मानसून में एडीज मच्छरों के काटने से डेंगू होता है। ये एक तरह की महामारी है। इसकी शुरूआत सामान्य बुखार से होती है फिर ये भयानक रूप ले सकती है। ये दिल को भी प्रभावित करती है। इस बीमारी का अगर तुंरत इलाज नहीं किया जाए तो ये जानलेवा बन जाती है। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन्हें डेंगू होने का खतरा ज्यादा रहता है।
डेंगू के लक्षण
डेंगू बुखार के आम लक्षण में बुखार, उल्टी, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द और जोड़ो व मांसपेशियों में तीव्र दर्द शामिल हैं। इस बीमारी की जांच कम प्लेटलेट से होती है जो कि रक्त की जांच से की जाती है।पेट में तेज दर्द होना, पेशीशूल (myalgia), लीवर में फ्लूइड का जमा होना, सीने में फ्लूइड का जमा होना,रक्त में बिंबाणु (platelet) का कम होना रक्तस्राव (hemorrhages) आदि की शिकायत होने पर तुंरत रक्त की जांच करानी चाहिए।
दिल को प्रभावित करता है डेंगू
डेंगू से पीड़ित मरीज के प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से उसके शरीर के अहम अंगों खास कर दिल की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर प्लेटलेट्स की संख्या 45000 से नीचे चली जाए तो दिल की कार्यप्रणाली पर गहरा असर हो सकता है। अगर ऐसे मरीज की दिल की सेहत पर तुरंत ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। दिल के इर्द-गिर्द तरल पदार्थ जमा होने से दिल की मांसपेशियों की कमजोरी और रक्त धमनियों में रिसाव जैसी गंभीर समस्याएं डेंगू की वजह से हो सकती हैं।ऐसे किसी मामले का पता लगने पर तुरंत दिल के रोगों के माहिर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।
बचाव व इलाज
डेंगू के साथ दिल के रोग के मामले जो बहुत ही कम पाए जाते हैं, जानलेवा साबित हो सकते हैं। दिल की समस्याओं का इलाज किया जा सकता है, अगर इनके लक्षणों का जल्दी पता लग जाए। इसके इलाज के लिए एंटीअर्थमेटिक्स, इनोटरोप्स और हालत के मुताबिक, स्थायी या अस्थायी तौर पर पेसमेकर आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। दिल के मरीजों को भी पता होना चाहिए कि डेंगू उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है और उन्हें डेंगू से बचने के लिए बारिश के मौसम में पूरा ध्यान रखना चाहिए।घर के आस-पास के जगह को साफ-सुथरा रखना ज़रूरी होता है। डेंगू का बुखार से पीड़ित रोगी को जिस मच्छर ने काटा है उस मच्छर के काटने से डेंगू का वायरस फैलता है।
इसलिए डेंगू से बचने का सबसे सरल और एकमात्र उपाय है मच्छर के काटने से बचना। इस रोग की सबसे बुरी बात यह है कि इसका कोई सटिक दवा, टीका या इलाज नहीं होता है। मास्कीटो रिपेलेंट के प्रयोग से भी कुछ हद तक मच्छरों से बचा जा सकता है।
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