ब्रिटेन में पहला वैक्सीन लगने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार की ओर से जनता को अगले माह तक वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा किया है। टीकाकरण को लेकर सरकार की तैयारियां आखिरी चरण में हैं। हालांकि भारत में वेक्सीन को लेकर लोगों में कई भ्रम और शंकाएं हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) को लेकर गलत खबरों का निपटारा करने के लिये #ASKWHO की शुरुआत की है। आप भी इस हैशटैग के इस्तेमाल से कई सवालों के जवाब जान सकते हैं। वैक्सीन के तीसरे सफल चरण के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म है, तो चलिए जानते हैं वैक्सीन से जुड़े मिथ और उससे जुड़े तथ्य।
1. मिथ: क्या कोरोना की वैक्सीन लगाने के बाद शरीर बीमार हो जायेगा?
तथ्य: कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव (Side Effects of COVID-19 Vaccine) से हल्का बुखार या दर्द सामान्य है पर अभी तक वैक्सीन से किसी गंभीर स्थिति या बीमारी का मामला सामने नहीं आया है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो किसी भी वैक्सीन से अभी तक के ट्रायल में शरीर पर गंभीर प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है।
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2. मिथ: क्या गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 रोधक टीके से खतरा है?
तथ्य: शुरुवाती चरण में वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों को दी जानी है जिसके बाद सफल क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही अन्य लोगों को वैक्सीन लगेगी। जहां तक गर्भवती महिलाओं की बात है तो फिलहाल इस पर ट्रायल जारी है। जो महिलाएं तीन माह के भीतर गर्भधारण के बारे में सोच रहीं हैं, उन्हें वैक्सीन फिलहाल नहीं दिया जायेगा। गर्भवती महिलाओं में परीक्षण करने के बारे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका असर गर्भस्थ शिशु पर हो सकता है या नहीं। अभी तक केवल यूके (United Kingdom) में गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने के खिलाफ सिफारिश की गई है।
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3. मिथ: क्या वैक्सीन लगवाने के लिये अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा?
तथ्य: वैक्सीन लगने के बाद व्यक्ति को 30 मिनट डॉक्टर की निगरानी में रुकना पड़ सकता है पर वैक्सीन लगने के बाद अस्पताल में भर्ती नहीं किया जायेगा। इस दौरान अगर व्यक्ति को परेशानी होती है तो डॉक्टर की सलाह पर उसे भर्ती किया जा सकता है। टीका लगने में अभी कुछ माह बचे हैं। इस समय सरकार देश भर में घर-घर जाकर सर्वे शुरू करवा चुकी है। सर्वे के तहत उन लोगों की सूची तैयार की जा रही है जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज दी जायेगी। टीकाकरण के पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मचारियों व 50 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के व्यक्तियों और पहले से गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों को डोज दिया जाएगा।
4. मिथ: क्या जिन लोगों को कोविड संक्रमण हो चुका है, उन्हें टीका नहीं लगवाना पड़ेगा?
तथ्य: जो लोग कोविड से उबर चुके हैं उनमें एंटीबॉडीज विकसित करने की क्षमता होती है हालांकि इस पर अभी तक कोई ठोस आकंड़े नहीं है जो ये बताये की कोरोना संक्रमित के शरीर में कितने समय तक एंटीबॉडीज रहते हैं। टीकाकरण का मतलब रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए वायरस या वायरस के कुछ हिस्सों पर असर डालना है। उदहारण के लिये अगर कोई व्यक्ति चिकनपॉक्स से उबर गया है, तो एक टीका लगाना पर्याप्त है, लेकिन फ्लू के लिए लोगों को नियमित रूप से बूस्टर शॉट्स लेने पड़ते हैं। इस आधार पर कोविड संक्रमितों को भी टीके की डोज दी जा सकती हैं।
5. मिथ: क्या वैक्सीन लगवाने के बाद कोविड का खतरा नहीं रहेगा?
तथ्य: फिलहाल देश व विदेश में बनने वाली वैक्सीन केवल कोरोना वायरस के असर को धीमा करने में सफल साबित हुई है, इससे कोविड न होने की 100 प्रतिशत गारंटी के तौर पर देखा नहीं जा सकता। टीका लगने के बाद भी मास्क लगाना, उचित दूरी बरतने जैसी सावधानी का ध्यान रखना होगा। वैक्सीन कितने समय तक कोविड से बचाव करेगी ये वेक्सीन लगने के बाद ही पता चलेगा। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो एक डोज का असर लंबे समय तक रहेगा। व्यक्ति के शरीर को बाहरी वायरस से सुरक्षित रखने के लिये वैक्सीन लगातार एंटीबॉडी बनाता रहेगा।
6. मिथ: क्या दिमाग पर बुरा असर डालेगी कोविड-19 वैक्सीन?
