महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या होते हैं? जानें इसके जांच और इलाज के तरीके

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को पहचानकर उसका सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इससे बहुत आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
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महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या होते हैं? जानें इसके जांच और इलाज के तरीके


Breast Cancer Awareness Month 2021: स्तन कैंसर (Breast Cancer) दुनियाभर की महिलाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारी है। भारत में इस समय महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसरों में, स्तन कैंसर महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है। इसका एक कारण तो यह है कि स्तन कैंसर का पता ज्यादातर मामलों में काफी बाद में चलता है, जिससे इलाज में मुश्किल आती है। दूसरा कारण यह है कि स्तन कैंसर के कुछ लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि महिलाएं उन्हें पीरियड्स, प्रेगनेंसी या मेनोपॉज का असर मानकर नजरअंदाज करती रहती हैं। लेकिन अगर ब्रेस्ट कैंसर को सही समय पर पहचानकर इसका इलाज शुरू कर दिया जाए, तो ये पूरी तरह ठीक हो सकता है। वहीं स्टेज 3-4 में पहुंचने पर अगर इलाज शुरू किया जाए, तो कई बार सर्जरी अंतिम विकल्प बचता है या गंभीर परिस्थितियों में मौत का खतरा भी रहता है। आइए आपको बताते हैं महिलाओं में स्तन कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और इलाज के बारें में।

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण?

अगर आपको आपके ब्रेस्ट में दर्द या गांठ सा महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी बहुत जरूरी है। कभी-कभी ये भी होता है गांठ में सामान्य रूप से दर्द न हो, लेकिन छूने पर इस दर्द को महसूस किया जा सकता है। स्तनों में पड़ने वाली गांठ का पता लगाने के लिए मेमोग्राफी की जाती है। मैमोग्राफी से ही ब्रेस्ट कैंसर का भी पता लगाया जा सकता है और मेमोग्राफी कराने में ज्य़ादा पैसे भी नहीं लगते। विशेषज्ञों का मानना है कि 30 से 35 साल की महिला को एक बार मेमोग्राफी ज़रूर करानी चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं-

  • ब्रेस्ट में गांठ होना
  • समय के साथ स्तन का आकार बढ़ना
  • ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढ़ना
  • स्तनों के बगल में सूजन आना
  • निप्पल का लाल पड़ना या उनसे खून आना
  • स्तन में कोई उभार या असामान्य मोटाई लगना

इन सभी स्थितियों में तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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Breast Cancer in Hindi

ब्रेस्ट कैंसर की जांच और इलाज

यह आवश्यक है कि 30 साल की उम्र से प्रत्येक महिला पीरियड्स के बाद अपने स्तनों और इसके इर्दगिर्द होने वाले बदलावों की स्वयं जांच करे। इसी तरह 40 साल की उम्र से प्रत्येक महिला को साल में एक बार महिला रोग विशेषज्ञ से अपनी जांच कराकर उनके परामर्श से स्तनों का एक्सरे या मैमोग्राफी कराना चाहिए। स्तनों के एक्सरे को मैमोग्राम कहते हैं। मैमोग्राम के जरिये चावल के दाने जितने सूक्ष्म कैंसरग्रस्त भाग का भी पता लगाया जा सकता है। इस स्थिति में कैंसर के इलाज में पूरे स्तन को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। इस अवस्था में पता चलने वाले स्तन कैंसर के रोगियों का 90 से 95 प्रतिशत तक सफल इलाज हो सकता है। जब स्तन कैंसर का बाद की अवस्था (एडवांस्ड स्टेज) में पता चलता है, तो इसके इलाज के लिए पूरे स्तन को ऑपरेशन के जरिये निकालना पड़ता है।

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महानगरों व शहरों में रहने वाली औरतों में स्तन कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं। भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर एक बड़ी और गंभीर बीमारी के रूप में उभरा है। आजकल 40 की उम्र के बाद बहुत सारी महिलाओं को इसका खतरा होता है। इससे बचने के लिए महिलाएं खुद हर महीने स्तन की जांच करें और देखें कि उसमें कोई गांठ तो नहीं है।

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