आखिर क्यों कोरोना वायरस कर रहा है बॉडी के खास अंगो पर ही हमला ! जानें एक्सपर्ट की राय और बरतें सावधानियां

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कोरोनावायरस इंसान के कुछ विशेष अंगों पर हमला कर रहा है। लेख में जानिए क्यों है ऐसा।   
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आखिर क्यों कोरोना वायरस कर रहा है बॉडी के खास अंगो पर ही हमला ! जानें एक्सपर्ट की राय और बरतें सावधानियां

पिछले 8 से भी अधिक महीने से नोवल कोरोना वायरस का कहर बनकर पुरी दुनिया पर टुटी हुई। अबतक इस वायरस से पुरे दुनिया में 2 करोड़ से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके है। और 7 लाख से भी अधिक लोगों की जान अभी तक इस वायरस के कारण जा चुकी हैं। राहत की बात यह है कि अबतक इस वायरस को 1.22 करोड़ लोगो ने मात दी है और इसपर फतह बनायी है। वहीं अगर बात भारत की करें तो अबतक ये जानलेवा वायरस 23 लाख से भी अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और इसके कारण 46 हजार से भी अधिक लोगों की जान जा चुकीं है। 

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इंसान के खास अंगों पर हमला करता है वायरस

भारत के लिए सुकून की बात यह है कि अबतक इस वायरस को 16 लाख से भी अधिक देशवासीयों ने हराकर इस पर विजय प्राप्त की है। सार्स सीओवी-2 के हालिया अध्ययन में ये बताया गया है कि यह वायरस इंसान के शरीर को किसी खास- खास अंगो हमला करता है। आज हम आपको अपने इस अध्ययन में बताएंगे क्या विशेषज्ञों का कहना।

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क्या कहते है विशेषज्ञ

स्पेन के ज़ारागोज़ा और एजेंसिया अरागोनसिया पैरा ला अनुसंधान फाउंडेशन के शोधकर्ता अर्नेस्टो एस्ट्राडा ने बताया कि “शरीर पर हमला करने के लिए  पैथोजन में मौजूद प्रोटीन को शरीर में प्रोटीन के साथ इंटरैक्ट करने की आवश्यकता होती है”। उन्होंने ये भी बताया कि हम यहां विवादास्पद प्रक्रियाओं पर विचार करते हैं जो कि वैकल्पिक मार्ग के रूप में SARS-CoV-2 परस्पर क्रिया द्वारा टारगेट करते है। 

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अध्ययन में यह भी पाया गया है कि, पीपीआई(PPI) नेटवर्क के माध्यम से वायरस के प्रसार की अनुमति मिलती है।  

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अंगों की विफलता का कारण बन सकता है कोविड

अध्ययन में कहा गया है कि दो प्रोटीनों को एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में फैलाव की आवश्यकता होती है। शोधकर्ता ने बताया कि इन दवाओं में से कुछ को मौजूदा दवाओं के साथ फेफड़ों में निर्दिष्ट करने से फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों में मौजूद प्रोटीन की गड़बड़ी को रोका जा सकता है, इससे इस वायरस के अटैक में बहु-अंग विफलता से बचा सकता है, जो कई मामलों में रोगी की मृत्यु का कारण बनता है।

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