
कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों को भले ही आपने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है और अब आपको कोविड-19 से डर नहीं लगता, लेकिन इससे कोरोना वायरस की गंभीरता खत्म नहीं हो जाती। दुनियाभर में हर दिन कोरोना वायरस के चलते हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं हजारों लोग ऐसे भी हैं, जो थोड़े बहुत इलाज के बाद या कई बार बिना दवा के भी अपने आप ही ठीक हो जा रहे हैं। ऐसे में कई लोगों के लिए तो कोरोना वायरस जानलेवा साबित हो रहा है और कई लोगों को वायरस की चपेट में आने का पता भी नहीं चल रहा। कोरोना वायरस के लक्षणों में इतने व्यापक अंतर को लेकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। हालांकि एक ताजा अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसके कुछ कारण बताए हैं।
वैज्ञानिकों की टीम लगातार कर रही है रहस्यमयी वायरस का अध्ययन
Stanford University of Medicine और कई अन्य शोध संस्थानों ने मिलकर एक अध्ययन किया है जिसमें वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि कोरोना वायरस के गंभीर मामलों और माइल्ड मामलों में इतना अंतर क्यों है। वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाने की कोशिश की है कि कोरोना की चपेट में आने के बाद रोगी के शरीर में इम्यूनोलॉजिकल डेविएशन (इम्यून सिस्टम के प्रतिक्रिया में अंतर) क्यों हो रहा है।
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वायरस से लड़ने का प्रयास करता है इम्यून सिस्टम
वैज्ञानिकों ने बताया कि मक्खियों, मच्छरों से लेकर इंसानों तक लगभग सभी जीवों में वायरस और दूसरे पैथोजन्स को पहचानने के लिए खास सिस्टम होता है, जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं। जैसे ही कोई शरीर वायरस या पैथोजन के संपर्क में आता है, तो तुरंत जीव का इम्यून सिस्टम उस पर अटैक करना शुरू कर देता है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पैथोजन से लड़ने वाले खास सेल्स होते हैं। लेकिन समस्या ये है कि ये सेल्स मूव नहीं कर सकते हैं।
कोरोना वायरस मरीजों के खून में मिले इंफ्लेमेशन बढ़ाने वाले तत्व
Microbiology And Immunology के प्रोफसर और Bali Pulendran कहते हैं, "हमारे अध्ययन में हमने पता लगाया है कि कोरोना वायरस का सीरियस इंफेक्शन होने पर किस तरह से इम्यून सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है। इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से संक्रमित 76 लोगों और 69 स्वस्थ लोगों के इम्यून रिस्पॉन्स का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने देखा कि कोरोना वायरस के गंभीर रूप से चपेट में आने वाले रोगी के खून में एक खास मॉलीक्यूल मिला जो इंफ्लेमेशन (अंदरूनी सूजन) को बढ़ाता है। इनमें से 3 मॉलीक्यूल की पहचान की गई है, जो फेफड़ों (Lungs) को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ लोगों के खून में ऐसे मॉलीक्यूल्स नहीं पाए गए।
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कई मामलों में इ्म्यून सिस्टम को ध्वस्त कर देता है वायरस
इसके अलावा वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के गंभीर मामले वाले रोगियों के खून में बैक्टीरियल DNA और सेल वॉल मैटीरियल भी मिले, जिसे वैज्ञानिकों की भाषा में बैक्टीरियल डेबरिस (bacterial debris) कहते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि जितना अधिक ये बैक्टीरियल डेबरिस होगा, उतना ज्यादा मरीज की हालत गंभीर होगी। अध्ययन में देखा गया कि कोविड-19 के मरीजों में ये बैक्टीरियल प्रोडक्ट उनके आंत, फेफड़ों और गले और खून में पाया गया। ऐसे में खून के द्वारा ये बैक्टीरियल मैटीरियल जिस भी अंग तक पहुंचता है, उस अंग में सूजन आना शुरू हो जाती है। ऐसे में कई बार इम्यून सिस्टम के वायरस पर हावी होने से पहले ही वायरस शरीर पर हावी हो जाता है और मरीज का इम्यून सिस्टम ध्वस्त हो जाता है।
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