
डायबिटिक्स में डायबिटिक फुट का बहुत खतरा रहता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इस समस्या से बचा जा सकता है। आज फैशन के चलन में पैरों की खूबसूरती भी बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन डायबिटिक्स के लिए पैरों का ख्याल रखने के कई दूसरे कारण भी हैं। डायबिटिक्स को हमेशा डायबिटिक फुट जैसी समस्या का खतरा रहता है और पैरों की परेशानियों को नज़रअंदाज करना पैरों के अल्सर तक को जन्म दे सकता है। कानपुर स्थित रिजेंसी अस्पताल के एंडोक्रायनालाजिस्ट डाक्टर ऋषि शुक्ला का कहना है कि हम सभी प्रतिदिन अपने चेहरे पर ध्यान तो देते हैं लेकिन पैरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
डायबिटीज़ की शुरूवात में रक्त प्रवाह ठीक प्रकार से पैरों तक नहीं हो पाता, जिससे पैरों में आक्सीजन और न्यूट्रिएण्ट्स की कमी हो जाती है। ऐसे में पावों में ब्लिस्टर्स हो सकते हैं, यहां तक कि सूजन और घाव तक हो सकता है। दूसरी बात डायबिटिक्स में नर्व डैमेज जैसी समस्या के होने की भी संभावना रहती है, जिसे कि पेरिफेरल न्यूरोपैथी कहते हैं। इस स्थिति में आप कट और ब्लिस्टर्स का अनुभव कर सकते हैं और आपके पैरों का आकार भी बिगड़ सकता है, यहां तक कि आपके पैर स्तब्ध भी हो सकते हैं। ऐसा भी समय आ सकता है जब नर्वस के प्रभावित होने के कारण डायबिटिक ठीक प्रकार से चल ना पायें। लगभग सभी डायबिटीज़ के मरीज़ को डायबिटिक पैरों से सम्बन्धी परेशानियां रहती हैं।
डायबिटिक्स में खतरों के संकेत
- अगर आराम करने के बावजूद आपको पैरों में परेशानी हो रही है।
- पैरों की त्वचा पर या त्वचा के रंग में कोई परिवर्तन हो रहा है।
- अकारण पैरों में जलन महसूस हो रही है।
- अचानक जोड़ों में सूजन होना और ठंडा पड़ जाना।
- पैरों मे सनसनी महसूस होना और पैरों का विकृत होना।
- अकारण थकान होना।
- चलते समय पैरों में ऐंठन महसूस होना।
- सामान्य घाव का भी ठीक प्रकार से ना भर पाना ।
- नाखूनों के आसपास किसी प्रकार का बदलाव ।
डायबिटिक फुट से बचाव के टिप्स
प्रतिदिन अपने पैरों की जांच करें
विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि डायबिटिक्स के लिए पैरों की प्रतिदिन देखभाल करना ज़रूरी है। आपको पैरों में जलन और घाव का पता तबतक नहीं चलेगा जबतक कि आपका पैर संक्रमित नहीं हो जाते इसलिए ऐसी सलाह दी जाती है कि अपने पैरों की जांच करें।
पानी में पैर डालना खतरनाक हो सकता है
ऐसी सलाह दी जाती है कि, डायबिटिक्स के लिए गर्म पानी में पैर डालना खतरनाक हो सकता है । विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि पैरों को ठीक प्रकार से साफ करके ही पानी में डालें और पैरों को पानी से निकालने के बाद उन्हें सूखे तौलिये से ज़रूर पोछें।
मॉस्चराइज़र लोशन लगायें
अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो ऐसी सलाह दी जाती है कि अच्छी क्वालिटी का मास्चराइजिंग लोशन और क्रीम लगायें । रात को क्रीम लगाने के पश्चात काटन के मोज़े पहनें और ध्यान रखें कि अतिरिक्त लोशन ना रहने पाये क्योंकि यह आपको परेशान करेगा ।
आरामदायक जूते ज़रूरी हैं
आदर्श तरीके से एक जूते को आरामदायक और फिट होना चाहिए। इससे आपके पैरों पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए। ऐसी सलाह दी जाती है कि समय–समय पर अपने जूते बदलें । विशेषज्ञों का मानना है कि टेनिस के जूते आपके लिए अच्छे हो सकते हैं और इनसे पैरों में होने वाली परेशानी काफी हद तक कम होती है ।
नंगे पांव ना चलें
डायबिटिक फुट के मरीज़ों के लिए नंगे पांव चलना अच्छा नहीं होता क्योंकि ऐसे में घावों के होने की अधिक सम्भावना रहती है और जर्मस और सूक्ष्मजीवों को बढ़ने का मौका मिलता है।
बोलना है अच्छा विकल्प
ज्यादातर लोगों को नर्व डैमेज का पता नहीं चल पाता । अगर आपको अपने पैरों में कोई भी परिवर्तन महसूस हो रहा है तो डाक्टर से ज़रूर सम्पर्क करें और दर्द का अनुभव करने की कोशिश करें।
रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखें
चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि नर्व पेन को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप डायबिटीज़ का स्तर देखें । बहुत से शोधों से ऐसा पता चला है कि रक्त में ग्लूकोज़ को कन्सेन्ट्रेटेड इन्सुलिन से नियंत्रित करने से पेरिफेरल न्यूरोपैथी का खतरा बढ़ जाता है । डायबिटिक्स को अपने रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करना चाहिए और स्वस्थ आहार के सेवन के साथ ही व्यायाम पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
ध्यान रखें कि आपके पैर आपकी आज़ादी का स्रोत हैं और इन्हीं पर आपके शरीर का पूरा ढांचा खड़ा होता है । प्रतिदिन अपने पैरों का ख्याल रखें और अपने डायबिटॉलाजिस्ट से अपनी चिकित्सा से सम्बन्धी बातें करें।
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