
क्या आपको भी खड़े होने के दौरान चक्कर आते हैं? तो यह ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का संकेत है, जो डिमेंशिया से जुड़ा हुआ है।
क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आप अचानक खड़े होते हैं, तो आपको चक्कर आते हैं? ऐसा होना एक बार या कभी अचानक होना ठीक है, क्योंकि यह कमजोरी के कारण हो सकता है। लेकिन अगर ऐसा अक्सर होता है, तो यह डिमेंशिया का संकेत हो सकता है। जी हां, खड़े होने के बाद बार-बार चक्कर आना महसूस होना आपको डिमेंशिया विकसित होने का खतरा है।
हांलांकि, चक्कर आना एक सामान्य घटना है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। ऐसा आमतौर पर, यह तब होता है जब आप बीमार हों या आपको उचित भोजन या पानी नहीं मिल पाया हो या फिर आपको पोषण की कमी होती है। यदि आप स्वस्थ हैं और फिर भी चक्कर आ रहे हैं, तो यह एक संकेत है कि आपका मस्तिष्क बीमार है और यह मानसिक स्वास्थ्य के बारे में आपको संकेत भेज रहा है।
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चक्कर आने और डिमेंशिया के बीच क्या है संबंध है
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की मेडिकल जर्नल 'न्यूरोलॉजी' में छपे एक नए शोध में उल्लेख किया गया है कि खड़े होने के बाद चक्कर आना या आंखों के सामने अंधेरा हो जाना डिमेंशिया का संभावित जोखिम कारक हो सकता है। खड़े होने पर चक्कर आने को मेडिकल भाष में 'ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन' कहा जाता है, जो आपके खड़े होने पर ब्लड प्रेशर में गिरावट है। हालांकि, डिमेंशिया सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में केवल गिरावट के साथ जुड़ा हुआ है, समग्र बीपी से नहीं। जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 15 mmHg या इससे अधिक हो जाता है, तो व्यक्ति सिस्टोलिक ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन से पीड़ित होता है। यह चक्कर आने के साथ भी जुड़ा हुआ है ।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को के प्रमुख शोधकर्ता लॉर राउच ने कहा: "लोगों के ब्लड प्रेशर में, जब वे बैठकर उठते हैं, तो उनकी निगरानी की जानी चाहिए। यह संभव है कि इन ब्लड प्रेशर की बूंदों को नियंत्रित करना लोगों की सोच और स्मृति कौशल को संरक्षित करने में मदद करने का एक आशाजनक तरीका हो सकता है।”
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2,000 से अधिक स्वस्थ प्रतिभागियों के साथ किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में धोधकर्ताओं ने 70 के दशक के 2,000 से अधिक स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। टीम ने नामांकन के समय और फिर एक, तीन और पांच साल बाद उनके ब्लड प्रेशर की रीडिंग ली। शोधकर्ताओं ने पाया कि उनमें से लगभग 9% में सिस्टोलिक ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन था, जबकि 15% में ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन था और 6% डायस्टोलिक ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन से पीड़ित थे। उनमें लगभग 450 लोगों ने जीवन के बाद के पड़ाव में डिमेंशिया किया और उनमें से ज्यादातर सिस्टोलिक ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन वाले थे। इसके अतिरिक्त, जो धूम्रपान करते हैं या शराब पीते हैं या उनमें पहले से डायबिटीज आदि कोई समस्या है, तो उनमें डिमेंशिया विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
इस प्रकार, यह अध्ययन सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डिमेंशिया के बीच की कड़ी को दर्शाता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से डिमेंशिया के लिए चक्कर लाता है।
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