
कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया पिछले 7 महीनों से अस्त-व्यस्त है। करोड़ों लोगों को बीमार करने वाला और लाखों की जान लेने वाला ये वायरस भारत में देर से आया था, मगर इसके बावजूद आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 15 लाख से ज्यादा हो गई है और मरने वालों का आंकड़ा भी लगभग 35 हजार तक पहुंच गया है। वहीं अच्छी बात ये है कि 10 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी को हराकर पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। वहीं दुनियाभर में 1.7 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 1.07 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना वायरस से ठीक होने वाले लोगों की संख्या हमें इस बीमारी से न डरने के लिए उत्साहित करती है। मगर हाल में हुई एक स्टडी ने एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिससे कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ठीक होने के बाद हार्ट की परेशानियों से जूझ रहे हैं मरीज
JAMA (Journal of American Medical Association) द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार कोरोना वायरस के बहुत सारे मरीज भले ही थोड़े दिनों में ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन लंबे समय में ये वायरस लोगों की सेहत को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है। JAMA द्वारा की गई एक छोटी स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लगभग 80% मरीजों को थोड़े समय बाद हार्ट से संबंधित गंभीर समस्याएं हो रही हैं। ये रिसर्च JAMA, Cardiology द्वारा की गई है।
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वैज्ञानिकों ने ऐसे की रिसर्च की तैयारी
इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने जर्मनी में कोविड-19 की चपेट में आ चुके 100 मरीजों का अध्ययन किया। ये अध्ययन अप्रैल से जून के बीच किया गया। इन सभी मरीजों की उम्र 40 से 50 साल के बीच थी और ये सभी कोरोना वायरस को सफलतापूर्वक हराकर ठीक हो चुके थे। इन 100 मरीजों में से 67 मरीज ऐसे थे जो बिना लक्षणों वाले थे या सामान्य लक्षणों वाले थे, इसलिए इनके कोरोना वायरस इंफेक्शन का इलाज और रिकवरी घर पर ही हुई, जबकि 23 मरीज ऐसे थे, जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा था। शोधकर्ताओं ने इन मरीजों के हार्ट की गतिविधि और स्वास्थ्य की जानकारी के लिए इनका MRI Scan, ब्लड टेस्ट और हार्ट टिश्यू बायोप्सी जैसी जांच की, ताकि कोरोना वायरस के इन मरीजों के हार्ट पर पड़ने वाले प्रभाव को जाना जा सके।
100 में 78 लोगों में पाई गई हार्ट की समस्या
वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च के दौरान पाया कि 100 में से 78 मरीज ऐसे थे, जिनके हार्ट में सूजन और डैमेज देखा गया। ये सभी के लिए हैरान करने वाला था क्योंकि 100 में 78 की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता Clyde W. Yancy ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और स्थिति बुरी होती जा रही है। ऐसे में इसके लक्षण और साइड इफेक्ट्स भी लगातार बुरे होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारे अध्ययन ने एक नई और समसमायिक समस्या पर प्रकाश डाला है, जिसमें कोविड-19 के कारण कार्डियोमायोपैथी और हार्ट फेल्योर जैसी समस्याओं को समझने में मदद मिलेगी।"
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पहले से हार्ट की समस्या नहीं भी है, तब भी है खतरा
इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि जिन लोगों को पहले से हार्ट संबंधी कोई समस्या नहीं है, उनमें इस कोरोना वायरस से रिकवरी के बाद हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बना हुआ है। कुछ ऐसे ही रिजल्ट्स पिछले दिनों UK में हुई एक स्टडी में भी सामने आए थे, जिसमें कोविड-19 के 1216 मरीजों का अध्ययन किया गया था। इन मरीजों में भी हार्ट से संबंधी परेशानियों की बात कही गई थी।
ये अध्ययन इस बात का संकेत हैं कि कोरोना वायरस के बारे में अभी सबकुछ नहीं जाना गया है। 7 महीने पुराने इस वायरस के बारे में अभी और अधिक अध्ययन करने तथा समझने की जरूरत है, ताकि दुनिया को इस महामारी से नहीं, बल्कि इससे होने वाले दुष्प्रभावों से भी बचाया जा सके।
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