कॉफी को कई सारे स्वास्थ्य लाभों के साथ जोड़ कर देखा जाता है। अब एक नए शोध के अनुसार कॉफी से उम्रदराज लोगों के प्रतिक्रिया देने के समय और क्षमता में सुधार होता है। चलिये विस्तार से जानें खबर -
कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस सोसाइटीज़ की वार्षिक बैठक में इस अध्ययन को पेश करते हुए शोधकर्ताओं ने स्वस्थ उम्रदराज लोगों पर ज्ञान - संबंधी कौशल में कैफीन के प्रभाव की जांच संबंधी कई तथ्य पेश किये। ब कौल इंग्लैंड में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी शोधकर्ता व इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता कंचन शर्मा, इस शोध का मकसद मनोभ्रंश अर्थात डिमेंशिया के इलाज में कैफिन की भूमिका को जानना है।
शर्मा के अनुसार, कैफीन को ध्यान को बढ़ाने वाला भी माना जाता है, हालांकि इसे किसी शोध के माध्यम से अभी तक साबित नहीं किया गया है। ध्यान पर कैफीन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए शर्मा और उनके सहयोगियों ने 55 से 91 साल उम्र तक के 38 स्वस्थ लोगों परीक्षण किया।
प्रतिभागियों को पहले परीक्षण की एक श्रृंखला को पूरा किया जिसमें ध्यान के विभिन्न पहलुओं को मापा गया। इसके बाद प्रतिभागियों को एक सप्ताह के लिए कैफीन का सेवन रोकने के लिये कहा गया। एक सप्ताह बाद एक समूह को 100 मिलीग्राम (एक कप) कैफीनयुक्त कॉफी दी गई, तथा दूसरे ग्रुप को डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी दी गई और परीक्षण को फिर से करने के लिए कहा गया। अगले दिन उनके पेय बदल दिये गए। इस बार, प्रतिभागियों ने अपने स्वयं के नियंत्रण का बेहतर प्रदर्शन किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कैफीनयुक्त कॉफी पीने से प्रतिभागियों के औसत प्रतिक्रिया समय में सुधार हुआ। उन्होंने यह भी पाया कि, कैफीन का एक परीक्षण जिसे स्ट्रूप टेस्ट (Stroop test) कहा जाता है, में प्रतिभागियों की सटीकता में सुधार हुआ। यह टेस्ट योजना बनाने और ध्यान देने आदि कौशल को मापता है।
स्ट्रूप टेस्ट में प्रतिभागियों को एक रंग का नाम दिखाया गया, लेकिन यह नाक किसी दूसरे रंग से लिखा हुआ था। उदाहरण के तौर पर, नीले रंग शब्द को राल रंग से लिखा गया। इसके बाद प्रतिभागियों को या तो रंग का नाम या फिर उसके रंग की पहचान करने के लिए कहा गया। कैफीन पीने का कोई प्रभाव नहीं हुआ, हालांकि प्रतिभागियों की मोटर गति, या फिर कितनी जल्दी से वे एक बटन दबाते हैं, पर कैफीन का प्रभाव पड़ा।
शर्मा ने उल्लेख किया कि, शोधकर्ताओं ने अध्ययन में जो सुधार पाए, वे पर्याप्त नहीं हैं। हालांकि, संज्ञानात्मक हानि से जूझ रहे लोगों में कैफीन का बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है। प्रोफेसर शर्मा के अनुसार, भविष्य के अध्ययनों में वे लोगों पर कैफीन के प्रभाव को देखने के लिए योजना बना रही हैं, जो संज्ञानात्मक क्षति जैसे डिमेंशिया से पीड़ित हैं।
Source - Livescience
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