लोगों को दांतों की कई समस्या होती है जिसे डेंटल बॉन्डिंग के जरिए दूर किया जा सकता है। जब किसी विशेष सामग्री से दांत को बांधकर दांत में मौजूद समस्या को दूर किया जाता है तो उसे डेंटल बॉन्डिंग कहते हैं। आपको बता दें कि दांत की देखभाल की जरूरत के लिए डेंटल बॉन्डिंग प्रक्रिया को अपनाया जाता है। जिन लोगों के दांत पीले पड़ गए हैं वे भी इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं। दांत के आकार को बदलने के लिए भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख में हम डेंटल बॉन्डिंंग की प्रक्रिया, फायदे और जोखिम के बारे में जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
डेंटल बॉन्डिंग क्या है? (Dental bonding in hindi)
डेंटल बॉन्डिंग को कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री प्रक्रिया के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रक्रिया की मदद से टूटे या चिपके दांत को ठीक किया जाता है या दांत के बीच छोटे गैप को बंद किया जाता है। डेंटल बॉन्डिंंग को मुस्कान को बेहतर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
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कैसे की जाती है डेंटल बॉन्डिंग? (How dental bonding is done)
- डेंटल बॉन्डिंंग ट्रीटमेंट में डॉक्टर एक सॉल्यूशन को आपके दांत पर लगा देते हैं।
- इस सॉल्यूशन की मदद से बॉन्डिंग किए गए दांत को फिक्स करने में मदद मिलती है।
- डेंटल बॉन्डिंग में दांत को सॉल्यूशन से कोट किया जाता है और दांत को सख्त किया जाता है।
- आखिर में दांत को पॉलिश किया जाता है इससे फिनिशिंग बेहतर होती है।
- फिर लेजर लाइट की मदद से बॉन्डिंंग वाले दांत को फिक्स किया जाता है।
- डेंटल बॉन्डिंग लगने के बाद आपको उसे नाखून लगने से बचाना है, इसके अलावा आपको बर्फ, हार्ड ऑब्जेक्ट्स आदि से भी बचाना चाहिए।
- अगर आपने डेंटल बॉन्डिंग करवाई है तो डॉक्टर आपको कॉफी, चाय आदि का सेवन भी अवाइड करने के लिए कहेंगे।
डेंटल बॉन्डिंग के फायदे (Benefits of dental bonding)
- आपको बता दें कि डेंटल बॉन्डिंग की मदद से दांत के गैप को कम किया जा सकता है।
- अगर आपके दांत पीले हैं तो आप डेंटल बॉन्डिंग की मदद ले सकते हैं, इससे आप फिर से खुलकर हंस सकते हैं।
- डेंटल बॉन्डिंग में एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती इसलिए इसे सरल प्रक्रिया माना जाता है।
- दांत आधा टूटा हुआ है तो भी डेंटल बॉन्डिंंग की मदद से आप दांत को रिपेयर करवा सकते हैं।
- पॉलिश और दांत को शेप देने की प्रक्रिया के मुकाबले डेंटल बॉन्डिंग में कम खर्च होता है।
- इस प्रक्रिया में आपको बार-बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ता, इस पूरी प्रक्रिया में 30 से 60 मिनट का ही समय लगता है।
डेंटल बॉन्डिंग के रिस्क (Risks of dental bonding)
- डेंटल बॉन्डिंग लंबे समय तक टिकती नहीं है, इसे कम टिकाऊ समझा जाता है। हर केस में ऐसा हो ऐसा जरूरी नहीं है पर इसे मजबूत भी नहीं कहा जा सकता।
- डेंटल बॉन्डिंग आसानी से टूट सकते हैं इसलिए इसे भी डेंटल बॉन्डिंग का एक रिस्क समझा जाता है। हालांकि अगर आप दांतों की सेहत पर ध्यान दें तो डेंटल बॉन्डिंग 3 से 7 साल तक रह सकती है।
- डेंटल बॉन्डिंग का एक रिस्क ये भी है कि कुछ ही समय में इसकी पॉलिश फीकी पड़ सकती है।
कब करवाएं डेंटल बॉन्डिंग?
जब दांत में कोई गंभीर समस्या न हो या मामूली दिक्कत जैसे दांत में गैप, पीले दांत की समस्या हो तो आप डेंटल बॉन्डिंग करवा सकते हैं।
डेंटल बॉन्डिंग की प्रक्रिया को अपनाने से पहले आप अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, अगर आप गंभीर दंत रोग से पीड़ित हैं तो डॉक्टर आपको डेंटल बॉन्डिंग करवाने की सलाह नहीं देंगे।