Khushkhabri with IVF: लंबे समय तक संतान प्राप्ति के लिए प्रयास करने वाले कपल्स के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है। बीते कुछ सालों में इस ट्रीटमेंट से संतान प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। दरअसल, समय के साथ लोगों की प्रजनन क्षमता से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में महिलाओं और पुरुष की हेल्थ की जांच के बाद डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment) का सुझाव देते हैं। जैसे ही किसी कपल को आईवीएफ ट्रीटमेंट की सलाह दी जाती है, वैसे ही उनके मन में इस प्रक्रिया को लेकर कई सवाल आने लगते हैं। हालांकि, यह अन्य ट्रीटमेंट की तरह ही एक साधारण ट्रीटमेंट हैं। लेकिन, इसके हर चरण की सफलता कंसीव करने की सफलता दर को बढ़ा देती है। इस प्रक्रिया में एग फार्टिलाइजेशन के मुख्य और महत्वपूर्ण चरण होता है। कई बार कुछ लोगों के ट्रीटमेंट में फर्टिलाइजेशन से जुड़ी समस्याएं (Complications Of Fertilization in IVF Process) देखने को मिलती है, यह समस्याएं आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता को प्रभावित कर सकती है।
इस लेख में आगे यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ़ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से जानते हैं कि एग फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया में क्या समस्याएं आ सकती है। डॉ. स्नेहा ने इस समस्या पर बात करते हुए बताया कि आईवीएफ के सफलता दर को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण कारक होते हैं। उम्र, एग्स की क्वालिटी (Eggs Quality) और गर्भाशय की स्थिति (Uterine Condition) जैसे बुनियादी मुद्दे इस प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, शुक्राणु की गुणवत्ता, जीवनशैली और दवाओं का सही उपयोग भी महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, IVF की प्रक्रिया के दौरान व्यक्तिगत परामर्श और विशेषज्ञ मार्गदर्शन बेहद आवश्यक है ताकि सफलता की संभावनाएं बढ़ाई जा सकें। कभी-कभी, शुक्राणु और एग्स से फर्टिलाइजेशन ठीक से नहीं हो पाता, जिसे आईसीएसआई (ICSI) जैसी तकनीकों से हल किया जा सकता है। इसलिए, हर मामले के लिए सही जांच और योजना बनाना बहुत जरूरी है।
आईवीएफ में एग्स फर्टिलाइजेशन से जुड़ी समस्याओं के कारण - Common Health Concerns During Fertilisation Of Eggs During IVF Treatment In Hindi
शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा से जुड़ी समस्याएं (Sperm Quality and Quantity Issues)
फर्टिलाजेशन प्रक्रिया के फेल होने में शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा को एक मुख्य कारण माना जा सकता है। शुक्राणु को स्वस्थ, गतिशील और एग्स तक पहुंचने और उसे फर्टिलाइज करने के लिए पर्याप्त संख्या में मौजूद होना चाहिए। शुक्राणु को प्रभावित करने वाली समस्याओं में शुक्राणु की संख्या कम होना (Oligospermia), शुक्राणुओं की गतिशीलता कम होना (Poor Sperm Motility- Asthenozoospermia), शुक्राणु आकृति खराब होना (Abnormal Sperm Morphology - Teratozoospermia) और शुक्राणु डीएनए में बदलाव (Sperm DNA Fragmentation) को शामिल किया जाता है।
महिला के अंडे की गुणवत्ता और स्वास्थ्य (Egg Quality and Health)
इसके अलावा, महिलाओं के एग्स की क्वालिटी खराब होना भी फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। इसमें महिला की आयु, ओवरियन रिजर्व्स का कम होना, मैच्योर एग्स कम होना और क्रोमोसोम्स से जुड़ी समस्या के कारण को शामिल किया जाता है।
ओव्यूलेशन की समस्याएं (Ovulation Problems)
ओव्यूलेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक मैच्योर एग ओवरी से निकलता है और फर्टिलाइजेशन के लिए उपलब्ध होता है। यदि ओव्यूलेशन नियमित रूप से या प्रभावी रूप से नहीं होता है, तो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया में परेशानी हो सकती है। इसे एनोव्यूलेशन, हार्मोनल अंसतुलन, पीसीओएस, स्ट्रेस, आदि स्थितियां प्रभावित कर सकती हैं।
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फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज (Fallopian Tube Blockage)
