World Multiple Sclerosis Day 2024: मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऑटो इम्यून बीमारी है, जो हमारे शरीर के इम्यून सेल्स पर हमला करती है। स्ट्रेस, एंजायटी और डिप्रेशन की तरह आज भी मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी ऑटो इम्यून बीमारी के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं होती है। वहीं, कुछ मामलों में मल्टीपल स्केलेरोसिस का पता काफी देर से चलता है, इसलिए इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस के प्रति लोगों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 30 मई को विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस (World Multiple Sclerosis (MS) Awareness Day 2024) मनाया जाता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस की बीमारी के बारे में कई तरह के मिथक आज भी लोगों के बीच फैले हुए हैं। विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस के मौके पर नोएडा के मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज कुमार से जानेंगे इस बीमारी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई।
मल्टीपल स्केलेरोसिस की बीमारी क्या है? - What is Multiple Sclerosis Disease in Hindi
डॉ. नीरज के अनुसार, मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऑटो इम्यून बीमारी है। यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। माइलिन में मौजूद हेल्दी सेल्स इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारी में दिमाग और शरीर के अन्य अंग आपस में ठीक से एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पाते हैं। डॉक्टर के अनुसार, मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारी 15 साल से 40 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण क्या हैं- Symptoms of Multiple Sclerosis in Hindi
डॉक्टर का कहना है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण व्यक्तियों में अलग हो सकते हैं। इस बीमारी के कुछ सामान्य लक्षण नीचे बताए गए हैं:
- शरीर के एक या एक से अधिक अंगों में सुन्नता या कमजोरी महसूस होना
- दिमाग और शरीर के तालमेल की कमी
- चलने में परेशानी महसूस होना
- चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स
- आंशिक या पूरी तरह से दिखाई न देना
- नजर में धुंधलापन आना
- सिर का चक्कर
- थकान
- बातचीत करने में समस्या
- गर्दन हिलाते समय झटका महसूस करना
मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई- common myths and facts around Multiple Sclerosis in Hindi
मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़ी कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिन्हें लोग बिना किसी डॉक्टरी के आंखों को मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। आइए जानते हैं मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में...
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मिथक 1: मल्टीपल स्केलेरोसिस का कोई इलाज नहीं है।
सच्चाई : डॉ. नीरज के अनुसार, वर्तमान में मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ दवाओं और थेरेपी के जरिए मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षणों को कंट्रोल किया जाता है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस का इलाज मुख्य रूप से मरीज की स्थिति और इस बीमारी के लक्षणों पर निर्भर करता है।
मिथक 2: मल्टीपल स्केलेरोसिस एक संक्रामक बीमारी है।
सच्चाई : डॉ. कुमार के अनुसार, मल्टीपल स्केलेरोसिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता है और संक्रामक बीमारी नहीं है। चूंकि यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, इसलिए शरीर का इम्यून सिस्टम अनजाने में खुद को निशाना बनाती है। हालांकि इस बीमारी का मुख्य कारण क्या है इसके प्रति कोई सटीक जानकारी नहीं है।
मिथक 3: अगर आपको मल्टीपल स्केलेरोसिस है, तो आप व्हीलचेयर पर आ जाएंगे।
सच्चाई : मल्टीपल स्केलेरोसिस से जूझ रहे मरीजों को कई बार चलने, दौड़ने और फिजिकल एक्टिविटी करने में मुश्किल आ सकती है, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपकी पूरी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही कट जाएगी। मल्टीपल स्केलेरोसिस के कई मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें व्हीलचेयर या किसी भी अन्य तरह के सहारे की जरूरत नहीं होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना है या नहीं, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
मिथक 4: मल्टीपल स्केलेरोसिस के मरीजों को एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।
सच्चाई : डॉ. कुमार के अनुसार, मल्टीपल स्केलेरोसिस में शरीर के मसल्स कमजोर हो जाते हैं। जिसकी वजह से चलने और बैठने में परेशानी महसूस हो सकती है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आपको मल्टीपल स्केलेरोसिस में किसी भी तरह की एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। मल्टीपल स्केलेरोसिस के मरीजों के लिए हल्की-फुल्की एक्सरसाइज बहुत ही ज्यादा जरूरी है। एक्सरसाइज करने से शरीर का लचीलापन और बैलेंस सुधारने में मदद मिलती है। ऐसा करने से मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
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