देश भर में बच्चों में कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं जो कि काफी चिंता का विषय है। विभिन्न राज्यों में 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के 81869 बच्चों के कैंसर से पीड़ित होने की बात सामने आई है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार सभी प्रकार के कैंसरों में बाल्यावस्था कैंसर लगभग 2.9 प्रतिशत है।
एम्स के इंस्टीट्यूट ऑफ रोटरी कैंसर के प्रमुख प्रो ललित कुमार ने कहा कि कैंसर के अधिकतर मामले उच्च आयु वर्ग के लोगों में पाए जाते हैं और एक अनुमान के मुताबिक कैंसर के मामलों में 30 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। इनमें एक बड़ी संख्या वरिष्ठ नागरिकों की हो सकती है। लेकिन हाल के दिनों में कम आयु वर्ग के बच्चों में भी कैंसर के काफी मामले सामने आए हैं। इसके लिए जीवनशैली और खानपान काफी हद तक जिम्मेदार है।
आबादी आधारित कैंसर रजिस्ट्री 2009-11 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीभ, मुंह, आंत, मलाशय, लीवर, फेफड़ों और प्रोस्ट्रेट कैंसर के मामलों में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। रैनबैक्सी साइंस फाउंडेशन के हाल के सम्मेलन में देशभर से 150 कैंसर विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कैंसर के 20 प्रतिशत ही ऐसे मामले होते हैं जिनका निदान पहली या दूसरी अवस्था में शुरू हो जाता है। शेष 80 प्रतिशत मामलों में निदान तीसरी या चौथी (अंतिम) अवस्था तक पहुंचने पर होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती अवस्था में निदान हो जाने पर रोगी के बचने की 80 प्रतिशत संभावना होती है जबकि अंतिम अवस्था में रोग का पता चलता है तो रोगी के बचने की संभावना मात्र 20 फीसदी रह जाती है।
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