ई-सिगरेट से भी हो सकता है कैंसर

ध्रुमपान नहीं छोड़ पा रहे हैं औऱ फिर भी कैंसर से बचना है तो लोगों ने विकल्प के तौर पर ई-सिगरेट का सहारा लिया। अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो ये जान लीजिए की ई-सिगरेट भी कैंसर को न्योता देता है।
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ई-सिगरेट से भी हो सकता है कैंसर


किसी भी तरह की लत को छोड़ना मुश्किल होता है और कई लोगों के लिए तो ये काम नामुमकिन होता है। ऐसे ही लत में शामिल है स्मोकिंग की लत जिसके विकल्प के तौर पर लोगों ने ई-सिगरेट पीना शुरू किया। ऐसे लोगों के लिए बुरी खबर है। हाल ही में हुई रिसर्च से ये बात सामने आई है कि ई-सिगरेट के लगातार इस्तेमाल करने से भी कैंसर हो सकता है। तो अगर आप ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कैंसर होने के चांसेस हैं।

ई-सिगरेट


धीर-धीरे करता है कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त

सिगरेट हमारी कोशिकाओं को मार देता है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में भी कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता होती है। ई-सिगरेट धीर-धीरे हमारी कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा होता है। यह तथ्य हाल ही में हुई एक शोध में सामने आई है। ई-सिगरेट से जुड़े शोधकर्ताओं ने कहा है कि, जिस तरह से लोगों के बीच में ई-सिगरेट का प्रचार किया जा रहा है, यह वैसा नहीं है। यह थोड़ा भी सुरक्षित नहीं है। अमरीका के सैन डिएगो में युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पैथोलॉजी के प्रोफेसर व प्रमुख शोधकर्ता जेसिका वांग-रोडरिक्वेज ने कहा, आज तक के सबूतों के आधार पर मेरा मानना है कि ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट का बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है।

 

ई-सिगरेट सुरक्षित नहीं

ई-सिगरेट के दो मशहूर ब्रांडों के धुएं का टेस्ट शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं से संपर्क कराया। शोध के दौरान जो कोशिकाएं धुएं के संपर्क में नहीं आई वे स्वस्थ रहीं और जो कोशिकाएं धुएं के संपर्क में आई वो या तो मर गई या क्षतिग्रस्त हो गई। इस शोध में वैज्ञानिकों ने निकोटिन युक्त और निकोटिन मुक्त ई-सिगरेट का परीक्षण किया। निकोटिन युक्त ई-सिगरेट लोगों को इसका आदी बनाते हैं। इनके द्वारा कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करने के भी सबूत हैं। शोध दल ने पाया कि निकोटिन युक्त ई-सिगरेट बेहद ज्यादा क्षति करते हैं, जबकि निकोटिन मुक्त सिगरेट का धुआं कोशिकाओं में भयानक बदलाव के लिए पर्याप्त है।

 

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