डाइट सोडा (Diet Soda) दुनिया भर में लोकप्रिय पेय पदार्थ में से एक हैं, खासकर उन लोगों के बीच जो वजन घटाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। दिलचस्प बात ये है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए 1950 के दशक में डाइट सोडा पहली बार लाया गया था, हालांकि बाद में वजन घटाने वाले लोगों के लिए ये सबसे ज्यादा चर्चित हो गया। चीनी और कैलोरी से मुक्त होने के बावजूद, आज भी शोधकर्ता इसके स्वास्थ्य लाभों पर गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में आए शोध ने वेट-लॉस के लिए डाइट सोडा का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसे होशियारी से इस्तेमाल करने को कहा है। उनकी मानें, तो डाइट सोडा का ज्यादा सेवन डायबिटीज और दिल जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
क्या है डाइट सोडा (What Is Diet Soda)?
डाइट सोडा अनिवार्य रूप से कार्बोनेटेड पानी, कृत्रिम या प्राकृतिक स्वीटनर और इटेबल कलर्स जैसे अन्य खाद्य पदार्थों का मिश्रण है। इसमें आमतौर पर बहुत कम कैलोरी होती है और कोई बेहद महत्वपूर्ण पोषण नहीं होता है। उदाहरण के लिए, डाइट कोक के 12 औंस में कोई कैलोरी, चीनी, फैट या प्रोटीन नहीं होता है और 40 मिलीग्राम सोडियम होता है। हालांकि, कृत्रिम मिठास का उपयोग करने वाले सभी सोडा कैलोरी या चीनी मुक्त नहीं हैं पर डाइट सोडा को लेकर माना जाता है कि ये शुगरलेस होता है।
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वजन घटाने के लिए डाइट सोडा कैसे काम करता है (Diet Soda For Weight Loss)
डाइट सोडा आमतौर पर कैलोरी-मुक्त होता है, जिसे स्वाभाविक रूप से वजन घटाने के लिए सहायक माना जाता है। हालांकि, शोध से पता चलता है कि वेट लॉस और डाइट सोडा (diet soda and weight loss) का संबंध इतना भी कारगार नहीं है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कृत्रिम मिठास और उच्च मात्रा में डाइट सोडा पीने से मोटापा और चयापचय सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ये भूख हार्मोन को उत्तेजित करके, मीठे स्वाद रिसेप्टर्स को बदलकर और मस्तिष्क में डोपामाइन प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकता है।एक अन्य सिद्धांत बताता है कि वजन बढ़ाने के लिए डाइट सोडा के सहसंबंध को आहार के गलत आदतों से जोड़ा गया है। ये खूद असर तो नहीं करता पर ये आपकी भूख बढ़ा देता है, जिससे बार-बार खाने पीने का मन होता है। इस तरह डाइट सोडा वजन बढ़ाने का कारण बनता है।
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डाइट सोडा बढ़ाते हैं मधुमेह और हृदय रोग का खतरा (Diet Soda increases risk of Diabetes And Heart Disease)
हालांकि डाइट में कोई कैलोरी, चीनी या वसा नहीं है, इसे कई अध्ययनों में टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के विकास से जोड़ा गया है। शोध में पाया गया है कि प्रतिदिन कृत्रिम रूप से मीठे पेय लेना टाइप -2 मधुमेह के जोखिम को 8–13% तक बढ़ाता है। 64,850 महिलाओं में एक अध्ययन के अनुसार डाइट सोडा इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह के विकास के 21% अधिक जोखिम को देखा गया है। इसके साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को भी बढ़ाता है।
हालांकि डाइट और बढ़े हुए ब्लड शुगर या रक्तचाप के बीच कोई वास्तविक संबंध तो नहीं मिला है पर वजन घटाने के लिए अगर आप डाइट सोडा का इस्तेमाल कतर रहे हैं, तो थोड़ा होशियार जरूर रहें। अपने डाइटिशियन से इसे लेकर बात कर लें और तभी इस पर अमल करें। वहीं साइंस की दुनिया में इस विषय पर प्रयोगात्मक अनुसंधान की और आवश्यकता है।
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