सभी जानते हैं कि कोरोना के प्रकोप का खतरा उन लोगों को अधिक है, जो लोग पहले से ही गंभीर बीमारियों का शिकार हैं जैसे डायबिटीज, ह्रदय संबंधी बीमारियां और स्ट्रोक। हालांकि डायबिटीज रोगियों को इन दिनों अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। डायबिटीज रोगियों को रोजाना अपने ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी रखने की जरूरत होती है क्योंकि इसी के जरिए उन्हें दवाओं और इंसुलिन के संयोजन पर मदद मिल सकती है खासकर तब, जब वह कोरोना सहित किसी भी संक्रमण का शिकार हो जाते है। एक ऑनलाइन सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि केवल 28% डायबिटीज रोगी ही लॉकडाउन के दौरान नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर पर निगरानी रख रह हैं।
लोगों को नहीं पता कैसे करना है प्रयोग
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बहुत से लोगों के पास खुद से ब्लड शुगर नापने वाली मशीन या उनकी स्ट्रीप की कमी है। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि ज्यादातर लोगों को खुद से ब्लड ग्लूकोज नापना भी नहीं आता है। यह सर्वे एमवी अस्पताल के डायबिटीज के लिए पंजीकृत 100 रोगियों पर किया गया था, जिन्होंने 24 मार्च से अस्पताल से संपर्क नहीं किया है।
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लॉकडाउन में नहीं टेस्ट कर रहे लोग शुगर
एक्सपर्ट का मानना है कि लॉकडाउन में बहुत बड़ी संख्या में लोगों के ब्लड शुगर के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है जबकि 80% नियमित रूप से एक्सरसाइज कर रहे हैं और अपने डाइट पर कंट्रोल बनाए हुए हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, इन रोगियों में से अधिकांश वे लोग हैं जो या तो बहुत कम टेस्ट करते हैं या फिर बिल्कुल भी टेस्ट नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा हैरत की बात ये है कि ये सभी इंसुलिन और लंबे समय में असर दिखाने वाली गोलियों पर निर्भर हैं और हाइपोग्लाइकेमिया से ग्रस्त हैं (सामान्य से कम ब्लड शुगर की स्थिति)। किसी भी स्थिति में विशेष रूप से लॉकडाउन के दौरान ब्लड शुगर में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को देखने के लिए उन्हें ब्लड शुगर को बार-बार चेक करते रहना चाहिए ।
ज्यादातर लोग दवाओं पर निर्भर
ये सर्वे इस बात को जानने के लिए किया गया था कि रोगी अपने ब्लड शुगर को कितनी अच्छी तरह से प्रबंधित कर रहे हैं या फिर कर भी रहे हैं या नहीं। एक्सपर्ट को उम्मीद थी ज्यादातर लोग टेस्ट कर रहे होंगे क्योंकि ग्लूकोमीटर बहुत महंगे नहीं हैं और उपयोग करने के लिए बहुत ही सरल हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि सभी रोगियों को इसका उपयोग करने की सलाह दी जाती है। लेकिन अध्ययन के निष्कर्ष इसके विपरीत थे और यह महामारी से पहले भी देश भर में एक सामान्य प्रवृत्ति रही है। सर्वेक्षण में शामिल 100 रोगियों में से 92% को टाइप 2 डायबिटीज था, जिसमें से 49% केवल दवाओं पर निर्भर थे तो 43% ग्लाइसेमिक कंट्रोल करने के लिए दवाओं और इंसुलिन दोनों पर निर्भर थे। इन सबमें केवल 8% मरीज ही इंसुलिन पर थे। डायबिटीज एक्सपर्ट का मानना है कि अधिकांश लोग बेहतर आहार नियंत्रण का पालन करने में सक्षम थे और लॉकडाउन से पहले से घर का बना खाना खाते थे।
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किन लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के अनुसार, नियमित रूप से ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बुजुर्ग और पहले से मौजूद चिकित्सा स्थिति जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा, कोरोना के साथ गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना को और बढ़ा देते हैं।
किसे कब करना चाहिए ब्लड शुगर टेस्ट
एक्सपर्ट की मानें तो नियमित रूप से ब्लड शुगर पर निगरानी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि तब होती है जब डायबिटीज से पीड़ित कोई मरीज तनाव हार्मोन के रिलीज होने के कारण किसी वायरल संक्रमण का शिकार हो जाता है। वे लोग, जो इंसुलिन थेरेपी पर हैं, उन लोगों को दिन में दो बार शुगर के स्तर की निगरानी करनी चाहिए, जबकि केवल दवाईयों पर निर्भर रहने वाले रोगी, जिनका शुगर लेवल पर अच्छा कंट्रोल है उन्हें सप्ताह में दो बार शुगर चेक करना चाहिए।
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