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डिलीवरी के बाद स्तन में दूध की अधिकता होना होता है Breast Engorgement, जानें इसके कारण और बचाव

डिलीवरी के बाद स्तन में दूध की अधिकता होना कोई हैरानी की बात नहीं है। लेकिन, ऐसा होने पर महिलाओं में असहजता और असुविधा बढ़ सकती है।
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डिलीवरी के बाद स्तन में दूध की अधिकता होना होता है Breast Engorgement, जानें इसके कारण और बचाव


Causes Of Breast Engorgement And Prevention Tips In Hindi: डिलीवरी के बाद हर नई मां की यही प्राथमिकता होती है कि उनका मिल्क प्रोडक्शन सही हो, ताकि बच्चे को दूध की कमी न हो सके। जाहिर है, नवजात शिशु जन्म के 6 माह तक पूरी तरह मां के दूध पर निर्भर रहता है। यही कारण है कि तमाम विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मांओं को अपनी डाइट में ऐसी चीजें लेनी चाहिए, जिससे मिल्क प्रोडक्शन बढ़ सके। जब मां को पर्याप्त दूध आता है, तो बच्चे को पोषण की कमी नहीं होती है। बहरहाल, कई बार स्थितियां ऐसी भी हो जाती हैं कि मां का दूध अतिरिक्त मात्रा में बनने लगता है। इसे हम Breast Engorgement के नाम से जानते हैं। आइए, जानते हैं कि आखिर Breast Engorgement की समस्या क्यों होती है और इससे कैसे बचा जा सकता है? इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।

ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट क्या है?- What Is Breast Engorgement In Hindi

What Is Breast Engorgement In Hindi

ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट एक तरह की सूजन को कहा जाता है। इस तरह की समस्या अक्सर महिलाओं को डिलीवरी के बाद होती है। वास्तव में, ऐसा तब होता है, जब महिलाएं लैक्टेशन के पहले स्टेज से दूसरे स्टेज में जाती हैं। ऐसा डिलीवरी के कुछ दिनों बाद होने लगता है। दरअसल, डिलीवरी के कुछ दिनों बाद ही महिलाओं में मिल्क प्रोडक्शन बढ़ने लगता है।

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ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट का कारण- Causes Of Breast Engorgement In Hindi

Causes Of Breast Engorgement In Hindi

डिलीवरी के बाद यानी ब्रेस्ट फीड कराने के दौरान स्तनों में रक्त और लिम्फ बढ़ने लगता है। लिम्फ एक तरह का रंगहीन पानी जैसा तरल पदार्थ होता है। डिलीवरी के बाद स्तनों में इसकी मात्रा बढ़ जाने से स्तन में सूजन आ जाती है। जब शरीर के किसी हिस्से में ब्लड बढ़ने लगता है, तो उसे हम हाइपरमिया के नाम से जानते हैं। बहरहाल, डिलीवरी के बाद स्तनों में अधिक ब्लड फ्लो की जरूरत होती है। इससे लैक्टेशन को मदद मिलती है। वहीं, लिम्फ की मदद से वेस्ट प्रोडक्ट बाहर निकलता है और बच्चे के लिए पीने योग्य दूध प्राप्त होता है। इसमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। जब यह तरल पदार्थ अतिरिक्त मात्रा में बनने लगता है, तभी ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट की समस्या होने लगती है। इस स्थिति में अक्सर महिला को असुविधा होने लगती है।

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ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट से बचाव के टिप्स- Prevention Tips Of Breast Engorgement In Hindi

अगर महिलाओं को डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट की समस्या हो रही है, तो इससे निपटने के लिए आप यहां बताए गए टिप्स को अपना सकते हैं, जैसे-

  • बच्चे को हर दो से तीन घंटे में ब्रेस्टफीड करवाएं। खासकर, जन्म के 42 घंटे तक इस प्रक्रिया को जारी रखें। इससे धीरे-धीरे सूजन में कमी आने लगेगी।
  • अक्सर महिलाएं अपने कंफर्ट का ध्यान रखती हैं और दोनों ब्रेस्ट के बजाय किसी एक ब्रेस्ट से दूध पिलाती हैं। आप ऐसा न करें। दोनों ब्रेस्ट से रेगुलर दूध पिलाएं।
  • डिलीवरी के बाद हमेशा सपोर्टिव ब्रा पहनें। ऐसा करके ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट की समस्या को कम होने में मदद मिलेगी।
  • ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट की समस्या को कम करने के लिए आप ब्रेस्ट मसाज करवा सकती हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और दर्द भी कम होता है। साथ ही, मिल्क प्रोडक्शन में भी बेहतरी देखी जा सकती है।

All Image Credit: Freepik

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