1 जुलाई 2018 को साउथ दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। यह एक ऐसी घटना थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस समय, कुछ लोग इसे सजिश और हत्या बता रहे थे तो वहीं कुछ लोग इसके पीछ का कारण भूत-प्रेत होना बता रहे थे। जबकि पुलिस की थ्योरी इससे इतर थी। दिल्ली पुलिस की मानें तो, सभी 11 सदस्यों की मौत फांसी लगाने से हुई है, जिसका जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी है।
इस घटना को घटित हुए एक साल से ज्यादा बीत चुके हैं, मगर आज भी लोग इसे अलग-अलग संदर्भ में देखते हैं। मगर मानसिक रोग विशेषज्ञ इसे न तो साजिश मानते हैं और न ही हत्या मानते हैं। वे भूत-प्रेत का तर्क तो पूरी तरह से खारिज़ करते हैं। इस घटना को लेकर जब हमने मानसिक रोग विशेषज्ञ से बात की तो एक गंभीर समस्या देखने और सुनने को मिली, जिसके बारे में हम सभी को जानना और समझना जरूरी है।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध युनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आनंद प्रताप सिंह कहते हैं, "बुराड़ी का 'भाटिया परिवार' भ्रम विकार (Delusional Disorder) से ग्रसित था। इससे पीड़ित व्यक्ति एक बनावटी दुनिया में जीने लगता है। मीडिया रपटों के अनुसार, 'भाटिया परिवार' में ललिट भाटिया पूजा-पाठ (अनुष्ठान) का ढोंग करवाता था, जिसका परिवार भी सपोर्ट करता था और परिवार के बाकी सदस्य भी उसी की तरह बनावटी दुनिया में जीने लगे। और सभी ने मोक्ष पाने के चक्कर में आत्महत्या कर लिया।"
डॉक्टर आनंद कहते हैं कि "अगर परिवार का एक भी सदस्य ललित के विरोध में होता और इस समस्या का समाधान ढूंढता या मानसिक विकृति का इलाज कराता तो इन सभी की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन ललित की विकृति का हिस्सा पूरा परिवार बन गया। इस पूरी घटना को 'शेयर्ड साइकोसिस' कह सकते हैं। इसे ऊपरी बाधा या भूत-प्रेत समझने के बजाए वैज्ञानिक उपचार का विकल्प तलाशा जाना चाहिए था। अगर इनका इलाज होता तो सभी 11 जानें बचाई जा सकती थी"
भ्रम विकार क्या है - What Is Delusional Disorder
भ्रम विकार एक दुर्लभ मानसिक बीमारी है जिसमें रोगी भ्रम में रहता है। यानी व्यक्ति काल्पनिक और वास्तविक चीजों में अंतर नहीं कर पाता है। इस विकार में व्यक्ति काल्पनिक चीजों पर विश्वास करने लगता है। भ्रम मनोविकृति का एक विशिष्ट लक्षण है। हालांकि भ्रम विकार उसे कहते हैं, जिसमें व्यक्ति को भ्रम की समस्या रहती हो। इस स्थिति में व्यक्ति कुछ दिनों से लेकर महीनों तक अलग-अलग विषयों में भ्रम की स्थिति में रहता है।
मगर इससे प्रभावित व्यक्ति का व्यवहार सामान्य ही रहता है। लेकिन कई बार भ्रम की स्थिति इतनी बढ़ जाती है कि उसका असर व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन पर बहुत अधिक पड़ता है। इसके कई अलग-अलग प्रकार भी हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति को मनोरोग चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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भ्रम विकार के लक्षण - Delusional Disorder Symptoms
भ्रम विकार के लक्षण निम्नलिखत हैं:
- एक विचित्र प्रकार के भ्रम की स्थिति, ये सबसे स्पष्ट लक्षणों में से एक हैं।
- चिड़चिड़ा, गुस्सैल या खराब मिजाज।
- भ्रम से जुड़े दु: स्वप्न, जैसे- उन चीजों को देखना, सुनना, या महसूस करना जो वास्तव में वहां नहीं हैं। उदाहरण के लिए जिन्हें पसीने से प्रॉब्लम होती है, बहुत संभव है कि उनके पसीने से बदबू आती हो।
भ्रम विकार के कारण और जोखिम - Causes and Risk Factors for Delusional Disorder
कई अन्य मानसिक विकारों के साथ, भ्रम के विकार का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन शोधकर्ता आनुवांशिक, जैविक, पर्यावरणीय या मनोवैज्ञानिक कारकों की भूमिका को देख रहे हैं।
आनुवांशिक: यह तथ्य है कि भ्रम के विकार उन लोगों में अधिक आम है, जिनके परिवार के सदस्यों में भ्रम संबंधी विकार या सिज़ोफ्रेनिया है। यह माना जाता है कि, अन्य मानसिक विकारों के साथ, माता-पिता से उनके बच्चों तक भ्रम विकार होने की प्रवृत्ति हो सकती है।
जैविक: शोधकर्ता यह अध्ययन कर रहे हैं कि मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के सामान्य होने पर भ्रम की स्थिति कैसे हो सकती है। असामान्य मस्तिष्क क्षेत्र जो धारणा और सोच को नियंत्रित करते हैं, भ्रम के लक्षणों से जुड़ा हो सकता है।
पर्यावरणीय / मनोवैज्ञानिक: प्रमाण बताते हैं कि तनाव भ्रम विकार को बढ़ा सकता है। शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग भी इसमें योगदान कर सकते हैं। जो लोग अलग-थलग पड़ जाते हैं, जैसे कि आप्रवासी या खराब दृष्टि और सुनने वाले लोग, भ्रम की बीमारी होने की अधिक संभावना रखते हैं।
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