मोनरी फाइब्रोसिस, दोनों ही सांस से संबंधित समस्याएं हैं। फिर भी इनके बीच कुछ बुनियादी फर्क हैं। जानें, इनके बारे में-
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टीबी और पल्मोनरी फाइब्रोसिस किस तरह एक-दूसरे से अलग हैं? जानें डॉक्टर से

Difference Between TB And Pulmonary Fibrosis In Hindi: टीबी और पल्मोनरी फाइब्रोसिस दोनों ही लंग्स से जुड़ी समस्याएं हैं। इसलिए, कई बार लोग इनके लक्षणों को देखते हुए कंफ्यूज हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि दोनों बीमारी एक-दूसरे का एक्सटेंशन है या फिर जिसे टीबी हुआ है, उसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस जरूरत होता है। इसी तरह, जिसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस हुआ है, उसे भविष्य में कभी न कभी टीबी हो सकता है। अगर आप भी इस तरह की बातों पर भरोसा करते हैं, तो हम आपको यहां बता रहे हैं आखिर पल्मोनरी फाइब्रोसिस और टीबी एक-दूसरे से कैसे अलग हैं? इनमें क्या-क्या लक्षण नजर आते हैं और इनसे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है। इस बारे में हमने मुंबई स्थित जिनोवा शाल्बी हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. तन्वी भट्ट से बात की।

टीबी और पल्मोनरी फाइब्रोसिस कैसे अलग हैं?- Difference Between TB And Pulmonary Fibrosis In Hindi

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लक्षण

टीबी होने पर व्यक्ति को कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जिसमें मुख्य हैं बार-बार खांसी होना, बलगम निकलना, बुखार, अचानक वजन कम होना और रात के समय पसीना आना। वहीं, पल्मोनरी फाइब्रोसिस की बात करें, तो इसमें व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है, सूखी खांसी होती है और इसमें भी व्यक्ति का वजन अचानक कम होने लगता है। पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने पर व्यक्ति जरा-सी फिजिकल एक्टिविटी करने में थक जाता है, भाग-दौड़ करते हुए सांस फूलने लगती है। चूंकि, पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण लंग्स की टिश्यूज में स्कार्स आ जाते हैं और टिश्यूज स्टिफ हो जाती हैं। ऐसे में बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई भी बाधित हो सकती है।

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कारण

पल्मोनरी फाइब्रोसिस और टीबी दोनों के होने के अलग-अलग कारण होते हैं। जैसे टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लॉसिस की वजह से होता है। यह एक गंभीर इंफेक्शन है। यह एक से दूसर व्यक्ति को भी फैल सकता है। इसलिए, अगर घर में किसी को टीबी है, तो बहुत जरूरी है कि व्यक्ति सभी जरूरी सावधानियां बरतें। वहीं, अगर हम पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण की बात करें, तो एक तरह का रेस्पीरेटरी डिजीज है। हालांकि, विशेषज्ञ भी अब तक इसके कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं। लेकिन, कुछ केमिकल्स, दवाओं का सेवन या बहुत ज्यादा स्मोकिंग करने की वजह से पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी लंग्स से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

लंग्स में बदलाव

जैसा कि हमने कुछ देर पहले ही पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण लंग्स टिश्यूज थिक और स्टिफ हो जाती हैं। इसकी वजह से लंग्स में स्कार आ जाते हैं, जो सांस से जुड़ी समस्याओं का मुख्य कारण बन जाता है। असल में, पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने पर लंग्स सही तरह से फंक्शन नहीं करता है। वहीं, टीबी की बात करें, तो यह लंग्स में माइक्रोस्कॉपिक इंजुरी और फाइब्रोटिक बदलाव का कारण बन सकता है। आपको बता दें कि माइक्रोस्कॉपिक इंजुरी इस किस्म की चोट होती हैं, जिन्हें माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। वहीं, फाइब्रोटिक बदलाव का मतलब है कि लंग टिश्यूज का थिक और स्टिफ होना है। यह बिल्कुल पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसा ही होता है।

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पल्मोनरी फाइब्रोसिस और टीबी को रोकने के तरीके

टीबी के लिए

  • टीबी होने पर डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें।
  • सभी दवाएं समय पर लें।
  • जब भी खांसें या छींके मुंह और नाक पर हाथ रखना न भूलें।
  • दूसरों के मुंह के सामने खांसने-छींकने से बचें।
  • टीबी होने पर अलग कमरे में सोएं।
  • टीबी के मरीजों को भीड़ भरे इलाकों में से जाने से बचना चाहिए।

पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लिए

  • पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने पर मरीज को स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए।
  • पल्मोनरी फाइब्रोसिस के मरीजों को हेल्दी डाइट लेनी चाहिए।
  • एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं।
  • पर्याप्त रेस्ट जरूर करें।
  • एसे केमिकल्स से दूर हरें, जो पल्मोनरी फाइब्रोसिस का ट्गिर कर सकते हैं।
All Image Credit: Freepik

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