गर्भावस्था का समय मां और बच्चे दोनों के लिए नाजुक समय होता है। मां की हर गतिविधि का बच्चे पर असर पड़ सकता है। इसलिए इन दिनों मां को अपने और बच्चे का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में तेज आवाज के लगातार संपर्क में रहने से मां और बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। दूसरी तिमाही की शुरुआत से बच्चा आवाजे सुनने लगता है। ऐसे में तेज आवाज के संपर्क में आने से बच्चे और मां को सुनने की समस्या हो सकती है और मां तनाव में आ सकती है।
सभी आवाजें गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक नहीं होती हैं। जो आवाजें आपको सुनने में अप्रिय लगती हैं, वह आपके बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। जैसे यातायात से शोर, इमरजेंसी सायरन, लाउडस्पीक, विस्फोट, लाउड म्यूजिक और मशीनों से तेज आवाजों के संपर्क में रहने से बच्चे के विकास में बेहद नुकसान हो सकता है। बच्चे में सुनने की समस्या हो सकती है और बच्चा समय से पहले जन्म ले सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान तेज आवाज का बच्चे पर प्रभाव
सुनने की समस्या - जब गर्भवती महिलाएं अधिक शोर के संपर्क में रहती हैं, तो इससे बच्चे को सुनने संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
भ्रूण विकास में रुकावट- गर्भवती महिलाओं के अधिक तेज आवाज सुनने से भ्रूण के साधारण विकास में रुकावट आती है। जिससे बच्चा दिमागी रूप से कमजोर हो सकता है।
समय से पहले जन्म- गर्भावस्था के दौरान तेज आवाज के सुनने से बच्चा समय से पहले जन्म ले सकता है, जो उसके लिए हानिकारक हो सकता है।
जन्म दोष- जन्म दोष बच्चे को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित करता है। तेज आवाज सुनने से बच्चे में जन्म दोष होने का खतरा बढ़ जाता है।
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तेज आवाज का गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव
- ज्यादा शोर से श्रवण प्रणाली को नुकसान हो सकता है। इससे गर्भवती महिलाओं को सुनने में समस्या हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी नींद लेना जरूरी होता है। ऐसे में अधिक शोर से नींद पूरी नहीं हो पाती है, जो तनाव का कारण बन सकती है।
- उच्च स्तर के शोर के संपर्क में आने से गर्भवती महिलाओं में तनाव का खतरा बढ़ सकता है। तनाव हार्मोन का बढ़ना समय से पहले जन्म के खतरे को बढ़ा सकता है।
- अगर गर्भवती महिलाएं 8 घंटे से 80 डेसिबल से अधिक आवाज के संपर्क में आती हैं तो समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।
- अत्यधिक शोर के लगातार संपर्क में रहने से बच्चे में जन्म के समय कम वजन हो सकता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था के समय 85 डेसिबल से अधिक शोर के संपर्क में रहने से बच्चों में ऊंचा सुनने की परेशानी हो सकती है। कुछ सावधानियां बरतने से इन समस्याओं के खतरे से बचा जा सकता है।