फैलोपियन ट्यूब ओवरी से एग्स को गर्भाशय तक ले जाने और शुक्राणु और अंडे के लिए रास्ता तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। फैलोपियन ट्यूब में रुकावट या डैमेज होने फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया में परेशानी हो सकती है। फैलोपियन ट्यूब की समस्याओं के कारणों में पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल लिगेशन आदि को शामिल किया जाता है।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
हार्मोन प्रजनन प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं, और कोई भी असंतुलन ओव्यूलेशन, एग्स की गुणवत्ता या फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। थायरॉयड, हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया, कम प्रोजेस्टेरोन स्तर हार्मोनल असंतुलन की वजह बन सकते हैं।
फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया को प्रभावति करने वाले अन्य कारक
- प्रतिरक्षात्मक कारक (Immunological Factors) जैसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, एंटीस्पर्म एंटीबॉडी
- धूम्रपान व शराब का सेवन
- गर्भाशय संबंधी असामान्यताएं
- आयु संबंधी कारक (Age-Related Factors)
- जेनेटिक्स कारक आदि।
फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया में फेल होने पर कैसे इलाज किया जाता है? - Treatment Strategies for Failed Fertilization in IVF Process in Hindi
जब IVF चक्र में फर्टिलाइजेशन नहीं होता है, तो भविष्य के प्रयासों के लिए कई उपचार विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। इन्हें आगे बताया गया है।
इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (Intracytoplasmic Sperm Injection- ICSI)
ICSI एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। यह कई सामान्य फर्टिलाइजेशन समस्याओं को दूर करता है, जैसे शुक्राणुओं गतिशीलता कम होना या शुक्राणु-अंडे के मिलन की समस्या, आदि। ICSI उन परेशानियों को दूर करता है जो शुक्राणु को एग्स को स्वाभाविक रूप से फर्टिलाइज करने से रोकती हैं।
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डोनेट स्पर्म का उपयोग (Use of Donor Sperm)
यदि बार-बार IVF साइकिल में पुरुष की इनफर्टिलिटी के कारण फर्टिलाइजेशन नहीं होता है, तो डॉक्टर डोनर के स्पर्म का उपयोग करने की सलाह देते हैं। एक स्वस्थ और टेस्टेड स्पर्म फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया को सफल बनाने में मदद करते हैं।
एग की मैच्योरिटी का आकलन (Egg Maturation Assessment)
कुछ मामलों में फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया फेल होने के पीछे महिलाओं के एग्स का मैच्योर न होना भी कारण बनता है। इसी वजह से फर्टिलाइजेशन से पहले मैच्योर एग्स की जांच की जाती है। ऐसा करना आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ा सकता है।
असिस्टेड हैचिंग (Assisted Hatching)
असिस्टेड हैचिंग में भ्रूण को हैच करने और उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित (implantation) करने के लिए ज़ोना पेलुसिडा (zona pellucida) में एक छोटा सा छेद बनाया जाता है। हालांकि इसका उपयोग मुख्य रूप से प्रत्यारोपण (implantation) में सहायता के लिए किया जाता है। लेकिन, कई बार फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया व आईवीएफ की सफलता के लिए भी यह प्रोसेस किया जा सकता है।
हार्मोनल असंतुलन दूर करना (Hormonal Optimization)
ओवरी स्टिम्युलेशन चरण के दौरान हार्मोन के स्तर को संतुलित करना महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में दवाओं के माध्यम से एग्स की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। हार्मोनल नियंत्रण से मैच्योर एग्स को बनाने और फर्टिलाइज करने में मदद मिलती है।
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फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया या आईवीएफ के सभी चरणों को सफल बनाने के लिए डॉक्टर महिला व पुरुष दोनों को डाइट व लाइफस्टाइल में बदलाव करने के लिए कई सुझाव दे सकते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया में महिला व पुरुष को कई पहलू से गुजरना पड़ता है। हर पहलू की सफलता महिला व पुरुष की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। Khushkhabri with IVF की सीरीज का यह लेख आप अपने दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर, ताकि उनको भी आईवीएफ की संपूर्ण और सटिक जानकारी मिल सकें। हम इस सीरीज में आपको आगे भी कई विषयों पर संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।