बच्चे इसलिए नहीं खाते हेल्दी फूड, कारण जानकर आज ही दूर करें ये समस्या

अगर आपके घर में बच्चे हैं तो आप भी यह चीज देखते होंगे कि बच्चे जितना फास्ट फूड और चाट पकोड़े पसंद करते हैं उतना ही हेल्दी फूड्स, जूस और फ्रूट्स से दूर भागते हैं। दरअसल इसका कारण माता पिता या घर में बड़े होते हैं। साइंस कहता है कि बच्चे बचपन में जिस चीज को खाते हैं वह भविष्य में भी उसे ही खाना पसंद करते हैं। इसलिए अगर बच्चों को बचपन में ही हेल्दी फूड खिलाया जाए तो वह बड़े होकर भी वही खाएंगे। लेकिन पेरेंट्स कई बार अपने आराम के लिए बच्चों को बाहर खाना खिला देते हैं या बच्चों को थोड़े टाइम की खुशी के लिए कुछ हल्का फुल्का बना लेते हैं। 
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बच्चे इसलिए नहीं खाते हेल्दी फूड, कारण जानकर आज ही दूर करें ये समस्या


अगर आपके घर में बच्चे हैं तो आप भी यह चीज देखते होंगे कि बच्चे जितना फास्ट फूड और चाट पकोड़े पसंद करते हैं उतना ही हेल्दी फूड्स, जूस और फ्रूट्स से दूर भागते हैं। दरअसल इसका कारण माता पिता या घर में बड़े होते हैं। साइंस कहता है कि बच्चे बचपन में जिस चीज को खाते हैं वह भविष्य में भी उसे ही खाना पसंद करते हैं। इसलिए अगर बच्चों को बचपन में ही हेल्दी फूड खिलाया जाए तो वह बड़े होकर भी वही खाएंगे। लेकिन पेरेंट्स कई बार अपने आराम के लिए बच्चों को बाहर खाना खिला देते हैं या बच्चों को थोड़े टाइम की खुशी के लिए कुछ हल्का फुल्का बना लेते हैं। यही वह मौका होता है जब बच्चे घर के खाने से दूर जाते हैं। यह सिर्फ बच्चों में खराब आदत का ही कारण नहीं बनता है बल्कि बच्चों को कई गंभीर बीमारियों की ओर भी धकेलता है। ज्यादा फास्ट फूड और बाहर का खाना खाने से दिल की बिमारियां, कैंसर, मधुमेह, दांतों की खराबी, ओबेसिटी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है। 

खाने के लिए बच्चों की समस्याएं

  • चुन कर खाना या खाने को लेकर सनकी होना
  • फूड फोबिया
  • हरी सब्जियों को देखकर मुंह बनाना

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  • खानों के लिए इन्कार करना
  • एक सीमा में खाना
  • चुन कर खाना या खाने को लेकर सनकी होना
  • फूड फोबिया
  • भावानात्मक रूप से खाने के लिए मना करना।
  • नाश्ता ना करना
  • रात को खाने से बचने के लिए जल्दी सोना

बच्चों में दिखती हैं ये समस्याएं

  • कुछ बच्चे खाने और पीने को लेकर बहुत ही प्रतिबंधीत हो सकते हैं। यह माता पिता के लिए मुख्य चिंता का विषय हो सकता है। वे अक्सर कुछ खानों से बचते हैं क्योंकि वे बिमार होने और नए खाने और गेगिंग, चोकिंग से डरते हैं। खाने और पीने से मना करने पर खाने के समय युद्धक्षेत्र में बदल सकता है। हालांकि फूड फोबिया वाले बच्चे स्वस्थ होते है और ग्रोथ और विकास सही ढंग से करते है जो वो खाते है या पीते हैं उसी से ज्यादा कैलोरी और पोषक मिलते हैं।
  • हद से ज्यादा खाना खाने वाली आदत अधितकर इंडिया में माता पिता द्वारा डाली जाती है। इंडिया में कुछ लोगों को गलतफहमी है कि मोटा बच्चा स्वस्थ बच्चा होता है। इस प्रोबल्म से बचना चाहिए क्योकिं यह बचपन में मोटापे का कारण बन सकती है जो कि कई शारिरिक और मानसिक समस्या का कारण बन जाती हैं। दूसरी ओर यह नोटिस किया गया है कि जो बच्चे बचपन में मोटे होते है वो बड़े होकर भी मोटे बनते हैं।
  • कुछ बच्चे सीमित खाना ही खाते है बाकि को रिजेक्ट कर देते हैं। ऐसा व्यवहार आपका बच्चा तभी कर सकता है जब उसे आपके द्वारा ज्यादा खाने को लेकर सलाह दी गई हो या फिर आपका बच्चा एक जैसा खाना खाकर रोजना ठक गया हो। खाना खाने का कांटा बच्चों को उनका टेस्ट और खाने की स्वतंत्रता देती है। यह माता पिता के लिए कष्टदायक हो सकता है लेकिन फूड जग बहुत की कम चिंता का विषय है।
  • कुछ बच्चे ठोस पदार्थ खाने से मना कर सकते हैं। वे खाने को थूक सकते है या उन्हें उबाक आ सकती है या पूरी तरीके से ठोस खाना खाने से मना कर सकते हैं। वे आमतौर पर स्वस्थ, सामान्य लंबाई, सामान्य वजन, ग्रोथ और विकास कर रहे होते हैं। यह समस्या बहुत ही कम चिंता का विषय है लेकिन ये किसी विशेष स्थान जैसे स्कूल में नहीं खा सकते।

  • कई बच्चे जितना उनको भोजन खाना चाहिए, उससे कम खाते हैं। ये बच्चे शायद खानों की सामान्य रेंज खाते हैं जो कि उन्हें उपभोग करनी चाहिए। लेकिन जितनी उनको आवश्यकता है उससे कम मात्रा में उपभोग करते हैं। इसी के कारण वो कमजोर होते हैं और अपनी उम्र कम करते हैं लेकिन स्वस्थ और सक्रिय हैं। इन बच्चों को शायद कम खाने की आदत रही हो और हो सकता है कि उनके परिवार की कम खाने की इतिहास हो सकती है ।
  • जो बच्चे प्री- स्कूल उम्र के होते हैं उनमें खाने से मना करना एक आम शिकायत होती है। हालांकि यह कुछ थोड़े बड़े बच्चों में भी पाया जा सकता है। वे बिना कोई शिकायत और समस्या के जो उन्हें पसंद होता है वह खाना खा लेते हैं और कुछ खानों के लिए मना कर सकते हैं और कुछ वातावरण में खाना नहीं खा सकते जैसे किन्ही विशेष लोगों, स्कूल या फिर घर पर। वे आमतौर पर स्वस्थ होते है और उनकी ग्रोथ और विकास सामान्य होता है। आमतौर पर खाना से इंकार करना चिंता का विषय नहीं है।

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