कोरोना वायरस का कहर चीन में लगातार जारी है। शुक्रवार को चीन ने पहली बार आधिकारिक आंकड़े जारी किए, तो लोगों के होश उड़ गए। रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार 14 फरवरी तक महज 24 घंटे में कोरोना वायरस के 5090 नए मामले सामने आए हैं और 121 लोगों की मौत हो गई है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में लगे 1700 से ज्यादा मेडिकल कर्मचारी भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि चीन किस कदर इस भयानक वायरस के प्रकोप से गुजर रहा है और कोरोना वायरस किस कदर खतरनाक है।
सुरक्षा सामानों की है कमी
पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से चीन के हुबाई शहर में हजारों मेडिकल कर्मचारी कोरोना वायरस से प्रभावित मरीजों की मदद कर रहे हैं। कोरोना वायरस प्रभावित व्यक्ति की छींक और खांसी के संपर्क में आने से या संपर्क में आ चुकी वस्तु को छूने से फैलता है। इसलिए मेडिकल कर्मचारियों को अपना पूरा शरीर अच्छी तरह ढककर काम करना होता है। मगर बहुत सारे मेडिकल कर्मचारियों ने बताया कि उनके पास सुरक्षा के लिए पर्याप्त दस्ताने, मास्क, गाउन और सेफ्टी गॉगल्स नहीं हैं। इसी कारण हजारों हेल्थ प्रोफेशनल्स भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। चीन ने शुक्रवार को अधिकारिक आंकड़े जारी कर बताया कि उनके 1716 मेडिकल कर्मचारी कोरोना वायरस की चपेट में हैं और 6 की इसी वायरस के कारण मौत हो चुकी है।
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सिर्फ 1 बार खा रहे हैं खाना
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हुबाई शहर के बहुत सारे अस्पतालों में पर्याप्त संसाधनों की कमी है। इसके चलते कई बार नर्सों को डॉक्टर्स को कटे-फटे सेफ्टी गाउन या मास्क पर टेप लगाकर काम चलाना पड़ रहा है। बहुत सारे डॉक्टर्स और नर्सों ने बताया कि वो दिन में सिर्फ एक बार खाना खा रहे हैं, क्योंकि वॉशरूम जाने पर उन्हें सेफ्टी गाउन को पूरा उतारना और फिर पहनना पड़ता है, जो कि काफी मुश्किल हो जाता है।
ठीक हो चुके मरीजों के खून से हो सकता है इलाज
चीन स्थित वुहान के Jinyintan Hospital के डायरेक्टर Dr. Zhang Dingyu ने कोरोना वायरस के ठीक हो चुके मरीजों से एक अनोखी अपील की है। उन्होंने कहा है कि जो मरीज कोरोना वायरस की चपेट में गंभीरतम रूप से आए थे, उन्हें अपना रक्तदान करना चाहिए, जिससे कि दूसरे मरीजों के लिए दवा बनाई जा सके। Dr. Zhang के अनुसार कोरोना वायरस से पूरी तरह ठीक हो चुके मरीजों के शरीर ने इस वायरस के लिए प्राकृतिक रूप से एंटी-बॉडी बना लिया होगा। इसलिए इन मरीजों के ब्लड प्लाज्मा की मदद से एंटी-बॉडीज को दूसरे मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि पहले इसके ट्रायल की जरूरत है।
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कोरोना वायरस को रोकने वाली दवा या वैक्सीन बनाने के लिए तमाम शोधकर्ता और वैज्ञानिक दिनरात लगे हुए हैं, मगर उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। वहीं हर रोज हजारों की संख्या में नए मरीज और सैकड़ों की संख्या में मृत्यु के कारण वैज्ञानिक भी चिंचित और परेशान हैं।
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