गर्भावस्था के दौरान तनाव लेना न केवल मां के लिए बल्कि बच्चे के लिए भी नुकसानेदेह हो सकता है। तनाव हमारे दैनिक जीवन में अनिवार्य रूप से रहता है और गर्भवती होने पर हर महिला के लिए शारीरिक और मानसिक तनाव का एक निश्चित स्तर पैदा करता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट के अंदर भ्रूण के विकास के रूप में शरीर में बहुत से बदलाव आते है। महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अधिक तनाव का अनुभव करती है जब बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी और उसके अपने शरीर में होती है। यह लंबे समय में बच्चे के विकास के लिए नुकसान का कारण बन सकता है। कई शोधों में भी यह बात साबित हो चुकी है कि गर्भावस्था के दौरान तनाव लेना मां और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह है।
प्रेग्नेंसी में तनाव के कारण
- शराब का अधिक सेवन करना
- धूम्रपान और निकोटीन या कैफीन का अत्यधिक सेवन करना।
- पारिवारिक कारणों से तनाव होना,
- गर्भावस्था के दौरान व्यायाम न करना
- खानपान में लापरवाही बरतना
कैसे करें तनाव का सामना
- ऐसी परिस्थितियों में गर्भावस्था के दौरान तनाव से निपटना इसलिए अनिवार्य हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को याद रखना चाहिए कि तनाव को टाला नहीं जा सकता लेकिन इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- जब कभी आपको लगता है कि अपने मन में कुछ उतार चढाव हो रहे हैं तो आराम कीजिए।
- खुद को घर के कामों में व्यस्त कर दीजिए।
- कभी अकेले न रहे। अकेले रहने वाली गर्भवती महिलाओं को अधिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
- अपने स्वास्थ्य चिकित्सक के पास जाएं और अपने शरीर और दिमाग के लिए एक उपयुक्त आराम देने वाले व्यायाम के विषय में जानें।
- गर्भवती महिलाओँ द्वारा किया जाने वाला सबसे आम व्यायाम मेडिटेशन या कुछ स्ट्रेचिंग व्यायाम तनाव से राहत दिलाता है।
- कभी भी तंग कपड़े न पहनें और असुविधाजनक स्थिति में न बैठें।
- तनाव से बचने के लिए एक अन्य तरीका यह है कि जब आप अकेले या अपने आसपास की चीज़ो से बोर हो रहे हों आप जोर-जोर से बातें करें और उनको रिकॉर्ड करे जो भी आपके मन में आता है।
गर्भावस्था के 9 महीने एक बड़ी जिम्मेदारी की तरह होते हैं, ऐसे में तनाव से आपका स्वास्थ्य तो बिगड़ेगा ही बच्चे के विकास में भी बाधा बनेगा। इसलिए इस समय तनाव बिलकुल भी न लें।
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