प्र. मेरे डॉक्टर ने मुझे पोषक तत्वों के अनुपूरक लेने के लिए कहा है। लेकिन, मेरा मानना है कि भोजन के प्राकृतिक स्रोत हमारी विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है। क्या आप इस समस्या को सुलझाने में मदद कर सकते हैं?
हमारे भोजन के प्राकृतिक स्रोत हमारे शरीर की पोषण की मांगों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका हैं, लेकिन यदि उन्हें सही फार्म और सही मात्रा में खाया जाए। बहरहाल, आज हम पर्यावरण प्रदूषकों जैसे सिगरेट का धुआँ, धूम-कोहरा, पीने के पानी में रसायनों, शराब और इत्यादि के संपर्क में आते हैं। ये हमारे शरीर में विष-मुक्त कणों का उत्पादन करता है और हमारे वर्तमान, दैनिक भोजन के पैटर्न हमें पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट नहीं देते जो हमें इन विष-मुक्त कणों के खिलाफ की सुरक्षा प्रदान करें। ताजा फलों और सब्जियों के पकते ही तुरंत खा लेने से पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। लेकिन, इन ताजा फलों और सब्जियों के पोषक तत्व खेत से आपके रसोईघर तक की यात्रा के बीच खो जाते हैं। एक बार रसोईघर में आने के बाद हम भोजन को अधिक पकाते, तलते, उसका मिश्रण और यहां तक कि बचे हुए भोजन को बार-बार गरम करते हैं। इस प्रकार भोजन के महत्वपूर्ण पोषक तत्व पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। चावल को पॉलिश करके सफेद बनाने और गेहूं को मैदा के रुप में परिष्कृत करने जैसे वर्तमान तरीकों ने हमारे शरीर में पोषक तत्वों की और कमी कर दी है। इस तरह के खाद्य पदार्थ न केवल हमें आवश्यक पोषक तत्व देने में असफल रहते हैं बल्कि हम से अन्य पोषक तत्व भी ले लेते हैं क्योंकि इनके पाचन में अधिक प्रयास लगते हैं। इसके अलावा जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, पोषक तत्वों को पचा लेने की हमारी क्षमता अपर्याप्त हाइड्रोक्लोरिक एसिड के कारण घटती जाती है।
एंटीबायोटिक दवाओं का लगातार सेवन आंतों की फोरा को गड़बड़ कर देता है जिससे फायदेमंद बैक्टीरिया की कमी हो जाती है। एक लंबे समय के बाद, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमियां शरीर पर असर दिखाने लगती हैं जिनमें बाल झड़ना, त्वचा में आभा की कमी, वजन वृद्धि, अनियन्त्रणीय भूख, मीठा खाने की इच्छा होना, ऊर्जा का स्तर कम होना, मनः स्थिति बदलते रहना, त्वचा पर रैशिज होना आदि शामिल हैं। जब पोषक तत्वों की कमी, तनाव के उच्च स्तर और थोड़ा या बिल्कुल व्यायाम नहीं किया जाता तो जीवन शैली से जुड़ी बीमारियां जैसे मधुमेह टाइप II, कोरोनरी धमनी रोग, और उच्च रक्तचाप और इत्यादि हो सकती हैं। इसलिए ऐसा व्यक्ति जिसे विटामिन की जरूरत नहीं है मिलना दुर्लभ है। आज की आधुनिक और प्रदूषिणयुक्त दुनिया में जीने के लिए पौष्टिक अनुपूरण की जरूरत है। इसलिए, विटामिन, खनिज, और एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसे विटामिन ए, सी, ई, सेलेनियम आदि लेने की जरूरत है।
इस प्रकार, आज की दुनिया में फिट रखने के लिए अपने शरीर की अपनी रक्षा प्रणाली को विटामिन की अनुपूरक खुराक लेके सुदृढ़ बनाएं।
प्राकृतिक टॉनिक
प्र. मैं 40 वर्षीय कार्यकारी अधिकारी हूं। मैं दिन में काम पर और मीटिंग में जाने के लिए कम से कम 4 घंटे यात्रा करता हूं। मेरी दिनचर्या बहुत व्यस्त है जिससे मुझे व्यायाम करने के लिए मुश्किल से ही समय मिलता है। क्या ऐसे कुछ प्राकृतिक खाद्य पदार्थ हैं जिनसे ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद मिले?
पर्यावरण के विभिन्न दबाव जैसे धुंआ, धूम-कोहरा, शोर, तनाव हमें मानसिक रूप से थका देते हैं और ऊर्जा स्तरों में कमी पैदा कर देते हैं। यद्यपि हम पर्यावरण के दबावों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, हम क्या खा सकते हैं इसे हम निश्चित रूप से नियंत्रित कर सकते हैं। प्रकृति के सबसे अच्छे टॉनिक को शामिल करने की कोशिश करें और अपनी ऊर्जा के स्तरों को बढ़ाएं।
- अंकुरित आनाज से शुरू करें: अंकुरित दालें सबसे अच्छे क्षारीय खाद्य पदार्थ हैं जो तनाव, प्रदूषण, बाहर का खाना खाने की वजह से उत्पन्न अम्लों को बेअसर करती हैं और रोग की स्थितियों और कम ऊर्जा स्तरों को और भी घटा देती हैं। अनाजों को अंकुरित करने से उनके अंदर के प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज शरीर के लिए पाचन से पूर्व अधिक उपयोगी हो जाते हैं। इसके के अलावा अंकुरित मूंग, पूरा गेहूं, काबुली चना, काला चना, कीट, मोठ, साबुत मसूर, ज्वार, बाजरा, सोया बीन, अल्फला बीज आदि भी अंकुरित किए जा सकते हैं।
- सब्जियों का पानी पीएं: सब्जियों के रस में रेशे नहीं होते हैं, लेकिन क्षारीय खनिज लवण, क्लोरोफिल (पौधों में हरा रंग) और एंजाइम अधिक होते हैं। सब्जियों का रस पीन...