आहार वह जंतु या पादप उत्पाद है, जो मनुष्य या पशुओं के द्वारा शरीर को पोषण देने के उद्देश्य से ग्रहण किया जाता है। भोजन में जंतु और पादप उत्पादों की एक बड़ी रेंज और पेय पदार्थ, जैसे-पानी, दूध, जूस आदि आते हैं। जो भोजन हम लेते हैं, उन्हें शरीर सूक्ष्म और सरल अवयवों में तोड़ता है, और जीवन निर्वाह एवं वृद्धि के लिए ऊर्जा प्राप्त करता है।
भोजन जीवन के लिए अनिवार्य है, और प्रत्येक प्राणी जीने के लिए इसे ग्रहण करता है। भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया खाना कहलाती है।
आप वह हैं, जो आप खाते हैं
“आप वह होते हैं, जो आप खाते हैं” एक मुहावरा है, जो हाल के वर्षों में बहुत प्रसिद्ध रहा है। प्रत्येक व्यक्ति सही भोजन करना चाहता है। बहुत कम खाना, बहुत अधिक खाना, गलत आहार लेना, गलत समय पर खाना, खाद्य पदार्थों का गलत मेल आदि के कारण स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भोजन सम्बन्धी गलत आदतों के लंबे समय तक जारी रहने के कारण बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें से कुछ के इलाज के लिए दवाएं आवश्यक हैं, जबकि कई बार स्थिति अधिक खराब होने पर सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
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जानकारी का अभाव
लोगों में भोजन, खासकर सही आहार-विकल्पों सम्बन्धी जानकारी का अभाव है। कई उत्पाद बताते हैं कि वे आहार के लिए पूरी तरह सुरक्षित विकल्प हैं, हालांकि जरूरी नहीं कि वे हमेशा सही हों।
उभरता विज्ञान
आहार की समझ और दैनिक क्रियाकलापों में शरीर पर इसका प्रभाव बहुत साधारण, लेकिन किसी भी अन्य विज्ञान की तरह एक उभरता विज्ञान है। प्रतिदिन नए शोध, पुराने शोधों पर आधारित सिद्धान्तों को बदल देते हैं। आहार एवं पोषण विज्ञान के नवीनतम शोधों की जानकारी रखना आवश्यक है। मूलभूत बातों की गहरी समझ यह तय करने में सहायक होगी कि क्या खाना आवश्यक है और कौन-सी चीजों को खाने से हर हाल में बचना चाहिए। हमें यह समझना भी आवश्यक है कि मात्र भोजन से आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रह सकता। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रखने में आहार, पोषक पदार्थ, उचित शारीरिक गतिविधि, सही नींद और आराम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण
- पादप उत्पादित आहार
- जंतु उत्पादित आहार
पादपजन्य/पादप उत्पादित भोजनः फल, सब्जियां, मेवा या सूखे फल, तिलहन और अनाज कुछ ऐसे आहार हैं, जो पादप या वनस्पतियों से प्राप्त होते हैं। लगभग 2,000 वनस्पतियां ऐसी हैं, जो मानव आहार के रूप में उपयोग के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं और इनकी खेती की जाती है। भारत की बहुसंख्यक आबादी मुख्यतः शाकाहारी भोजन करती है। प्राचीन वैदिक साहित्यों में, अनेक पादपों को पवित्र माना गया है और इनके औषधियों के रूप में प्रयोग का विवरण भी दिया गया है।
वनस्पतियों के विभिन्न हिस्सों का उपयोग आहार आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, फसलें जैसे-गेंहू, बाजरा, रागी, चावल आदि अनाज की श्रेणी में आते हैं और अधिकांश भारतीयों का मुख्य भोजन हैं। रोटी/चपाती/पराठा-ब्रेड का भारतीय रूप गेंहू से बनता है। कुछ मामलों में भोजन बनाने के लिए कई प्रकार के आटों के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। इन दिनों पोषण सम्बन्धी गुणवत्ता बढाने के लिए सोयाबीन के आटे का भी उपयोग किया जाता है। राजमा, चावली, सोया आदि बींस भी पौधों से प्राप्त किए जाते हैं। चावल भी पादप उत्पाद है और अधिकांश भारतीय भोजन का आधार है।
अनेक प्रकार के नट, जैसे- नारियल, बादाम, मूंगफली आदि खाद्य तेल के स्रोत हैं और वनस्पतियों से प्राप्त होते हैं। तिल का तेल भी खाना बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है और तिल के बीजों से प्राप्त किया जाता है। सूर्यमुखी का तेल आजकल भारतीय घरों में बहुत अधिक प्रसिद्ध है। दालें, जैसे-मूंग, मसूर, मटकी, चावली, तूर या अरहर और अन्य, भी भारतीय भोजन बनाने में प्रयुक्त होते हैं।
जंतु उत्पादित भोज्य पदार्थः दूध और दुग्ध उत्पाद, सभी पॉल्ट्री उत्पाद, मांस (जानवरों की मांसपेशियां) और जानवरों के अंग आदि जानवरों से प्राप्त भोजन हैं। मधुमक्खियों से प्राप्त शहद भी एक जंतु उत्पाद है। जंतु उत्पादों को “संपूर्ण प्रोटीन” माना जाता है, क्योंकि इनमें सभी एमीनो एसिड इस अनुपात में होते हैं कि मानव शरीर के ऊतकों के रासायनिक संरचना से मेल खाते हैं। इसी कारण से जंतु से प्राप्त प्रोटीन को प्रायः “प्रथम श्रेणी का प्रोटीन” कहा जाता है।