सर्वाइकल कैंसर में कितनी फायदेमंद है HPV वैक्सीन? जानें क्या कैंसर वाकई होता है खत्म

सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो महिलाओं में गर्भाशय में सेल्‍स की अनियमित वृद्धि के कारण होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में हर 53 में से 1 महिला सर्वाइकल कैंसर की शिकार है। 30 से 69 की उम्र की महिलाओं की 17 प्रतिशत मौत सर्वाइकल कैंसर के कारण होती है। इसमें बचाव की संभावनाएं उस अवस्था पर निर्भर करती हैं जिसमें कैंसर को खोजा और उपचारित किया जाता है। सर्वाइकल कैंसर की मुख्यत: दो स्टेज होती है। स्टेज 0, 99% से 100% स्टेज I, 85% से 95% होती है। 
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सर्वाइकल कैंसर में कितनी फायदेमंद है HPV वैक्सीन? जानें क्या कैंसर वाकई होता है खत्म


सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो महिलाओं में गर्भाशय में सेल्‍स की अनियमित वृद्धि के कारण होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में हर 53 में से 1 महिला सर्वाइकल कैंसर की शिकार है। 30 से 69 की उम्र की महिलाओं की 17 प्रतिशत मौत सर्वाइकल कैंसर के कारण होती है। इसमें बचाव की संभावनाएं उस अवस्था पर निर्भर करती हैं जिसमें कैंसर को खोजा और उपचारित किया जाता है। सर्वाइकल कैंसर की मुख्यत: दो स्टेज होती है। स्टेज 0, 99% से 100% स्टेज I, 85% से 95% होती है। 

सर्वाइकल कैंसर के लिए टीका

अगर किसी संक्रमण बीमारी की बात करें जैसे चिकनपॉक्स और नॉर्मल बुखार की बात करें तो ऐसी बीमारियों में टीका आदि पर निर्भर रहा जा सकता है। रिपोर्ट कहती है कि अधेड़ उम्र की महिलाओं की तुलना में यंग महिलाओं के लिए ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) का टीकाकरण बहुत फायदेमंद है। इसके ज्यादातर मामले 40 साल या इससे ऊपर की महिलाओं में देखे गए हैं। अभी तक देश में कहीं भी सरकारी स्तर पर एचपीवी का टीकाकरण नहीं किया जाता है। लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए दो चरणों में सर्वाइकल कैंसर का टीका लगाया जाता है, जिससे उन्हें भविष्य में सर्वाइकल कैंसर के खतरे से बचा जा सके।

कितनी फायदेमंद है एचपीवी वैक्सीन

सर्वाइकल कैंसर के लिए वैक्सीन बहुत महंगा होता है इस वजह से इसे सिर्फ निजी डॉक्टर ही इस्तेमाल करते हैं। निजी डॉक्टर इस वैक्सीन को तीन चरणों में लगाते हैं। एक चरण का खर्चा तकरीबन नौ हज़ार से दस हजार रुपए में बीच में आता है। पूरा टीकाकरण कराने पर तकरीबन 30 हज़ार रुपए खर्च होते हैं। यह वैक्सीन एक से छह महीने में लगाया जाता है, अभी तक देश में कहीं भी सरकारी स्तर पर एचपीवी का टीकाकरण नहीं किया जाता है। हैरानी की बात यहे हैं कि ज्यादातर लोगों में इस वैक्सीन के बारे में जागरुकता नहीं है। बहुत कम ही लोग इस वैक्सीन के बारे में जानते हैं, लेकिन प्राइवेट डॉक्टर अपने यहां आने वाले लोगों का इस टीके की पूरी जानकारी देते हैं। अभी फिलहाल डॉक्टरों के पास यूके और अमेरिका के टीके उपलब्ध हैं।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

  • संबंध बनाने के बाद अधिक मात्र में रक्तस्राव या फिर तेज दर्द होना इसका एक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने पर खून का रिसाव होना भी इसमें शामिल है।
  • अक्सर वजाइना से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव होना भी सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है। इसे नजर अंदाज़ न करे और जब भी आप अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाये तो इसके बारे में जरुर बात करें और जरूरी टेस्ट करवाएं।
  • आम तौर पर मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से के दौरान दर्द होता है। लेकिन अगर आपके मासिक धर्म की तारीख के अलावा तेज या हल्का दर्द हो तो इसे हल्के में ना लें। इसके बारे में तुरंत डॉक्टर से बात करें।
  • पेशाब की थैली में दर्द होना सर्वाइकल कैंसर का पहला लक्षण है। यह लक्षण तभी दिखता है जब कैंसर यूरीन की थैली तक पहुंच चुका हो। इसके साथ ही पीरियड्स के बीच में स्‍पाटिंग या संबन्‍ध बनाने के बाद ब्‍लीडिंग होना भी इसका एक लक्षण है। ऐसा गर्भाशय ग्रीवा की जलन कि वजह से होता है, जो कि सेक्‍स या पीरियड होने पर तेज हो जाता है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर ऐसी बीमारी है, जो कि गर्भाशय में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होने के कारण होती है। अधिकांश सर्वाइकल कैंसर के मामले फ्लैटंड और स्क्वैम्श कोशिकाओं की बढ़ोत्तरी के कारण होते हैं। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) की वजह से होता है। एचपीवी कई तरह के होते हैं, जिनमें से कुछ ही सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी की मानें, तो सर्वाइकल कैंसर के कुछ खास जोखिम कारक हैं, जैसे एचपीवी इंफेक्शन, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेगनेंसी, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर और परिवार में सर्वाइकल कैंसर का इतिहास।

क्या है इसका अन्य उपचार

शुरुआती अवस्था में अगर सर्वाइकल कैंसर का पता चल जाए, तो इलाज से इससे मुक्ति पाई जा सकती है, लेकिन अगर देर हो चुकी है तो इससे बचना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बेहतर होता है कि महिलाएं हर तीन साल में एक बार पैप स्मियर टेस्ट करवाते रहें। खासकर जिसके एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर हों या पारिवारिक इतिहास में यह रोग हो, उन्हें तो यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अच्छा तो यह हो कि पहला पैपस्मियर टेस्ट उसी वक्त हो जाए, जब कोई महिला सेक्सुअली ऐक्टिव होती है। इसके अलावा स्मोकिंग और तंबाकू उत्पादों से बचना, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन और रेग्युलर एक्सर्साइज से शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाकर इससे बचा जा सकता है।

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