
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान ने निकले कोरोना वायरस को आज लगभग 8 महीने बाद भी नहीं रोका जा सका है। ये वायरस पिछले 8 महीनों में 2 करोड़ 2 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है और 7 लाख 38 हजार लोगों की जान ले चुका है। इसके बावजूद इस वायरस को पूरी तरह समझने में वैज्ञानिक नाकाम रहे हैं। कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ आदि हैं। लेकिन संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों पर लंबे समय में ये वायरस कैसे असर डालेगा, इस बारे में अभी भी पर्याप्त जानकारी नहीं है। शुरुआती रिसर्च में कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं, जिन्होंने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाई है। लोगों को यही लगता है कि ये वायरस फेफड़ों पर अटैक करता है और श्वांसनली से जुड़ा संक्रमण है। लेकिन रिसर्च बताती हैं कि रेस्पिरेटरी सिस्टम के अलावा भी ये वायरस शरीर में खून के थक्के जमाने और इंफ्लेमेशन पैदा करने का काम करता है, जिससे सिर्फ फेफड़े नहीं बल्कि शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं।
"रहस्मयी है ये वायरस"
मायो क्लीनिक के कोविड-19 एक्सपर्ट Dr. Gregory Poland कहते हैं, "ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सामान्य रेस्पिरेटरी वायरस के मुकाबले कई रहस्य छिपे हुए हैं। कोरोना वायरस के सभी लक्षणों पर नजर डालें तो एक तरफ हम देखते हैं कि इस वायरस की चपेट में आने के बाद लोगों की हालत बहुत सीरियस हो जाती है और दूसरी तरफ यह भी देखते हैं कि कुछ लोगों में इंफेक्शन की चपेट में आने के बाद लक्षण भी दिखते हैं।"
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ठीक होने के बाद भी समस्याएं रिपोर्ट कर रहे हैं लोग
Dr. Poland के मुताबिक लंबे समय में इस वायरस के कारण और भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा, "हम देख रहे हैं कि बहुत सारे (कोरोना वायरस से संक्रमित और ठीक हो चुके लोग) लोग कई समस्याएं रिपोर्ट कर रहे हैं जैसे- लंबे समय से थकान की समस्या, सिरदर्द, चक्कर आना, बालों के झड़ने की समस्या और कार्डियक समस्याएं आदि। हालांकि ये समस्याएं सभी को नहीं हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों को हैं और उनकी संख्या काफी ज्यादा है, जिन्हें इस वायरस ने सेल्युलर लेवल पर डैमेज किया है।"
कई गंभीर बीमारियों के खतरे देखे जा रहे हैं
कोरोना वायरस के जो मरीज बिना लक्षणों वाले हैं या हल्के लक्षणों वाले हैं, उन्हें भी लंबे समय में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए Dr. Poland कहते हैं, "ये तथ्य इस बात को बताते हैं कि हमें इस बीमारी को गंभीरता से क्यों लेना चाहिए। जो युवा लोग ये सोच रहे हैं कि ये हल्के लक्षणों वाली एक बीमारी है, तो उनका समझना गलत है। आंकड़े कुछ और दर्शाते हैं। बहुत सारे मामलों में हमने मायोकार्डियल डैमेज, कार्डियोमायोपैथी, एरिद्मिया, पल्मोनरी स्कैरिंग, स्ट्रोक्स आदि के खतरों को पाया है।
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काफी तेजी से स्टडी करने की है जरूरत
Dr. Poland ने कहा, "हम आने वाले समय में इस वायरस के लंबे समय में होने वाले और भी कई दुष्प्रभाव देखेंगे। यहां जरूरत है कि हमें इस बारे में और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है। इस वायरस की चपेट में आते ही व्यक्ति की जांच करके, उसके शरीर में बढ़ते लक्षणों पर नजर रखकर और दूसरे क्लीनिकल ट्रायल्स के द्वारा हम कुछ बेहतर खोज सकते हैं, जिससे लोगों का इलाज ज्यादा अच्छे तरीके से हो सके।"
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