तथ्य: जैसे-जैसे शोध प्रकाशित हो रहे हैं हमें कोरोना वायरस को समझने में मदद मिल रही है। अगर कोरोना के लक्षणों की बात की जाये तो खांसी, बुखार के अलावा ये व्यक्ति के सूंघने की शक्ति पर भी असर डालता है और अब लोगों में इस बात का डर है कि वैक्सीन लेने के बाद दिमाग पर इसका बुरा असर होगा। अमरिकन मैग्जीन जामा न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक कोरोना की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से कुछ की अटॉप्सी रिपोर्ट में भी दिमाग के हिस्सों में बदलाव नजर आया है। रिसर्च में बताया गया है कोरोना ग्रसित व्यक्ति के दिमाग पर वायरस का असर दो से तीन हफ्तों में होता है। हालांकि न्यूरो के मरीजों पर ही कोरोना का अधिक खतरा बताया गया है। वैक्सीन केवल शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करेगी, जिससे शरीर को रोग से लड़ने की ताकत मिलेगी।
7. मिथ: कोविड-19 वैक्सीन का दाम कितना होगा?
तथ्य: कोरोना वैक्सीन की दौड़ में शामिल दो सफल कंपनी फाइजर और सीरम इंस्टिट्यूट ने टीकाकरण की प्रक्रिया को भारत में तेजी से आगे बढ़ाने की मांग की है। भारत में फिलहाल पांच टीकों पर परीक्षण चल रहा है, जिनमें सीरम इंस्टिट्यूट व ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का परीक्षण आखिरी चरण में है। सीरम इंस्टिट्यूट की ओर से जारी बयान के मुताबिक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की कीमत भारत में दो खुराक के लिए लगभग 1000 रुपये हो सकती है। वहीं फाइजर वैक्सीन की बात की जाये तो उसकी कीमत 39 डॉलर बताई गई है जो कि भारतीय मुद्रा में 2800 के करीब होगी। हालांकि सरकार की ओर से ये वैक्सीन सस्ती कीमत में उपलब्ध करवाने की उम्मीद जताई जा रही है।
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8. मिथ: क्या वैक्सीन लगने के बाद कोरोना मुक्त होगा साल 2021?
तथ्य: वैश्विक माहमारी के प्रकोप से सभी देश जूझ रहे हैं ऐसे में कोविड-19 के अभी पूरी तरह खत्म होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। लंबे अरसे से घरों में बंद लोग वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं उन्हें उम्मीद है कि नये साल में वैक्सीन लगने से पुरानी सामान्य जीवनशैली लौट आयेगी। वैज्ञानिकों की मानें तो टीका 100 प्रतिशत कोरोना से बचाव का दावा नहीं करता। टीका लगने के बाद भी लोगों को घरों से निकलने से पहले मास्क लगाना, उचित दूरी बनाये रखना अनिवार्य होगा। जहां तक सामान्य स्थिति की बात है तो वेक्सीन लगने के पहले चरण के बाद के परिणामों से तस्वीर साफ हो सकती है।
9. मिथ: क्या टीकाकरण के पहले चरण में बच्चों को दी जायेगी वैक्सीन?
तथ्य: साल 2021 के अंत तक हजारों लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी पर माता-पिता के मन में सवाल है कि क्या उनके बच्चों को पहले चरण में वैक्सीन दी जायेगी। इसका जवाब है नहीं। बच्चों को पहले चरण का हिस्सा नहीं बनाया गया है। डॉक्टरों की राय है कि वर्तमान टीके बच्चों के लिए फिट नहीं हो सकते हैं और दवा कंपनियों को उनके लिए अलग से परीक्षण शुरू करना होगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के आंकड़ों के मुताबिक, COVID-19 का जिम्मेदार वायरस SARS-COV-2 अब तक भारत में 97 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है। वायरस का प्रकोप बड़ों की तुलना में बच्चों पर कम है इसलिये फिलहाल 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं दी जायेगी।
10. मिथ: क्या बच्चों के लिए नुकसानदायक होगी कोरोना वैक्सीन?
तथ्य: अभी तक वैक्सीन के साथ किसी भी गंभीर परेशानी या लक्षण की पहचान नहीं की गई है इसलिये माता-पिता को घबराने की जरूरत नहीं है। फिलहाल बच्चों के लिए परीक्षण शुरूआती चरण में हैं। दुनिया के कोने-कोने में कोरोना वायरस के निपटारे के लिये टीके बनाये जा रहे हैं और कुछ ड्रगमेकर्स ने विदेशों में छोटे बच्चों के साथ परीक्षण शुरू कर दिया है। बच्चों में वयस्कों की तुलना में मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जिससे उन पर दुष्परिणाम का खतरा कम होता है। यह इंजेक्शन किसी भी अन्य डोज की तरह कुछ दिनों के लिए दर्द और सूजन दे सकता है पर वे इस बात का भी सबूत माने जाते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली वह कर रही है जो उसे करना चाहिए।
संभव है कि आने वाले समय में आपको वैक्सीन के बारे में बहुत सारी अफवाहें और गलत बातें सुनने को मिलें। ऐसे में आपको अप-टू-डेट रहना चाहिए और समझना चाहिए कि बिना वैक्सीन की सुरक्षा का पता चले, वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया नहीं शुरू की जाएगी। सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ओनलीमायहेल्थ। अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो इसे अपने फैमिली और दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर आप किसी बीमारी के बारे में, वैक्सीन के बारे में जानना चाहते हैं या अफवाह की सच्चाई को फैक्ट चेक के द्वारा समझना चाहते हैं, तो हमें हमारे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर अपने सवाल लिखें।
यह लेख यशस्वी माथुर के द्वारा लिखा गया है।
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