डायबिटीज़ के मरीज़ों को डायबिटिक नेफ्रोपैथी जैसी स्थिति से भी गुज़रना पड़ सकता है। हालांकि अभी तक इस बात का निश्चित रूप से पता नहीं चल पाया है कि कुछ मरीज़ों में ऐसी समस्याएं क्यों आती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी में डायबिटीज़ होने के साथ-साथ गुर्दे की क्षति होने लगती है।
हमारे गुर्दों में बहुत सी सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो रक्त को साफ करने का काम करती है। डायबिटीज़ के कारण अधिक शुगर की मात्रा इन रक्तै वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं और धीरे-धीरे गुर्दा काम करना बंद कर देता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के लक्षण
इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को अधिकतर समय थकान का अहसास होता रहता है। उसका किसी काम में जी नहीं लगता और न ही किसी काम करने की ऊर्जा ही उसमें रहती है।सिरदर्द की शिकायत डायबिटिक नेफरोपैथी के मरीज को होने वाली एक और आम शिकायत है। अगर आपको डायबिटीज है और आपके सिर में लगातार दर्द रहता है तो आपको डायबिटीज नेफरोपैथी की जांच अवश्य करवानी चाहिए।खराब हाजमा भी डायबिटिक का एक लक्षण है। यूं तो हाजमा कई कारणों से खराब हो सकता है, लेकिन डायबिटीज के मरीज की पाचन क्रिया अगर सही प्रकार से काम नहीं कर रही हो, और ऐसी समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो आपको बिना देर किए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचाव
कम कैलोरी वाले आहार लें और व्यायाम करें। हृदय समस्याओं से भी बचें। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन बिलकुल ना करें। वज़न नियंत्रित रखें। डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचाव के लिए डायलिसिस जैसी प्रक्रिया या गुर्दा प्रत्यारोपण का सहारा तब लेना पड़ता है, जबकि गुर्दे पूरी तरह से खराब हो जाते हैं। हालांकि यह सुरक्षित प्रक्रिया होती है, लेकिन इनमें सावधानियां बरतनी बेहद आवश्यक हैं। अगर आप डायबिटिक हैं, तो इन समस्याओं के विषय में भी जानकारी रखें और संभावित जांच कराते रहें।
डायबिटीज से पीडि़त हर व्यक्ति को किडनी संबंधी शिकायत भी नहीं होती। लेकिन, किसी के परिवार में अगर इस बीमारी का इतिहास रहा है, तो व्यक्ति को इस बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है।
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