किसने कहा गांव का जीवन बहुत सही है और वहां रहने वालों को कोई बीमारी नहीं होती है? हाल ही में आई एक रिपोर्ट में साफ हुआ है कि भारत में एक ऐसा रोग है जिसकी चपेट में शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण महिलाएं अधिक आती हैं। भारत में सर्वाइकल कैंसर से हर साल 74 हजार महिलाओं की मौत की होती है। इस ओर जागरूक करने के लिए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर एक्सपर्ट और इंडस हेल्थ प्लस प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक कंचन नायकवाड़ी ने कुछ उपाय सुझाए हैं। विश्व भर में सर्वाइकल कैंसर की वजह से होने वाली मौतों में से एक तिहाई भारत में होती हैं। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता देरी से चलने के कारण यह उनकी मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
इस बीमारी से सुरक्षित रहने का सबसे प्रभावी तरीका है, समय पर इसकी जांच करवाना। हालांकि, इसके बारे में जानकारी का अभाव रुकावट पैदा करता है।सर्वाइकल कैंसर के कारण गिनाते हुए कंचन नायकवाड़ी ने कहा, 'वह कैंसर जो सर्विक्स की लाइनिंग को प्रभावित करता है, उसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। शहरी लोगों की तुलना में यह बीमारी ग्रामीणों में ज्यादा होती है। सर्वाइकल कैंसर का सबसे प्रमुख कारण इंसानी पेपिलोमा वायरस या एचपीवी होता है। एचपीवी वायरस के संवाहक के साथ यौन संपर्क में आने से एचपीवी फैलता है।'
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लक्षणों का जिक्र करते हुए कंचन ने कहा, 'प्राईवेट पार्ट से असामान्य रक्तस्राव, संबंध बनाने या फिर टेंपोन इंसर्ट करने के दौरान रक्तस्राव होना, संबंध बनाने के दौरान दर्द महसूस होना, प्राईवेट पार्ट से रक्तमिश्रित अनियिमित डिसचार्ज, मासिकधर्म के बीच में प्राईवेट पार्ट से रक्तस्राव, कमर, पैर या पेडू में दर्द महसूस होना, थकान, वजन में कमी, भूख ना लगना इसके प्रमुख लक्षण हैं।'
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कैंसर मुक्त रहने के लिए हेल्थकेयर एक्सपर्ट ने कहा, 'स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास नियमित जांच करवायें, हर तीन साल पर पैप स्मीयर टेस्ट करायें, एचपीवी वायरस से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टीकों के बारे में अपने फिजिशियन से बात करें, धू्म्रपान छोड़ दें, अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सेहतमंद खाना खाएं और व्यायाम करें।' उन्होंने कहा कि अगर कैंसर की पहचान समय रहते कर ली जाए तो इससे बचाव और इलाज दोनों संभव है। इसके बारे में जानकारी हासिल करें और साथ ही अपने आस-पास की महिलाओं को भी इस जानलेवा बीमारी से अवगत कराएं।
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